Israel-Iran War: मध्य-पूर्व के देश सालों से अशांति से जूझ रहे हैं. 20 जून को इजरायल की ओर से ईरान पर किए गए हमले के बाद ये आग और भड़क गई. उसके बाद ईरान और इजरायल दोनों एक दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं. इजरायल ने ईरान को खत्म करने के लिए ऑपरेशन राइजिंग लॉयन लॉन्च किया है. इजरायल और अमेरिका ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को रद्द करने की कई बार धमकी दे चुका है बावजूद इसके ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रमों में कोई कमी नहीं की है. इजरायल ने दावा किया कि ईरान जल्द ही नौ परमाणु हथियार बनाने में सक्षम होगा. जिसे इजरायल किसी भी तरह से स्वीकार नहीं करना चाहता. यही वजह है कि इजरायल ने अब ईरान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
ईरान भी दे रहा इजरायली हमलों का जवाब
वहीं ईरान भी इजरायली हमलों का जवाब दे रहा है और उसपर लगातार बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला कर रहा है. गुरुवार को ही ईरान ने इजरायल के सोरोका अस्पताल को निशाना बनाकर बैलिस्टिक मिसाइल दागी. इससे पहले बीते शुक्रवार को ही ईरान ने इजरायल पर करीब 200 बैलिस्टिक और 200 ड्रोन हमले किए थे.
ईरान के पास बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों का जखीरा
वहीं इजरायल अपनी वायु रक्षा प्रणाली आयरन डोम से ईरान के ज्यादातर हमलों को रोकने में कामयाब हो रहा है. बता दें कि इजरायल आयरन डोम से ही नहीं बल्कि अन्य टेक्नोलॉजी से भी इजरायली हमलों को रोक रहा है. बता दें कि ईरान के पास बैलिस्टिक मिसाइलों और लंबी दूरी के ड्रोन के साथ-साथ क्रूज मिसाइलों की बड़ा जखीरा है. जहां बैलिस्टिक मिसाइलें एक निश्चित दिशा में हमला करती हैं तो वहीं क्रूज मिसाइलें उड़ते समय अपना मार्ग बदलने की तकनीक से लैस हैं.
दोनों देश करीब 1000 किमी दूर से एक दूसरे पर बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ लंबी दूरी के ड्रोनों से हमले कर रहे हैं. हालांकि अभी तक ये पता नहीं चला है कि ईरान ने अपने नए हमलों में किस तरह की मिसाइलों का इस्तेमाल किया है. क्योंकि ईरान के पास फतेह-1 और इमाद सहित कई ऐसी मिसाइलें हैं जो काफी लंबी दूरी तक मार करती हैं. बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव करना बेहद मुश्किल है. क्योंकि ये लॉन्च के कुछ ही समय में अपने टारगेट को ध्वस्त कर देती है. ये मिसाइलें बहुत तेज से नीचे गिरती हैं. मिसाइल की रेंज जितनी लंबी होगी, वह उतनी ही तेजी और ऊंची उड़ान भरेगी. जिससे एयर डिफेंस सिस्टम इन मिसाइलों को ट्रैक नहीं कर पाता और ये अपने मकसद में कामयाब हो जाती हैं.
आयरन डोम ही नहीं ऐसे भी ईरान के हमलों को रोक रहा इजरायल
इजराइल की मिसाइल रक्षा और आयरन डोम सबसे प्रभावी वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है. अक्सर ऐसा कहा जाता है कि ईरान आयरन डोम के सहारे ही दुश्मन की मिसाइलों, ड्रोन और हवाई हमलों को रोक देता है. लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि इजरायल के पास इसके अलावा भी वायु रक्षा प्रणाली के दूसरे उपकरण मौजूद हैं. जिन्हें अलग-अलग दूरी से आने वाली मिसाइलों और ड्रोनों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है.
आयरन डोम इनमें से सिर्फ एक है. जो एक छोटी दूरी की, एंटी-आर्टिलरी रक्षा प्रणाली है. जिसे कम दूरी के तोपखाने के गोले और रॉकेट को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. दरअसल, आयरन डोम में रडार तरंगों, कमांड और नियंत्रण सुविधाओं और इंटरसेप्टर का एक नेटवर्क शामिल है. रडार आने वाले खतरों का तुरंत पता लगाता है, वहीं कमांड और नियंत्रण तत्व तय करते हैं कि कौन सा सबसे ज्यादा जरूरी है. उसके बाद वह आने वाले गोले या रॉकेट को नष्ट करने के लिए इंटरसेप्टर को भेज देता है.
बैलिस्टिक रक्षा प्रणाली
इजराइल की रक्षा प्रणाली की अन्य परतों में डेविड स्लिंग और एरो 2 और एरो 3 इंटरसेप्टर शामिल हैं. जिन्हें विशेष रूप से लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए बनाया गया है. ये मिसाइलें चाहे वायुमंडल के भीतर हों या उससे बहुत अधिक ऊंचाई पर एरो 2 और एरो 3 इन्हें पलक झपकते ही मार गिराता है. वहीं अमेरिकी सेना के पास पैट्रियट PAC-3 (डेविड स्लिंग के बराबर) और THAAD (एरो 2 के बराबर) है, जबकि अमेरिकी नौसेना के पास एजिस और SM-3 (एरो 3 के बराबर) और SM-6 (एरो 2 के बराबर) वायु रक्षा प्रणाली है. अमेरिका ने इजरायल की मदद के लिए एजिस से लैस युद्धपोतों को तैनात किया.
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