Bilkis Bano Gang-Rape Case : कैसे रिहा हुए 11 दोषी? जानें- पूरा मामला

27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रहे रामभक्तों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में गोधरा के पास आग लगा दिया गया था. आगजनी में 59 रामभक्तों की जघन्य मौत के बाद गुजरात के कई जिले में दंगे भड़क उठे थे.

author-image
Keshav Kumar
New Update
bilkis bano

सभी दोषी 15 साल से अधिक समय तक कैद की सजा काट चुके थे( Photo Credit : News Nation)

गुजरात के गोधरा में साल 2002 ( Godhara Burning Train) में अयोध्या से लौट रहे रामभक्तों से भरे साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी जलाने के बाद भड़के दंगे  (Gujarat Riots) 2002के दौरान सुर्खियों में रहे बिलकिस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano Gang-Rape Case) में सजायाफ्ता 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है. बिलकिस बानो गैंगरेप केस के अलावा उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या में भी ये सभी दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे थे. सभी दोषी 15 साल से अधिक समय तक कैद की सजा काट चुके थे. इनमें से राधेश्याम शाह ने सुप्रीम कोर्ट से इसी आधार पर सजा में रियायत की गुहार लगाई थी.

Advertisment

गुजरात सरकार की रेमिशन पॉलिसी (माफी नीति) के तहत स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त को जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना को गोधरा उप कारागर से रिहा कर दिया गया. इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों के नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए. आइए, जानते हैं कि बिलकिस बानो गैंगरेप का केस क्या है और 11 दोषियों को कैसे रिहा किया गया है? 

बिलकिस बानो गैंगरेप केस क्या है

27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रहे रामभक्तों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में गोधरा के पास आग लगा दिया गया था. आगजनी में 59 रामभक्तों की जघन्य मौत के बाद गुजरात के कई जिले में दंगे भड़क उठे थे. गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिलकिस बानो दंगों के दौरान जान बचाने के लिए अपनी साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 बाकी सदस्यों के साथ अपने घर से भाग निकली थीं. बताया जाता है कि बिलकिस गर्भवती थीं.

मारपीट-गैंगरेप और हत्या कांड

बिलकिस बानो से गैंगरेप और उसके परिजनों की हत्या के मामले में दायर चार्जशीट के मुताबिक दाहोद और आसपास के इलाकों में बकरीद के दिन दंगा भड़का था.  बिलकिस का परिवार छप्परवाड़ गांव के खेतों में छिपा था. तीन मार्च 2002 को 20-30 लोगों ने बिलकिस और उसके परिवार पर लाठियों और जंजीरों से हमला कर दिया. बिलकिस और चार महिलाओं के साथ मारपीट और रेप को अंजाम दिया गया. दंगा के दौरान बिलकिस की बेटी समेत परिवार के सात लोगों की जान गई.

NHRC, सुप्रीम कोर्ट और CBI

तीन घंटे बाद होश में आने पर बिलकिस बानो ने होमगार्ड की मदद से लिमखेड़ा थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद बिलकिस को गोधरा राहत कैंप पहुंचाया गया और वहां से मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. शुरुआत में सबूतों के अभाव में पुलिस ने केस खारिज कर दिया. उसके बाद बिलकिस बानो शिकायत लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंची. सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस की याचिका पर मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया. सीबीआई ने चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया था. इनमें पांच पुलिसकर्मी समेत दो डॉक्टर भी शामिल थे. सीबीआई ने 2004 में आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

6 साल बाद स्पेशल कोर्ट का फैसला

इंसाफ के लिए बिलकिस बानो लगातार संघर्ष करती रही. धमकियों को लेकर उन्होंने दो साल में 20 बार घर बदले. बिलकिस ने सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों को पहचान लिया था. सुप्रीम कोर्ट से केस की सुनवाई गुजरात से बाहर करवाने की मांग की. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जनवरी 2008 में गर्भवती महिला के रेप, हत्या और गैरकानूनी तौर पर एक जगह इकट्ठा होने के 11 आरोपियों को दोषी करार दिया. उन सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. सात आरोपियों को सबूत के अभाव में छोड़ दिया गया. इस दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस फैसले पर अपनी सहमति जताई थी.

ये भी पढ़ें - Chikungunya: डेंगू-मलेरिया की तरह चिकनगुनिया से भी सावधान, पूरी Details

कैसे रिहा किए गए 11 दोषी

गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राज कुमार ने बताया कि उम्रकैद की सजा पाए कैदी के जेल में 14 साल पूरे होने और दूसरे फैक्टर्स जैसे उम्र, अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार वगैरह के कारण सजा में छूट के आवेदन पर विचार किया गया. कानूनी नियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक फैसला लिया गया. गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से माफी के मामले पर विचार करने के निर्देश के बाद पंचमहल के कलेक्टर सुजल मायात्रा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी. मायात्रा के मुताबिक कमेटी ने सर्वसम्मति से उन्हें रिहा करने का फैसला कर सिफारिश राज्य सरकार को भेजी थी. 

HIGHLIGHTS

  • बिलकिस बानो गैंगरेप केस में सजायाफ्ता 11 दोषी रिहा किए गए
  • सभी दोषी 15 साल से अधिक समय तक कैद की सजा काट चुके थे
  • गुजरात सरकार की रेमिशन पॉलिसी के तहत स्वतंत्रता दिवस पर रिहा
independence-day गुजरात दंगा 2002 बिलकिस बानो गैंगरेप केस gujarat government गुजरात सरकार Gujarat Riots 2002 स्वतंत्रता दिवस bilkis bano gang rape case
      
Advertisment