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Chikungunya: डेंगू-मलेरिया की तरह चिकनगुनिया से भी सावधान, पूरी Detail

मानसून के मौसम के दौरान ठहरे हुए बारिश के पानी में पनपने वाले मच्छरों के काटने से वायरल इन्फेक्शन के कारण आम तौर पर होने वाली कुछ बीमारियों में से चिकनगुनिया (Chikungunya) भी एक बीमारी है.

Updated on: 16 Aug 2022, 02:32 PM

highlights

  • चिकनगुनिया वायरस बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी प्रभावित करती है
  • डेंगू-मलेरिया की तरह चिकनगुनिया भी मच्छरों के काटने से फैलता है
  • चिकनगुनिया एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका में होने वाली बीमारी

नई दिल्ली:

देश में मानसून की बारिश ( Monsoon Rain) का मौसम अपने परवान पर है. इस बीच बारिश के पानी के ठहरने से पैदा होने वाली बीमारियों का फैलना भी जारी है. राजधानी दिल्ली में इन दिनों मच्छरजनित बीमारी मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया (Maleria, Dengue, Chikungunya) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. दिल्ली में अगस्त महीने में ही अब तक डेंगू के 9 केस सामने आए हैं और इस साल डेंगू के मामले बढ़कर 178 हो चुके हैं. हालांकि इस साल डेंगू से अब तक किसी मरीज की मौत नहीं हुई है. 

दिल्ली में इस साल मलेरिया के अब तक 39 और चिकनगुनिया के 13 केस रिपोर्ट हुए हैं. अगस्त महीने में ही अब तक मलेरिया के 6 केस और चिकनगुनिया के 4 केस रिपोर्ट हुए हैं. मानसून के मौसम के दौरान मच्छरों के चलते वायरल इन्फेक्शन से होने वाली चिकनगुनिया को लेकर भी लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई जा रही है. आइए, जानते हैं कि चिकनगुनिया बीमारी क्या है, इसके लक्षण कैसे होते हैं, इस बीमारी से कैसे बचा जाए और अगर ये बीमारी हो जाती है तो इसका इलाज कैसे करवाया जा सकता है?

चिकनगुनिया बीमारी क्या है

मानसून के मौसम के दौरान ठहरे हुए बारिश के पानी में पनपने वाले मच्छरों के काटने से वायरल इन्फेक्शन के कारण आम तौर पर होने वाली कुछ बीमारियों में से चिकनगुनिया भी एक बीमारी है. इंसानों में यह बीमारी चिकनगुनिया वायरस के वाहक मच्छरों के काटने के कारण ही होती है. ऐडीस इजिप्ती और एडीस एल्बोपिक्टस ऐसे मच्छर हैं जो चिकनगुनिया वायरस के वाहक होते हैं. इन प्रजातियों की मादा मच्छरों के काटने से चिकनगुनिया वायरस फैलता है. 

चिकनगुनिया होने की सबसे बड़ी वजह

मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, चिकनगुनिया एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका में होने वाली ऐसी बीमारी है जो लगातार तेजी से खतरनाक होती जा रही है. ये मच्छर आमतौर पर दिन और दोपहर के समय में काटते हैं. बताया जाता है कि चिकनगुनिया के मच्छर घर से ज्यादा बाहर काटते हैं, हालांकि, वे घर के अंदर भी पैदा हो सकते हैं. चिकनगुनिया वायरस सीधे मच्छर से इंसानों में और फिर इंसानों से मच्छरों के जरिए इंसानों में संचारित होता है. 

चिकनगुनिया बीमारी के प्रमुख लक्षण

आमतौर पर इंसान के शरीर में वायरस जाने यानी मच्छरों के काटने के 4 से 6 दिनों तक लक्षण दिखना शुरू नहीं होता. इसके बाद अचानक इसके लक्षण दिखते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) चिकनगुनिया के प्रमुख लक्षणों के बारे में बताया है. उसके मुताबिक अचानक तेज बुखार आना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द और सूजन,  मांसपेशियों में दर्द, सिर में दर्द, नोसिया (जुकाम और खांसी), बेवजह थकान, आंखों में दर्द और कमजोरी, रैशेस ( लाल चकत्ते), रोशनी से डर लगना और नींद नहीं या कम आना वगैरह चिकनगुनिया के लक्षण हैं. 

चिकनगुनिया के लक्षण दिखने पर क्या करें

विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की सलाह के मुताबिक वैसे ये लक्षण बहुत सामान्य लगते हैं और दूसरे कारणों से भी हो सकते हैं. इसके बावजूद अगर ऐसे लक्षण कुछ दिनों तक लगातार या ज्यादा दिनों तक बने रहते हैं तो चिकित्सकीय पेशेवर यानी डॉक्टर्स से मिलकर जांच करा लेना चाहिए. अगर समय रहते चिकनगुनिया का सही इलाज नहीं किया जाता है, तो यह आंखों की दिक्कत के साथ-साथ न्यूरोलॉजिकल और हृदय संबंधी जटिलताओं सहित बड़े नुकसान का कारण बन सकता है. चिकनगुनिया के पुराने मरीजों के अगर समय पर इसका इलाज नहीं मिले तो इस बीमारी से जान भी जा सकती है.

चिकनगुनिया का इलाज क्या है

आमतौर माना जाता है कि चिकनगुनिया वायरस इंसाने के लिए जानलेवा नहीं होता, लेकिन इसके लक्षण गंभीर होने पर यह मरीज को बेहद कमजोर कर सकता है. सही डॉक्टर से इलाज करवाने पर मरीजोंका बुखार एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है. हड्डियों और जोड़ों का दर्द ठीक होने में कई महीनों का समय ले सकता है. इस बीमारी के 20 प्रतिशत मरीज ठीक होने के काफी बाद तक जोड़ों के दर्द की शिकायत करते हैं. 

डॉक्टर्स के मुताबिक चिकनगुनिया के इलाज के लिए कोई खास दवा उपलब्ध नहीं है. ज्यादातर बुखार और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करने वाली दवा दी जाती है. लक्षणों के मुताबिक दवा देने के साथ ज्यादातर डॉक्टर मरीज को आराम करने और बहुत मात्रा में तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं. हड्डियों और जोड़ों के दर्द के लिए डॉक्टर फिजियोथेरेपी (Physiotherapy) की सलाह भी देते हैं.

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चिकनगुनिया से कैसे बचें, परहेज- रोकथाम

डेंगू और मलेरिया की तरह ही चिकनगुनिया भी मच्छरों के काटने से फैलता है. आमतौर पर मच्छरों के काटने के कुछ दिनों बाद इसके लक्षण सामने आते हैं. इसलिए चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए भी डेंगू और मलेरिया की तरह मच्छरों से अपना बचाव करना चाहिए. मानसून यानी बारिश के मौसम में मच्छर तेजी से पनपता है. इसलिए जरा भी लापरवाही न बरते. अपने घर के आस पास कहीं भी पानी जमा नहीं होने दें.  कूड़ेदान को हमेशा ढक कर रखें और इसमें ज्यादा दिनों तक कूड़ा न जमा होने दें. इसके अलावा घरों की बाल्टी, गमले, कूलर, एयर कंडिशनर से निकलने वाले और स्वीमिंग पुल के पानी को रोजाना साफ करें.

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बच्चों-बुजुर्गों वाले घरों में सावधानी जरूरी

मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक चिकनगुनिया वायरस बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी प्रभावित करती है. इसलिए इस मौसम में बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं. बुजुर्ग लोगों को ज्यादा बाहर टहलने जाने से परहेज करने कहें. नदी और स्वीमिंग पुल में नहाने से जितना हो सके परहेज करें. संभव हो तो मच्छरों को कमरे में घुसने से रोकने में सक्षम एयर कंडीशनर का इस्तेमाल करें. घरों में मच्छर भगाने वाले कॉइल्स और कीटनाशक वाष्पीकरण का उपयोग करें. इसके अलावा नींबू, नीलगिरी या पीएमडी (पी-मेन्थेन -3, 8-डायल) के तेल वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें.