भारत के लिए मिडल ईस्ट में क्यों अहम है जॉर्डन, जहां की यात्रा पर पहुंचे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

India Jordan Relationship: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार (15 दिसंबर) को अपनी तीन देशों की यात्रा के पहले पड़ाव में जॉर्डन पहुंचे. जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. मध्य पूर्व में जॉर्डन भारत के लिए काफी अहम देश माना जाता है.

India Jordan Relationship: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार (15 दिसंबर) को अपनी तीन देशों की यात्रा के पहले पड़ाव में जॉर्डन पहुंचे. जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. मध्य पूर्व में जॉर्डन भारत के लिए काफी अहम देश माना जाता है.

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Suhel Khan
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PM Modi with King Abdullah

पीएम मोदी और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय Photograph: (X@narendramodi)

India Jordan Relationship: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनदिनों तीन देशों की चार दिवसीय यात्रा पर हैं. पीएम मोदी सोमवार यानी 15 दिसंबर को अपने यात्रा के पहले पड़ाव में जॉर्डन पहुंचे. उसके बाद वे इथियोपिया और ओमान की यात्रा करेंगे. जॉर्डन मिडल ईस्ट में भारत के लिए काफी अहम देश माना जाता है. दोनों देशों के काफी पुराने हैं. पीएम मोदी की जॉर्डन यात्रा कई मायनों में बेहद खास है. पीएम मोदी ऐसे समय में जॉर्डन पहुंचे हैं जब दुनियाभर के देश जियोपॉलिटिक्स में ट्रेड की खींचतान, ऊर्जा और सुरक्षा संकट के साथ-साथ रणनीतिक और आर्थिक दिक्कतों से गुजर रहे हैं.

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भारत के लिए क्यों खास है जॉर्डन?

विश्व मानचित्र पर देखें तो जॉर्डन मध्य पूर्व में एक बेहद संवेदनशील क्षेत्र में बसा हुआ देश है. जो इजरायल, फिलिस्तीन, सीरिया, इराक और सऊदी अरब से से घिरा हुआ है. ऐसे में यह क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीति के लिए भारत का अहम साझेदार बन जाता है. जॉर्डन पश्चिम एशिया की तुलना में स्थिर देशों में से एक माना जाता है. जो बीच का रास्ता अपनाता है. ऐसे में भारत भी ऐसे ही स्थिर और भरोसेमंद साझेदार देशों को काफी महत्व देता है.

भारत के लिए आतंकवाद विरोधी सहयोगी है जॉर्डन

इसके साथ ही जॉर्डन भारत के लिए आतंकवादी विरोधी सहयोगी के रूप में भी काफी अहम है. क्योंकि जॉर्डन भारत के लिए आतंकवाद, कट्टरपंथ और सुरक्षा मामलों में सहयोगी रहा है. जॉर्डन की खुफिया और सुरक्षा क्षमताएं इस इलाके में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. यही वजह है कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, संयुक्त प्रशिक्षण और सैन्य संवाद भी बढ़े हैं. जिसके चलते भारत जॉर्डन को अपना विश्वसनीय रक्षा साझेदार भी मानता है. दोनों देशों के बीच  खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद से निपटने पर भी समझौते हैं.

जॉर्डन से भारत को मिलता है उर्वरक

खाड़ी का ये देश भारतीय कृषि में बेहद अहम योगदान निभाता है. क्योंकि जॉर्डन भारत को फॉस्फेट और पोटाश का बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है. जिसे भारत की कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद अहम माना जाता है. उर्वरक के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध स्थापित हैं.

भारत और जॉर्डन के व्यापार और आर्थिक संबंध

दोनों देशों के बीच कई व्यापारिक समझौते पहले से लागू हैं. इनमें भारत जॉर्डन को दवाइयां उपलब्ध कराता है. साथ ही मशीनरी, ऑटो पार्ट्स और आईटी सेवाएं भी प्रदान करता है. जबकि जॉर्डन भारत को खनिज और उर्वरक भेजता है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग भी बना हुआ है. जॉर्डन में हजारों भारतीय छात्र और पेशेवर मौजूद हैं. वहीं जॉर्डन से भी सैकड़ों छात्र हर साल भारत में पढ़ाई के लिए आते हैं. जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है. यही नहीं फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी जॉर्डन का रुख संतुलित रहा है. जिसमें भारत की झलक दिखाई देती है.

जॉर्डन का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है भारत

बता दें कि भारत और जॉर्डन  के बीच पहले से ही काफी अच्छे व्यापारिक संबंध रहे हैं. यही वजह है कि भारत जॉर्डन का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और जॉर्डन के बीच 2.875 अरब अमेरिकी डॉलर यानी 25, 858 करोड़ का व्यापार हुआ है. इसमें भारत ने जॉर्डन को 1,465 मिलियन डॉलर यानी करीब 13 करोड़ रुपये का सामान भेजा है. इसमें भारत ने सबसे अधिक इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट्स के अलावा अनाज, केमिकल, पेट्रोलियम और ऑटो पार्ट्स आदि भेजे थे. जबकि जॉर्डन ने भारत को उर्वरक, फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड का आयात किया. यही नहीं कई भारतीय कंपनियों के भी प्रोजेक्ट जॉर्डन में चल रहे हैं.

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