ISRO ने अतंरिक्ष में टाला बड़ा हादसा, चंद्रयान-2 को तबाह होने से बचाया, जानें वैज्ञानिकों ने कैसे किया ये कमाल

ISRO News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर अंतरिक्ष में बड़ा कमाल कर दिया है. ISRO वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को कोरियाई ऑर्टिबर से टकराने से बचाया है.

ISRO News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर अंतरिक्ष में बड़ा कमाल कर दिया है. ISRO वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को कोरियाई ऑर्टिबर से टकराने से बचाया है.

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Ajay Bhartia
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Chandrayaan-2

ISRO ने अतंरिक्ष में टाला बड़ा हादसा, चंद्रयान-2 को तबाह होने से बचाया, जानें वैज्ञानिकों ने कैसे किया ये कमाल

ISRO saved Chandrayaan-2: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अतंरिक्ष में बड़ा हादसा टाल दिया है. ISRO ने स्पेस में चंद्रयान-2 को तबाह होने से बचाया है. चंद्रयान-2 अपनी ऑर्बिट में घुमते समय कोरियाई ऑर्बिटर सैटेलाइट से टकराने वाला था. इसरो वैज्ञानिक इसको लेकर बहुत चिंतिंत थे, लेकिन उन्होंने समय रहते सिचुएशन पर कंट्रोल पाया और चंद्रयान-2 को डैमेज होने से बचा लिया. आइए जानते हैं कि इसरो के वैज्ञानिकों ने कैसे ये कमाल किया. 

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वैज्ञानिकों ने कैसे किया कमाल

एक रिपोर्ट के अनुसार, ISRO वैज्ञानिक हर कीमत पर चंद्रयान-2 सैटेलाइट को बचाना चाहते
थे, इसलिए हादसे को रोकने के लिए उन्होंने कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर OM-87 के संचालन में परिवर्तन किया. उसकी चंद्र कक्षा (Lunar Orbit) को बढ़ा दिया. इस तरह चंद्रयान-2 कोरियाई सैटेलाइट से टकराने से बच गया. ISRO वैज्ञानिकों ने ये कमाल सटीकता और ठोस प्लानिंग की बदौलत कर पाया. अब दोनों ही सैटेलाइट अपनी-अपनी ऑर्बिट में सुरक्षित काम रहे हैं.

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टकराव की कब की थी संभावना

सूत्रों के अनुसार, ISRO की सितंबर की मंथली रिपोर्ट में इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें बताया गया है कि चंद्रयान-2 और कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर OM-87 के बीच संभावित टकराव की संभावना एक अक्टूबर के आसपास थी, जिसकी जानकारी मिलते ही ISRO वैज्ञानिक तुरंत एक्टिव हो गए. उन्होंने हर उस बारीक प्वॉइंट पर काम किया, जिससे चंद्रयान-2 बच सके. इसके बाद 19 सितंबर को चंद्रयान-2 और कोरियाई ऑर्बिटर को टकराने से रोकने के लिए सावधानीपूर्वक जरूर कदम उठाए.

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ISRO ने मिशन को बनाया सफल

ISRO के वैज्ञानिकों ने मजबूत तकनीकि पकड़ की बदौलत इस ऑपरेशन को सफल बनाया. इसरो के लिए ये ऑपरेशन कई मायनों मे महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि इससे उसकी काबिलियत पर मुहर लगती है. स्पेस में आए जिन सैटेलाइट लॉन्च किए जा रहे हैं, ऐसे में टकराव की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है. ऐसे में इसरो के लिए ये अनुभव काम आएगा. बता दें कि इसरो ने 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था. ये सैटेलाइट चंद्रमा की सतह की संरचना और संभावित जल-बर्फ जमाव को मैप कर उसकी स्टडी करना है.

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