G20 पीएम मोदी के लिए विभाजित दुनिया को एकजुट करने का बेहतरीन मौका... समझें चुनौतियां
भारत की विदेश नीति हालिया दौर में वैश्विक मंच पर अग्रणी भूमिका निभाने को पूरी तरह से तैयार है. यही कारण है कि जी20 की करीब आ रही भारत की अध्यक्षता चुनौतियों के रूप में अवसरों का एक भरपूर मौका प्रदान करेगी.
highlights
- जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने सोमवार को इंडोनेशिया जाएंगे पीएम मोदी
- अपने इस संक्षिप्त दौरे को वैश्विक मंच पर अग्रणी भूमिका तौर पर देख रहा भारत
नई दिल्ली:
यह भारत के लिए बेहद खास पल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाली में जी 20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सोमवार को रवाना हो रहे हैं. इस दौरान वह तीन प्रमुख सत्रों क्रमशः खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन और स्वास्थ्य में भाग लेंगे. अपने इस तीन दिवसीय दौरे में पीएम मोदी यूक्रेन संघर्ष और इसके वैश्विक प्रभावों सहित अन्य विद्यमान चुनौतियों पर अन्य देश के नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगे. इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी इंडोनेशिया कर रहा है, जिसके राष्ट्रपति जोको विडोडो समापन सत्र के दौरान प्रतीकात्मक रूप से जी20 की अध्यक्षता मोदी को सौंपेंगे. इसके बाद औपचारिक रूप से भारत 1 दिसंबर से जी20 की अध्यक्षता संभालेगा और सितंबर 2023 में 18वां शिखर सम्मेलन भारत में होगा. शिखर सम्मेलन से पहले अटकलें तेज हैं कि क्या भारत की चीन, ब्रिटेन और अमेरिका के नेताओं संग द्विपक्षीय बैठकें हो सकती हैं. ये बैठकें क्या हैं और फिलवक्त विभाजित विश्व में भारत की जी20 की अध्यक्षता क्या दुनिया में एकराय बनाने में मदद करेगी. खासकर उन मसलों पर जो समग्र विश्व के लिए बहुत बड़ी चुनौतियां हैं.
मोदी की जो बाइडन, शी जिनपिंग, ऋषि सुनक से मुलाकात की अटकलें
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की राह देख रहे हैं. इस पर भी निगाहें रहेगी कि क्या पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच भी किसी तरह की द्विपक्षीय बैठक होगी. यदि ऐसा होता है तो अप्रैल-मई 2020 के गलवान संघर्ष के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक होगी. यह भी प्रश्न हवा में तैर रहा है कि पीएम मोदी क्या इसी दौरान ब्रिटेन के पहले हिंदू पीएम ऋषि सुनक से भी मुलाकात करेंगे. इन तमाम अटकलों के बीच भारत ने यही कहा है कि भले ही पीएम नरेंद्र मोदी का बाली दौरा संक्षिप्त है, लेकिन यह बेहद महत्वपूर्ण है. बाली में भारत के राजदूत ने कहा, 'इस शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी महत्वपूर्ण है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि वैश्विक नेताओं के जमावड़े से पहले प्रधानमंत्री ने जी20 के लिए भारत की अध्यक्षता का लोगो और वेबसाइट लांच की. विश्व के नेताओं के समक्ष भारत की अध्यक्षता दिखाने का यह एक बेहद बेहतरीन अवसर है. उन्हें भारत की सफलता की कहानियों से अवगत कराना होगा.'
यह भी पढ़ेंः Southern Revolt चुनावी घमासान के बीच दक्षिण गवाह बन रहा अलग 'विद्रोह' का, जानें
जी20 में वैश्विक एजेंडा रहेगा लक्ष्य
भारत की विदेश नीति हालिया दौर में वैश्विक मंच पर नेतृत्व की भूमिका के तौर पर विकसित हो रही है. इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत 1 दिसंबर 2022 से जी20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी संभालेगा. ऐसे में पीएम मोदी का जी20 लोगो भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों केसरिया, सफेद और हरे समेत नीले से प्रेरित है. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक जी20 की अध्यक्षता का लोगो भारत के राष्ट्रीय फूल कमल के साथ पृथ्वी ग्रह की तुलना करता है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी विकास का प्रतिनिधित्व करता है. जी20 अध्यक्षता की थीम वसुधैव कुटुंबकम या एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य है. इस संदर्भ में पीएम मोदी भारत की स्थिति समग्र एकता के पक्षधर के रूप में रखेंगे. भविष्य के कठिन रास्ते को रेखांकित करेंगे, जहां यूक्रेन-रूस संघर्ष से वैश्विक शक्तियों में संतुलन लाने के महत्व को भी बताएंगे. भारत ने अभी तक शांतिपूर्ण बातचीत से संघर्ष के खात्मे की ही पक्षधरता की, जबकि बाकी देश अपने-अपने हितों को पहले रख अपनी भूमिका तय कर रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः T20 World Cup 2022 Final: पाकिस्तान को हराकर दूसरी बार चैंपियन बना इंग्लैंड
जी20 और भारत के लिए आगे का रास्ता
20 का समूह जिसे जी20 के नाम से भी जाना जाता है वास्तव में दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी मंच है. इन देशों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं. जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 फीसदी, वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी से अधिक और वैश्विक आबादी की लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है. जी20 की अध्यक्षता के रूप में भारत महत्वपूर्ण चुनौतियों को आने वाले समय में देख रहा है. इनमें भी भारत की प्राथमिकताओं के केंद्र में समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा रहेगी. हाल के महीनों की बात करें तो जी20 की साख को गंभीर नुकसान पहुंचा है. यह एक संकट के कगार पर है क्योंकि सदस्य देशों में फूट ज्यादा दिखाई दे रही है. पश्चिमी देश और रूस एक-दूसरे को फूटी आंख से भी देखने को तैयार नहीं है. पिछले कई अवसरों पर वे बैठकर मुद्दों पर चर्चा करने से भी हिचकते आए हैं. ऐसे में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में जी20 अध्यक्षता के साथ भारत इन मतभेदों को दूर कर समग्र विश्व की चुनौतियों को दूर करने के काम में लग जाएगा.
Don't Miss
वीडियो
-
USA का SM-3 इंटरसेप्टर कितना खतरनाक ? ईरानी बैलिस्टिक मिसाइक को किया था पहले हमले में राख
-
ईस्ट मेदिनीपुर में भिड़े BJP-TMC कार्यकर्ता, बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय के नॉमिनेशन में बवाल
-
Election Superfast: लोकसभा चुनाव से जुड़ी हर खबर देखें वो भी फटाफट अंदाज में इलेक्शन सुपरफास्ट के इस बुलेटिन में
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Kya Kehta Hai Hinduism: हिंदू धर्म में क्या है मुस्लिमों का स्थान, सदियों पुराना है ये इतिहास
-
Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी आज, इस शुभ मुहूर्त में करें पारण, जानें व्रत खोलने का सही तरीक
-
Varuthini Ekadashi 2024: शादी में आ रही है बाधा, तो वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर दान करें ये चीज
-
Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर अपनी राशि के अनुसार जपें मंत्र, धन वृद्धि के बनेंगे योग