One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन बिल को जेपीसी के पास भेज दिया गया है. संसद में जब इस बिल को पेश किया गया तो विपक्ष की तरफ से इसका विरोध जताया गया. इसके बाद सरकार ने सांसदों की सहमति से बिल को जेपीसी के पास भेजने का फैसला किया. केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन को चुनाव सुधार का बड़ा कदम मानती है. सरकार का मानना है कि इससे चुनावी खर्च कम होगा, विकास के कामों में तेजी आएगी और सरकारी कर्मचारियों को बार-बार चुनावी ड्यूटी से छुटकारा मिलेगा. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर वन नेशन वन इलेक्शन से देश की अर्थव्यवस्था को कैसे बूस्ट मिलेगा. आइए 5 पॉइंट्स में समझते हैं.
जरूर पढ़ें: One Nation One Election के तहत देश में कितनी बार हो चुके हैं चुनाव? जानिए, रिजिजू ने उड़ाईं कांग्रेस की धज्जियां
वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा पूरे देश में बहस के केन्द्र में है. सियासी दलों के बीच जुबानी तकरार चरम पर हैं. विपक्ष बार बार सरकार की मंशा को कठघरे में खड़ा कर रहा है. 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी. सितंबर 2023 में इस मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था. इस समिति ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में दो चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की गई है.
जरूर पढ़ें: Google Willow: क्या है गूगल विलो, 30 साल पुराने चैलेंज को सॉल्व कर बनाया ‘सुपरब्रेन’, यूं बदलकर रख देगी दुनिया
पहले चरण के तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव हों. दूसरा चरण में 100 दिनों के भीतर पंचायत और नगर पालिका जैसे स्थानीय चुनाव कराए जाएं. सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची का इस्तेमाल हो. इस मुद्दे पर देशभर में खुलकर चर्चा हो. रामनाथ कोविंद देश के लिए वन नेशन वन इलेक्शन के मॉडल को अहम बता रहे हैं. उनका कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन का लागू होना, देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘जिस दिन हमारी अर्थव्यवस्था 10%-11% तक बढ़ जाएगी, हमारा देश दुनिया की शीर्ष तीसरी-चौथी अर्थव्यवस्थाओं की कतार में होगा. भारतीय की सर्वांगीण प्रगति के लिए यह मॉडल सक्षम है.’
जरूर पढ़ें: DRDO ने उड़ाई दुनिया की नींद, बना रहा ऐसा हथियार-दुश्मनों पर बरसाएगा मौत, चीन ही नहीं रूस-अमेरिका भी हैरान!
इकोनॉमी को कैसे मिलेगा बूस्ट?
कोविंद कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया अपनाए जाने से देश की इकोनॉमी को काफी बूस्ट मिलेगा. वन नेशन वन इलेक्शन की प्रक्रिया को अपनाए जाने से भारतीय इकोनॉमी पर असर--
-
जीडीपी ग्रोथ 1.5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है.
-
नेशनल ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (निवेश) का अनुपात करीब 0.5% बढ़ जाएगा.
-
सार्वजनिक खर्च 17.67% तक बढ़ जाएगा. पूंजीगत खर्च बढ़ने से जीडीपी ग्रोथ को मजबूती मिलती है.
-
महंगाई के मोर्चे पर भी इस प्रक्रिया से बड़ा फायदा मिलेगा. इससे महंगाई में कमी आ सकती है.
-
चुनाव के 2 वर्ष पहले और 2 वर्ष बाद राजकोषीय घाटा 1.28% तक बढ़ सकता है.
जरूर पढ़ें: मुस्लिम इलाकों में और कितने बंद पड़े मंदिर? संभल-वाराणसी में टेंपल मिलने से उठा सवाल, अब हिंदू उठाएंगे ये कदम!