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भगवान न करे एश्टन कचर को हुई बीमारी किसी को भी हो, बेहद जानलेवा है

हॉलीवुड स्टार एश्टन कचर ने खुलासा किया कि दो साल पहले वस्कुलाइटिस बीमारी की वजह से उनकी देखने-सुनने की क्षमता खत्म हो चुकी थी. इस बीमारी से उबरने में उन्हें साल भर लगा और अब वह जिंदगी में आगे बढ़ रहे हैं.

Updated on: 12 Aug 2022, 07:09 PM

highlights

  • हॉलीवुड अभिनेता एश्टन कचर दुर्लभ किस्म की ऑटोइम्यून कंडीशन के शिकार रहे
  • आसानी से पकड़ में नहीं आने वाली वस्कुलाइटिस से उबरने में कचर को लगा एक साल
  • सबसे बड़ी और परेशान करने वाली बात यह कि इसका अभी तक कोई उपचार भी नहीं

नई दिल्ली:

हॉलीवुड अभिनेता एश्टन कचर ने हाल ही में खुलासा किया कि वह बेहद दुर्लभ किस्म की ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित रहे थे. मेडिकल की भाषा में इस बीमारी को वस्कुलाइटिस कहा जाता है, जिसमें रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है और इस कारण जलन रहती है. कचर (Ashton Kutcher) ने यह खुलासा नेशनल ज्योग्राफिक पर प्रसारित होने वाले बेयर ग्रेल्स के शो रनिंग वाइल्ड विद बेयर ग्रेल्सः द चैलेंज (Running Wild with Bear Grylls: The Challenge) पर किया था. इस शो पर एश्टन कचर ने बताया था कि दो साल पहले इस बीमारी की वजह से उनके देखने-सुनने की क्षमता पर भयंकर प्रभाव पड़ा था. उन्होंने यह भी बताया कि वस्कुलाइटिस (Vasculitis) बीमारी से उबरने में उन्हें साल भर लगे. हालांकि इस एपिसोड के प्रसारित होते ही अफवाहों का बाजार गर्म हो गया, तो एश्टन कचर ने ट्वीट कर अपनी सफाई दी. उन्होंने कहा कि यह शो तीन साल पहले प्रसारित हुआ, जिसका रिपीट टेलीकास्ट फिर अभी फिर किया गया अब मैं इस बीमारी से पूरी तरह उबर चुका हूं और जिंदगी में आगे बढ़ रहा हूं.

है क्या वस्कुलाइटिस बीमारी
वस्कुलाइटिस एक बेहद दुर्लभ किस्म की ऑटोइम्यून कंडीशन है. यह बीमारी तब सिर उठाती है जब किसी व्यक्ति के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र रक्त वाहिकाओं पर ही हमला करने लगता है. इसकी वजह से जलन तो होती है और नसें, धमनियां और छोटी केशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक इसकी वजह से शरीर के विभिन्न अंगों तक खून का प्रवाह बाधित होने लगता है या पूरी तरह से रूक जाता है. जिसकी वजह से वह अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है और इसमें आंतरिक रक्तस्राव से व्यक्ति की जान तक जा सकती है. वस्कुलाइटिस को एंजाइटिस और आर्टिराइटिस भी कहते हैं. यह किसी दवा, संक्रमण या अन्य बीमारी की वजह से भी हो सकता है. हालांकि इसका कारण अधिकांश मामलों में पता ही नहीं चलता.

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वस्कुलाइटिस के लक्षण
वस्कुलाइटिस से पीड़ित कुछ लोगों में बहुत कम लक्षण उभरते हैं. इनमें भी थकान, बुखार, सामान्य दर्द-खिंचाव, वजन गिरना और भूख नहीं लगना. विशेषज्ञों के मुताबिक वस्कुलाइटिस के लक्षण शख्स दर शख्स अलग होने के पीछे इसके अलग-अलग प्रकार होते हैं. यानी कुछ में बेहद सामान्य लक्षण उभरते हैं, जो किसी भी अन्य बीमारी की वजह से भी हो सकते हैं, तो कुछ में बेहद गंभीर लक्षण दिखाई पड़ते हैं. मसलन

  • कान-नाक की समस्या, जिसमें साइनस और कान के संक्रमण समेत बहरापन और सुनने में परेशानी हो सकती है.
  • आंख से जुड़ी समस्याएं भी सिर उठाने लगती हैं. मसलन जलन होना, देखने में समस्या या दृष्टिहीनता.
  • मुंह में सूजन, पेट दर्द, हैजा और उलटी आना भी इसके लक्षण हैं.
  • शरीरे के जोड़ों में दर्द समेत नाड़ी संबंधी समस्याएं सामने आती हैं. मसलन सनसनाहट, कोई अंग सुन्न पड़ना, कमजोरी, ताकत नहीं रहना और अंगों में तेज दर्द भी वस्कुलाइटिस के लक्षण हो सकते हैं.
  • एनआईएच के मुताबिक वस्कुलाइटिस जानलेवा भी साबित हो सकती है. इसकी वजह से रक्तचाप खतरनाक स्तर तक बढ़ या कम हो सकता है, दिल का दौरा, धड़कनों के अनियमित होने समेत दिल में तेज जलन भी हो सकती है. इसके अलावा अन्य जानलेवा स्थितियां गुर्दा फेल होने या फेफड़ों में रक्तस्राव के रूप में भी सामने आ सकती हैं.  

वस्कुलाइटिस की वजह
वस्कुलाइटिस किसी शख्स में क्यों उभरती है, इसकी सटीक वजह स्पष्ट नहीं है. हालांकि कुछ खास लोग विशेषकर उम्रदराज मरीज इसकी चपेट में ज्यादा आ सकते हैं. धूम्रपान और प्रतिबंधित मादक पदार्थों का सेवन भी वस्कुलाइटिस के खतरे को बढ़ाता है. इसके अलावा परिवार के अन्य सदस्यों की अन्य स्थितियां भी वस्कुलाइटिस को उभार सकती हैं. मसलन लिम्फोमा, हेपेटाइटिस बी या सी या इम्यून डिसऑर्डर भी वस्कुलाइटिस की आशंका बढ़ाता है.

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वस्कुलाइटिस की पहचान और उपचार
वस्कुलाइटिस की पहचान करना आसान नहीं है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षणों में थकान, बुखार और वजन गिरना होता है. ये लक्षण किसी अन्य बीमारियों की वजह से भी हो सकते हैं. फिलवक्त वस्कुलाइटिस का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन शुरुआती स्तर पर इसकी पहचान हो जाने पर कुछ दवाओं से रक्त वाहिकाओं को होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है. यानी शुरुआती पहचान ही उपचार है, जिसके बाद स्थिति को हाथ से बाहर जाने से रोका जा सकता है.