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Hindu Population Decreased 8 Percent In ESP PM Report( Photo Credit : Social Media)
Hindu Population Decreased: लोकसभा चुनाव के बीच एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. दरअसल प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली इकोनॉमी एडवायजरी काउंसिल (ESP-PM) ने एक अहम जानकारी और आंकड़े साझा किए हैं. इसके मुताबिक, भारत में बीते 65 वर्ष में हिंदुओं की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है. ये गिरावट करीब 8 फीसदी तक दर्ज की गई है. यही नहीं इस रिपोर्ट में एक और आंकड़ा साझा किया गया है और वह मुस्लिम आबादी का आंकड़ा. रिपोर्ट की मानें तो इन्हीं 65 वर्षों में भारत में मुस्लिमों की आबादी में 43 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है.
तेजी से घट रही है हिंदुओं की आबादी
इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल ने यह रिपोर्ट 1950 से 2015 के बीच यानी देश के 65 वर्षों में जनसंख्या पर बनाई है. इसी रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि बीते करीब 7 दशक में भारत में बहुसंख्यकों की ही आबादी 7.82 फीसदी घट गई है. इसे और आसान तरीके से समझें तो 1951 में भारत में हुई जनगणना में हिंदुओं की संख्या 84.10 फीसदी थी, लेकिन 65 साल बाद यह आंकड़ा 77.52 फीसदी ही रह गया है. यानी इसमें 7.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
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मुस्लिमों की आबादी में ऐसे हो रहा इजाफा
एक तरफ भारत में बहुसंख्यक तेजी से कम हो रहे हैं तो दूसरी तरफ अल्पसंख्यक खास तौर पर मुस्लिमों की आबादी में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक 1951 की जनगणना में मुस्लिमों की संख्या 9.84 फीसद थी, जो वर्ष 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गई है. यानी मुस्लिमों की जनसंख्या में पूरे 43.15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
भारत में ईसाइयों का भी बढ़ा ग्राफ
भारत ने सिर्फ मुस्लिमों का बल्कि अल्पसंख्यक कहे जाने वाले ईसाइयों का ग्राफ भी बीते 65 वर्षों में बढ़ा है. 1950 में जहां भारत में ईसाइयों की जनसंख्या 2.24 प्रतिशत थी, वहीं 2015 यानी 6 दशक बाद यह आंकड़ा बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गया है. इस लिजाज से ईसाई भी भारत में करीब 5.38 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं. मुस्लिमों के मुकाबले यह आंकड़ा भले ही कम है लेकिन भारत में अल्पसंख्यक अच्छे फल फूल रहे हैं.
भारत में ये अल्पसंख्यक समुदाय भी बढ़े
मुस्लिम और ईसाई ही नहीं भारत में अन्य अल्पसंख्यक समुदाय भी बीते 65 वर्षों में अच्छे से बढ़े हैं. इनमें तीसरे नंबर पर सिक्ख समुदाय है. सिक्ख समुदाय की बात करें तो 1950 में इनकी जनसंख्या 1.24 फीसदी थी, जबकि 65 वर्ष बाद यानी 2015 में यह आंकड़ा 1.85 प्रतिशत हो गया. 6 दशक में सिक्ख समुदाय की जनसंख्या में 6.58 फीसद का इजाफा देखने को मिला है. वहीं एक और अल्पसंख्य समुदाय बौद्ध धर्म की बात करें तो इनकी जनसंख्या भी 65 साल पहले भारत में 0.05 फीसदी थी, जो 2015 में बढ़कर 0.81 फीसदी पहुंच गई.
भारत में दो अन्य धर्मों की आबादी में भी गिरावट दर्ज की गई है, इनमें जैन और पारसी धर्म शामिल है. 1950 में पारसी समुदाय की हिस्सेदारी 0.3 प्रतिशत थी, जो 2015 यानी 65 वर्ष बाद 0.004 फीसदी रह गई है. यानी 85 परसेंट की गिरावट आई.
इस स्टडी का क्या है मकसद
इस स्टडी को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की ओर से किया गया है. इसकी अध्यक्षता डॉ. विवेक देबरॉय ने की है. जबकि इस टीम में संजीव सान्याल, डॉ. शमिका रवि सदस्य हैं. इसके अलावा इस टीम के अल्पकालीक सदस्यों में राकेश मोहन और डॉ. साजिद जेड चिनॉय का नाम शामिल है.
इस रिपोर्ट को डॉ. शमिका के नेतृत्व में अब्राहम जोश और अपूर्व कुमार मिश्रा ने तैयार किया है. इस रिपोर्ट के मकसद की बात करें तो इसके पीछे उद्देश्य आबादी का आर्थिक नीतियों पर असर को परखना है. आने वाले दिनों में भारत सरकार इसको लेकर अहम फैसले भी ले सकती है.
कितने देशों पर की गई जनसंख्या स्टडी
इस जनसंख्या स्टडी को सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनिया के 167 देशों के आधार पर तैयार किया गया है. खास बात यह है कि इस स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर देशों में बहुसंख्यक आबादी बीते दशकों में घटी है. हालांकि मुस्लिम बहुसंख्यक वाले देशों में ऐसा देखने को नहीं मिला है वहां पर बहुसंख्यक आबादी में इजाफा ही देखने को मिला है.
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पाकिस्तान में 80 फीसदी हिंदू आबादी हुई कम
पाकिस्तान की बात करें तो यहां पर 1950 में मुस्लिमों की संख्या 84 फीसदी थी. जो 2015 में बढ़कर 93 फीसदी हो गई. यानी पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुस्लिमों की संख्या में 10 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. वहीं पाकिस्तान में हिंदू आबादी की बात की जाए तो इसमें भी गिरावट दर्ज की गई है. 65 वर्ष पहले जहां पाकिस्तान में हिंदू 13 फीसदी थे, वहीं 2015 में इनकी संख्या घटकर सिर्फ 2 फीसदी रह गई है. यानी पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या में 80 फीसदी की गिरावट आई है.
हिंदुओं की आबादी नेपाल-बांग्लादेश में भी हुई कम
भारत और पाकिस्तान ही नहीं पड़ोसी देशों में भी हिंदुओं की आबादी में खासी गिरावट दर्ज की गई है. इसमें 1950 में बांग्लादेश जो पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था उसमें हिंदुओं की संख्या 23 फीसदी थी, जो 2015 में घटकर 8 फीसदी रह गई. यानी हिंदू आबादी में यहां 66 फीसदी कमी देखने को मिली है.
वहीं नेपाल जो हिंदू राष्ट्र भी कहलाता है वहां भी हिंदुओं की जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है. 1950 में यहां हिंदू आबादी की बात की जाए तो 84 प्रतिशत थी, जो 2015 यानी 65 वर्ष बाद घटकर 81 प्रतिशत रह गई. यानी नेपाल में भी हिंदू बहुसंख्यकों की तादद में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
देशों में बहुसंख्यकों की तादात |
देश | बहुसंख्यकों का प्रतिशत घटा |
म्यांमार | 9.84 |
भारत | 7.82 |
नेपाल | 3.61 |
मालदीव | 1.47 |
अफगानिस्तान | 0.29 |
पाकिस्तान | 3.75 |
श्रीलंका | 5.25 |
Share of Hindus shrunk 7.8% between 1950 and 2015. Muslim population grew at 43%.
This is what decades of Congress rule did to us. Left to them, there would be no country for Hindus. pic.twitter.com/xNUramJyNE
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) May 9, 2024
गर्माई सियासत, बीजेपी ने कांग्रेस को बताया जिम्मेदार
भारत में हिंदू आबादी के घटने के बाद सियासी पारा भी हाई हो गया है. भारतीय जनता पार्टी ने इसके पीछे कांग्रेस की नीति को जिम्मेदार बताया है. बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. उन्होंने लिखा- 'दशकों के कांग्रेस शासन ने हमारे साथ यही किया, उन्हें छोड़ दिया जाए तो हिंदुओं के लिए कोई देश नहीं होगा.' दरअसल बीजेपी नेता ने अपने पोस्ट के साथ इस स्टडी पर प्रकाशित एक खबर भी साझा किया है.
Source : Manoj Sharma