Dawood Ibrahim: 'डोंगरी से दुबई' तक ये है दाऊद इब्राहिम की 'क्राइम फाइल'
Dawood Ibrahim: भारत के भगोड़े अपराधी दाऊद इब्राहिम की क्राइम कुंडली पर डालें एक नजर, झुग्गी बस्ती से निकलर बना भारत का मोस्ट वांटेड डॉन, पाकिस्तान के कराची स्थित अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहा.
highlights
- भारत के भगोड़े अपराधी दाऊद इब्राहिम की क्राइम कुंडली
- 1955 में झुग्गी में हुआ जन्म, अब कराची से चला रहा नेटवर्क
- भारत को दहलाने के लिए रची कई साजिशें, 1993 का सीरियल ब्लास प्रमुख
New Delhi:
Dawood Ibrahim: अंडरवर्ल्ड डॉन और भारत को भगोड़े अपराधी दाऊद इब्राहिम की सेहत को लेकर सोशल मीडिया पर बड़ा दावा किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दाऊद इब्राहिम को किसी अज्ञात सख्स ने जहर दे दिया है. इसके चलते दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान के कराची स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस दावे के साथ-साथ ये भी बताया जा रहा है कि जिस अस्पताल में दाऊद इब्राहिम का इलाज चल रहा है वहां सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है. दाऊद की सेहत से जुड़ी इस खबर के बीच पाकिस्तान में गूगल सर्विसेज और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ठप किए जाने का भी दावा किया जा रहा है. ये दावा पाकिस्तान की एक पत्रकार आरजू कासमी ने किया है. उसके मुताबिक दाऊद की सेहत काफी गंभीर बताई जा रही है.
अंतिम सांसे गिन रहे भारत के इस मोस्ट वांटेड अपराधी दाऊद इब्राहिम का मकसद भारत में दहशत फैलाना था. 1993 के ब्लास्ट के बाद भारत छोड़कर भागा यह मास्टरमाइंड डोंगरी एक साधारण परिवार से निकलर दुबई पहुंचा अपराध की दुनिया का आका कैसे बना? आइए इस रिपोर्ट पर डालते हैं एक नजर...
चोरी से शुरुआत
दाऊद इब्राहिम कासकर का जन्म 1955 में डोंगरी स्थित एक गरीब परिवार में हुआ. पिता थाने में हवलदार थे, लिहाजा उनकी कमाई इतनी नहीं थी कि बच्चों को मनचाहे जिंदगी दे सकें. गरीबी में पले दाऊद के सपने शुरू से ही बड़े थे. खुद से अमीर लोगों को देखकर दाऊद का मन भी बड़े शौक पालने का होने लगा था.
स्कूल से भागकर दोस्तों के साथ मस्ती करते-करते दाऊद इब्राहिम ने छोटी-छोटी चोरियों के साथ अपने अपराध करियर की शुरुआत की. शुरू में वह छोटी-मोटी खाने-पीने की दुकाने से खाने की चीजें चुराने लगा. फिर ये काम धीरे-धीरे बड़े सामानों तक पहुंच गया. 1974 में ही दाऊद इब्राहिम हाजी मस्तान जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन का करीबी बन गया और बाद में उसी के साथियों के साथ गैंगवार शुरू कर दी.
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सट्टेबाजी और डकैती
80 के दशक में ही दाऊद इब्राहिम को अपने क्राइम करियर का ग्राफ बढ़ाने के बारे में समझ आ गया था. पिता के लाख समझाने के बाद भी दाऊद के कदम लगातार क्राइम के दलदल में बढ़ते गए. चोरी से शुरू हुआ दाऊद का सफर सट्टेबाजी और डकैती तक पहुंच गया. पुलिस थानों में भी दाऊद इब्राहिम के कारनामों की फहरिस्त लंबी होती गई.
80 के दशक में ही करीम लाला से जुड़ा
दाऊद इब्राहिम चोरी, डकैती और सट्टेबाजी जैसे अपराधों के जरिए धीरे-धीरे अपने पैर पसारने लगा. इस बीच उसकी मुलाकात उस वक्त के डॉन करीम लाला से हुई. 1981 में दाऊद इब्राहिम और उसके साथी शब्बीर को गैस स्टेशन पर घेर लिया गया और इसमें शब्बीर मार गिराया गया. बाद में दाऊद ने शब्बीर के तीनों हत्यारों को मार गिराया.
इसी बीच करीम लाला के जरिए दाऊद ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी कदम रखा. अभिनेता के तौर पर नहीं बल्कि फाइनेंसर के तौर पर. अपने काले धन को दाऊद ने ग्लैमर वर्ल्ड में लगाना शुरू कर दिया. खास बात यह है कि वह बॉलीवुड के ही प्रोड्यूसर और बड़े सितारों से प्रोटेक्शन के नाम पर उगाही करता फिर उसी पैसे को बतौर फाइनेंसर फिल्मों में लगा देता. लेकिन ये तो दाऊद का एक छोटा सा काम था.
दहशत फैलाने लगा
चोरी, सट्टे के बाद दाऊद ने बड़े कारनामे करना शुरू कर दिए. दाऊद इब्राहिम खुद को मुंबई का राजा मानने लगा. 1984 से 86 के बीच दाऊद इब्राहिम भारत छोड़कर दुबई भाग गया. यहां पर दाऊद इब्राहिम एक व्हाइट हाउस में रहने लगा. मुंबई में दाऊद का काम छोटा राजन ने संभाल लिया और आका के कहने पर काम करने लगा.
1991 में घटने लगा दाऊद का साम्राज्य
1991 में दाऊद को बड़ा झटका लगा. दरअसल देश में विदेशी व्यापारियों को निवेश की मंजूरी मिली और इसके चलते इलेक्ट्रॉनिक चीजें जापान और चीन से खरीदी जाने लगीं. दाऊद की खेप वाले जहाजों की संख्या घटने लगी और जिससे दाऊद को बड़ा घाटा हुआ. इस वजह से दाऊद की सीधे पुलिस से भी मुठभेड़ होने लगी.
1993 में माले गांव बम ब्लास्ट
1993 में बाबरी मस्जिद को गिराने के बाद मुंबई में एक और बड़ी घटना से पूरे देश को हिलाकर रख दिया. मुंबई में एक के बाद एक 13 सिलसिलेवार धमाके हुए. इन धमाकों के पीछे और कोई नहीं दाऊद इब्राहिम ही था. इस घटना में 250 लोग मारे गए. इस क्राइम के अंजान देने वाले दाऊद को एफबीआई और इंटरपोल ने अपनी सूची में शामिल कर लिया.
2003 ग्लोबल टेररिस्ट घोषित
गिरफ्तारी से बचने के लिए दाऊद हमेशा के लिए भारत छोड़ कर भाग गया. इसके बाद दाऊद ने पाकिस्तान के कराची में अपना ठिकाना बनाया और वहीं पर संरक्षण भी ली. तभी से दाऊद भारत के खिलाफ कराची से ही साजिशें रच रहा है. 2003 में दाऊद इब्राहिम को ग्लोबल टेरिस्ट घोषित कर दिया गया.
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