Budget 2023: उद्योग क्या उम्मीद कर रहा है और आमजन को क्या उम्मीद करनी चाहिए... जानें
कोविड-19 संक्रमण के दौरान बेइंतहा बढ़े राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार का लक्ष्य अप्रैल से वित्तीय वर्ष में खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर खर्च को घटाकर 3.7 ट्रिलियन रुपये यानी 44.6 बिलियन डॉलर करना है, जो इस वर्ष से 26 प्रतिशत कम है.
highlights
- मोदी सरकार के लिए नई नौकरियां पैदा करना और गरीबी कम करना प्राथमिकता
- केंद्र को राजकोषीय संतुलन बनाए रखने में कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा
- पीएचडीसीसीआई ने स्वास्थ्य बजट के मद में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि की मांग की
नई दिल्ली:
बजट (Budget 2023) 1 फरवरी को पेश करने के लिएवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) पूरी तरह से तैयार हैं. उनसे उम्मीदें और आशाएं बहुत अधिक हैं, चाहे वह घरेलू आबादी हो जो कर छूट (Tax Exemption) की मांग कर रही हो या फिर विनिर्माण क्षमता का दोहन करने की तलाश कर रहीं अंतरराष्ट्रीय कंपनियां. निवेशक (Investors) और करदाता (Taxpayers) दोनों अतिरिक्त कर लाभ और कम कर दरें चाहते हैं. 2024 की गर्मियों में आम चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) से पहले यह अंतिम बजट होगा और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सत्ता में तीसरे कार्यकाल की उम्मीद में हैं. वैश्विक मंदी और उच्च मुद्रास्फीति की चिंताओं के बीच मोदी सरकार से आगामी बजट के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की उम्मीद है. जुलाई से सितंबर की अवधि में 3.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (Economy) एक साल पहले 6.3 फीसदी बढ़ी, जो शुरुआती पिछले तीन महीनों के विस्तार से आधी से भी अधिक है. आम चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार के लिए नई नौकरियां पैदा करना और गरीबी को कम करना प्राथमिकता है. इसके साथ ही उनकी सरकार को राजकोषीय संतुलन बनाए रखने में एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. यह वह पैमाना है जिस पर निवेशकों और रेटिंग कंपनियों की गहरी निगाहें रहती हैं. मार्च 2023 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 6.4 फीसद के घाटे का बजट बनाया गया, जो कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के पहले वर्ष के दौरान 9.2 फीसद के अंतर से काफी कम है. सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक इसे सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में 4.5 फीसद से कम घोटे की दर पर लाना है.
कर रियायतों की उम्मीद है बड़ी
निवेशक और करदाता दोनों ही अतिरिक्त कर लाभ और कम कर दरें चाहते हैं. ऐसे में सरकार बजट में आयकर छूट के मौजूदा 2.5 लाख रुपये के स्तर को बढ़ा सकती है. यह कदम अगर फलीभूत होता है, तो आमजन के हाथों में अधिक डिस्पोजेबल आय आएगी. इससे खपत को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक सुधार भी संभव है. अभी तक आय का अधिकतम स्लैब 2.5 लाख रुपये है, जो आयकर के लिहाज से देय नहीं है. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने सरकार से स्टार्टअप्स के लिए कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना कराधान सुधारों के दायरे का विस्तार करने का अनुरोध किया है. एक बयान में कहा गया है कि स्टार्टअप्स के लिए ईएसओपी प्रतिभा को आकर्षित करने और प्रोत्साहित करने का केंद्रीय आधार है. उद्योग निकाय ने कहा कि इस पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि प्राप्तकर्ताओं के पास उस समय तैयार नकदी नहीं होती है और कराधान शेयरों की अंतिम बिक्री पर होना चाहिए. पूंजीगत लाभ कर पर कर दरों को लेकर उद्योग निकाय ने दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) करों पर मौजूदा अधिभार को युक्तिसंगत बनाने के बारे में कहा है. अभी लिस्टेड शेयरों से होने वाले कैपिटल गेन पर 10 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि अनलिस्टेड शेयरों से होने वाले कैपिटल गेन पर 20 फीसदी टैक्स लगता है. उद्योग निकाय ने कहा कि सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध दोनों तरह के शेयरों के लिए समान स्तर का करभार होना चाहिए. वर्तमान में 31 मार्च 2023 तक इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए स्वीकृत ऋण पर ब्याज प्रति वर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की कटौती के लिए पात्र है. इस कटौती का दावा तब तक किया जा सकता है जब तक कि खरीदार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए लिया गया कर्ज पूरी तरह से चुका नहीं दिया जाता है. करदाता 31 मार्च 2025 तक स्वीकृत ऋणों के लिए इस कर लाभ के दो और वर्षों के विस्तार की उम्मीद कर सकते हैं.
उद्योग और सेक्टर केंद्रित रियायतें
उर्वरक
कोविड-19 संक्रमण के दौरान बेइंतहा बढ़े राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार का लक्ष्य अप्रैल से वित्तीय वर्ष में खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर खर्च को घटाकर 3.7 ट्रिलियन रुपये यानी 44.6 बिलियन डॉलर करना है, जो इस वर्ष से 26 प्रतिशत कम है. चालू वित्तीय वर्ष में ही खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर भारत के 39.45 ट्रिलियन रुपये के कुल बजट का आठवां हिस्सा खर्च किया गया है. हालांकि अब जब अगले साल ही आम चुनाव होने वाले हैं, तो खाद्य सब्सिडी में कटौती राजनीतिक रूप से संवेदनशील साबित हो सकती है.
स्वास्थ्य
उद्योग निकाय पीएचडीसीसीआई ने कहा कि स्वास्थ्य बजट में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि की जानी चाहिए, क्योंकि देश भर में स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता बढ़ी है.
इलेक्ट्रिक वाहन
सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने फेम-II योजना के तहत ई-वाहनों के लिए सब्सिडी में और विस्तार दिए जाने की मांग की है. उद्योग ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए हल्के से भारी वाणिज्यिक वाहनों को भी इसमें शामिल करने की मांग की है.
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आभूषण
रत्न और आभूषण क्षेत्र के निर्यात और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने आगामी बजट में सोने पर आयात शुल्क में कमी की मांग की है. चालू खाते के घाटे और पीली धातु के बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए इस साल जुलाई में केंद्र ने सोने पर आयात शुल्क 10.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया था. सोने पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 12.5 फीसदी है. 2.5 प्रतिशत के कृषि अवसंरचना विकास उपकर (एआईडीसी) के साथ प्रभावी स्वर्ण सीमा शुल्क 15 प्रतिशत होगा.
एल्युमीनियम
एसोचैम ने एल्युमीनियम उद्योग के लिए महत्वपूर्ण कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क में कमी और उल्टे शुल्क संरचना में सुधार की मांग की है, क्योंकि उच्च आयात शुल्क आयातित कच्चे माल पर अत्यधिक निर्भर इस क्षेत्र के लिए नुकसान का एक बड़ा सौदा बन रहा है.
31 जनवरी से शुरू होगा संसद का बजट सत्र
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने और 6 अप्रैल को समाप्त होने की उम्मीद है. सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट पेश करने की संभावना है. संसद सत्र का पहला चरण 10 फरवरी तक चलने की उम्मीद है. संसद के पिछले सत्र के दौरान लोकसभा में नौ बिल पेश किए गए और सात बिल संसद के निचले सदन द्वारा पारित किए गए. राज्य सभा ने नौ विधेयक पारित किए और सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयकों की कुल संख्या नौ थी.
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