Budget 2023: ऐसे तैयार किया जाता है केंद्रीय बजट... जानें प्रक्रिया शुरुआती मीटिंग्स से राष्ट्रपति की स्वीकृति तक
बजट बनाने की चरणबद्ध प्रक्रिया अगस्त-सितंबर महीने में शुरू होती है. इसमें प्री-बजट मीटिंग्स से लेकर हलवा परंपरा तक शामिल रहती हैं. इसका समापन संसद में बजट की प्रस्तुति और राष्ट्रपति द्वारा इसकी स्वीकृति के साथ होता है.
highlights
- हर साल अगस्त-सितंबर महीने से शुरू होती है बजट निर्माण की प्रक्रिया
- बजट तैयार करने में कई चरणबद्ध परिपाटियों को लाया जाता है अमल में
- राष्ट्र के विकास और सरकार के कामों का निर्धारण करता है केंद्रीय बजट
नई दिल्ली:
भारत सरकार हर साल 1 फरवरी को केंद्रीय बजट (Union Budget 2023) पेश करती है. केंद्रीय बजट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की राजकोषीय नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करता है. बजट (Budget 2023) बनाने की प्रक्रिया इसे पेश करने की तारीख से लगभग छह महीने पहले हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में शुरू हो जाती है. यह सरकार के लिए अपना राजस्व खर्च करने और विभिन्न विकास योजनाओं और अन्य तत्काल जरूरतों के लिए धन आवंटित करने की योजना बतौर देखा जाता है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) इस साल अपना पांचवां बजट पेश करेंगी. यह बजट मोदी सरकार (Modi Government) 2.0 का आखिरी पूर्णकालिक बजट भी होगा, क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) की वजह से केंद्र सरकार अंतरिम बजट ही पेश कर सकेगी. ऐसे में बजट बनाने की प्रक्रिया को उसके चरणबद्ध तरीके से एक-एक कर समझते हैं.
पहला चरण
वित्त मंत्रालय बजट बनाने की प्रक्रिया के प्रारंभिक चरण में सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त संस्थाओं को सर्कुलर जारी करता है. इस सर्कुलर में मूलभूत विवरण के अलावा बजट से जुड़े आवश्यक दिशा-निर्देश शामिल रहते हैं. इसके आधार पर विभिन्न मंत्रालय अपनी जरूरतों और मांगों को केंद्र सरकार के समक्ष जाहिर करते हैं. मंत्रालय पिछले वित्तीय वर्ष की अपनी कमाई और खर्च का खुलासा कर उसी आधार पर अगले वित्त वर्ष के लिए एक अनुमान व्यक्त करते हैं. मंत्रालयों की ओर से यह जानकारी मिलने के बाद शीर्ष सरकारी अधिकारी इसका मूल्यांकन करते हैं फिर मंत्रालयों और व्यय विभाग के साथ चर्चा करते हैं.
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दूसरा चरण
एक बार जानकारी की पुष्टि हो जाने के बाद वित्त मंत्रालय आने वाले खर्चों के लिए तमाम डिवीजनों को राजस्व आवंटित करता है. पैसे के बंटवारे पर किसी तरह की असहमति की स्थिति में वित्त मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल या प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श करता है. केंद्रीय बजट में अन्य जरूरतों को समझने के लिए आर्थिक मामलों और राजस्व विभाग कृषकों, छोटे व्यवसायियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों सहित अन्य हितधारकों से भी सलाह-मशविरा करता है.
तीसरा चरण
वित्त मंत्रालय विभिन्न हितधारकों के साथ उनकी सिफारिशों और आवश्यकताओं के बारे में जानने के लिए प्री-बजट मीटिंग्स की व्यवस्था भी करता है. इन प्रतिभागियों में राज्य के प्रतिनिधि, कृषक, बैंकर, अर्थशास्त्री और ट्रेड यूनियन नेता शामिल रहते हैं. इन सभी लोगों की मांगों और अनुरोधों पर विचार करने के बाद अंतिम स्वीकृति से पहले एक बार फिर प्रधानमंत्री के साथ इस पर चर्चा होती है.
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चौथा चरण
बजट की घोषणा से कुछ दिन पहले सरकार वार्षिक परंपरा के तहत हलवा समारोह आयोजित होता है. यह समारोह बजट दस्तावेज़ के छपने की शुरुआत माना जाता है. हलवा परंपरा के तहत एक विशाल कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है. इस हलवे को वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों और बजट हितग्राहियों को खिलाया जाता है.
पांचवां चरण
संसद में बजट की प्रस्तुति समग्र प्रक्रिया का अंतिम चरण है. बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं. बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री दस्तावेज़ की प्रमुख बातों का सार प्रस्तुत करते हैं और प्रस्तावों के पीछे की सोच की व्याख्या करते हैं. वित्त मंत्री के बजट पेश करने के बाद उस पर चर्चा के लिए संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाता है. दोनों सदनों के अनुमोदन के बाद केंद्रीय बजट को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है. केंद्रीय बजट का निर्माण एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें कई चरणों और परामर्शों का लंबा दौर शामिल होता है. बजट निर्माण के लिए प्रत्येक चरण आवश्यक है ताकि सार्वजनिक धन का विवेकपूर्ण और तर्कसंगत उपयोग करते हुए धन को उचित रूप से आवंटित किया जाए. इस दस्तावेज़ के महत्व को कभी भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यही बजट निर्धारित करता है कि सरकार कैसे कार्य करती है. साथ ही राष्ट्र को विकसित बनाने के लिए अपने संसाधनों को खर्च करती है. यही बातें बजट को महत्वपूर्ण बनाती हैं.
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