Analaksya: PM मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ की नई छलांग, IIT कानपुर ने की चमत्कारिक खोज, अदृश्य हो पाएंगे जेट

Analaksya Stealth Tech: आईआईटी कानपुर ने एक चमत्कारिक खोज की है, जिससे भारतीय फाइटर जेट्स और मिसाइलें गायब हो पाएंगी. यह खोज चीन-पाक के लिए किसी शामत से कम नहीं है.

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Ajay Bhartia
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Analaksya: PM मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ की नई छलांग, IIT कानपुर ने की चमत्कारिक खोज, अदृश्य हो पाएंगे जेट

Analaksya Stealth Tech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम ने एक और नई छलांग लगाई है. आईआईआई कानपुर ने एक चमत्कारिक खोज की है, जिसे अनलक्ष्य मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम (MSCS) नाम दिया है. यह एक स्टील्थ टेक्नोलॉजी है, जिससे भारतीय विमान, फाइटर जेट्स और मिसाइलों अदृश्य हो पाएंगे. इस टेक्नोलॉजी की खोज से भारत की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ेगी. कह जा सकता है कि ये तकनीकि चीन और पाकिस्तान के लिए शामत लाएगी.

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क्या है अनलक्ष्य?

  • अनलक्ष्य एक स्टील्थ टेक्नोलॉजी है, जिसे आईआईटी कानपुर के सिचर्स और स्टूडेंट्स की एक टीम ने बनाया है. यह कपड़ा-आधारित ब्रॉडबैंड मेटामटेरियल माइक्रोवेव अवशोषक है.

  • इसकी सबसे अनोखी खासियत ये है कि ये रडार (Radar Waves) को अवशोषित (Absorb) कर लेता है, जिससे इसे दुश्मन के रडार पकड़ नहीं पाएंगे.

  • भारत के लिए इस खोज के काफी बड़े मायने हैं. इससे देश की सुरक्षा और भी पुख्ता होगी. युद्ध
    के समय विमान, जेट्स और मिसाइलें दुश्मन के रडार की पकड़ में आए बिना अटैक कर पाएंगे.

  • डिफेंस सेक्टर और नेशनल सिक्योरिटी के मोर्चे पर ये खोज भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी. 

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 ‘मेक इन इंडिया’ की नई छलांग

  • अनलक्ष्य स्टील्थ टेक्नोलॉजी ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम की नई छलांग है. ये खोज डिफेंस सेक्टर में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाता है. ‘अनलक्ष्य’ को बनाने में 90% भारतीय सामान का इस्तेमाल किया गया है. 

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  • इस को बनाने में ITT कानपुर 2019 साल से लगा हुआ था. आखिरकार करीब 5 साल बाद उसे सफलता मिली और ‘अनलक्ष्य’ को बनाने का सपना साकार हो पाया. अब इसको डेवलप करने का लाइसेंस मेटा तत्व सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड (Meta Tattva Systems Pvt. Ltd.) दिया गया है.

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एयरफोर्स ऑफिसर हैरान!

अनलक्ष्य स्टील्थ टेक्नोलॉजी की खूबियों को देखकर एयरफोर्स ऑफिसर हैरान रह गए. लॉन्च कार्यक्रम में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित, एयर मार्शल राजेश कुमार और लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन सहित प्रमुख रक्षा अधिकारियों ने भाग लिया, जिन्होंने इस नई खोज के लिए आईआईटी कानपुर टीम की सराहना की. यह टेक्नोलॉजी न केवल स्टील्थ तकनीक में एक छलांग है, बल्कि शिक्षा, उद्योग और सैन्य मोर्च के लिए बड़ी कारगार साबित होगी. इससे युद्ध में दुश्मन के खिलाफ रणनीतिक बढ़त मिल पाएगी.

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