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कोरोना के बाद WHO ने दी इस वायरस की चेतावनी, 2 की मौत- नहीं बनी वैक्सीन

पश्चिमी अफ्रीका के घाना में खतरनाक मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीज पाए जाने के बाद WHO अलर्ट पर है. वायरोलॉजी एक्सपर्ट का मानना है कि मारबर्ग वायरस का संक्रमण दूसरे संक्रामक बीमारी इबोला के वायरस से भी अधिक तेजी से फैल सकता है.

Updated on: 08 Jul 2022, 05:45 PM

highlights

  • मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीज पाए जाने के बाद WHO अलर्ट
  • इबोला की तरह बेहद संक्रामक रक्तस्रावी बुखार लाता है मारबर्ग
  • फिलहाल मारबर्ग संक्रमण के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है

नई दिल्ली:

चीन (China) से दुनिया भर में फैली कोरोनावायरस ( Coronavirus) महामारी (Pandemic) थमने काम नाम नहीं ले रही और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक और खतरनाक वायरस की चेतावनी देकर दुनिया की चिंता बढ़ा दी है. दुनिया में कोरोना कहर के बीच अलग-अलग किस्म की नई बीमारियां लोगों को डरा रही हैं. पश्चिमी अफ्रीकी देशों में नए मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) के दो पॉजिटिव मामले  मिले हैं. संक्रमण की वजह से इन दोनों लोगों की मौत हो गई है.

पश्चिमी अफ्रीका के घाना में खतरनाक मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीज पाए जाने के बाद WHO अलर्ट पर है. वायरोलॉजी एक्सपर्ट का मानना है कि मारबर्ग वायरस का संक्रमण दूसरे संक्रामक बीमारी इबोला के वायरस से भी अधिक तेजी से फैल सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुरुवार को कहा था कि घाना में दो लोगों के नमूने लिए गए थे. उनमें मारबर्ग वायरस की पुष्टि हुई है. दोनों संक्रमितों की मौत हो गई है. 

संक्रमण से लड़ने की तैयारी कर रहा WHO

संगठन ने जोर देकर कहा कि सैंपल के परिणामों की पूरी तरह पुष्टि के लिए सेनेगल के डकार में पाश्चर संस्थान भेजा गया है. यह प्रयोगशाला संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के साथ काम करती है. WHO ने अपने बयान में कहा है कि संभावित खतरे को देखते हुए इस संक्रमण से लड़ने की तैयारी तेजी से की जा रही है. इसके अलावा आगे की जांच भी चल रही है. अगर इस मामले की पुष्टि हो जाती है, तो मारबर्ग संक्रमण पश्चिम अफ्रीका में इबोला संक्रमण के बाद तेजी से बढ़ने वाली दूसरी बीमारी होगी. दक्षिणी अशांती (Ashanti) इलाके के दो मरीजों में दस्त, बुखार, जी मिचलाना और उल्टी समेत कई लक्षण पाए गए थे. 

बीते साल गिनी में मिला था मारबर्ग वायरस

इससे पहले बीते साल गिनी (Guinea) में मारबर्ग वायरस के पहले मामले का पता चला था. उसके बाद अभी तक मारबर्गवायरस से संक्रमित कोई दूसरा मामला नहीं मिला है. WHO के मुताबिक साल 1967 से अब तक मारबर्ग वायरस के दर्जनों मरीज देखे गए हैं. अधिकतर मामले दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका में मिले थे. तब गोला, कांगो, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में मारबर्ग के मामले सामने आए थे. मारबर्ग वायरस के स्ट्रेन और केस प्रबंधन के आधार पर पिछली लहर ​​में मृत्यु दर 24 प्रतिशत से 88 प्रतिशत तक थी.

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चमगादड़ से लोगों में फैला मारबर्ग संक्रमण

WHO ने कहा कि यह मारबर्ग संक्रमण वाली बीमारी इबोला के समान एक बेहद संक्रामक रक्तस्रावी बुखार है. यह चमगादड़ों की एक प्रजाति से लोगों में फैलती है. संक्रमित लोगों के शारीरिक द्रवों और सतहों के संपर्क में आने से इसका प्रसार होता है. संक्रमित होने वालो लोगों में बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं. संक्रमित होने वाले कुछ मरीजों में 7 दिन के अंदर ब्लीडिंग भी हो सकता है. इसके बाद जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. फिलहाल मारबर्ग संक्रमण के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है.