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कुपोषण के मामले में सुधार, खाद्य उत्पादन में भारत अव्वल- UN की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र ( United Nations ) के खाद्य और कृषि संगठन (FAO), कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष (IFAD), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने संयुक्त रूप से यह रिपोर्ट जारी की है.

Updated on: 08 Jul 2022, 04:11 PM

highlights

  • दो साल में 15 करोड़ लोग बढ़े, जिन्हें एक समय का भोजन नहीं मिल सका
  • 2030 तक कुपोषण खत्म करने के अपने तय लक्ष्य से दुनिया दूर जा रही है
  • दुनिया के मुकाबले भारत में कुपोषण की स्थिति में हल्का सुधार दर्ज किया है

नई दिल्ली:

पूरी दुनिया में कोरोनावायरस महामारी ( Coronavirus) के घटने के साथ ही अब बाकी मामलों पर कोविड-19 ( Covid-19 Pandemic) का असर दिखने लगा है. खाद्य उत्पादन और वितरण इसका एक बड़ा उदाहरण है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की रिपोर्ट द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2022 (SOFI) में इससे जुड़े चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 के बाद भूख के साथ लोगों का संघर्ष तेजी से बढ़ा है. साल 2019 में दुनिया में 61.8 करोड़ लोगों का भूख से जूझना पड़ा था. दो साल बाद 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 76.8 करोड़ हो गया है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO), कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष (IFAD), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने संयुक्त रूप से यह रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट का दावा है कि कोरोनावायरस संक्रमण और उसके सुरक्षा उपायों के चलते लगे प्रतिबंधों से दुनिया भर में महज दो साल में 15 करोड़ वैसे लोग बढ़ गए, जिनको एक समय का भोजन नहीं मिल सका. साल 2019 के मुकाले यह 24.3 फीसदी की बढ़त है. इस तरह दुनिया 2030 तक सभी रूपों में भूख, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को खत्म करने के अपने तय लक्ष्य से दूर जा रही है.

UN के हिसाब से क्या है कुपोषण

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 में दुनिया के 76.8 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार पाए गए. इनमें 22.4 करोड़ यानी लगभग 29 फीसदी भारतीय लोग शामिल थे. यानी दुनियाभर में कुल कुपोषितों की संख्या के एक चौथाई से भी अधिक भारतीय लोग हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानें तो एक वक्त का खाना नहीं मिल पाने या भोजन में 50 फीसदी से कम पौष्टिक तत्व होने की स्थित को कुपोषण माना जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक साल दुनिया में 2004-06 में 24 करोड़ आबादी कुपोषित थी. पिछले 15 साल से दुनिया में की वजहों से भुखमरी लगातार बढ़ रही है. बीते दो साल में कोरोना महामारी और प्रतिबंधों के चलते इसकी रफ्तार तेज हो गई है.

भारत में कम हुआ कुपोषण का आंकड़ा

रिपोर्ट में पेश आंकड़े के अनुसार दुनिया के मुकाबले भारत में कुपोषण की स्थिति में हल्का सुधार दर्ज किया गया है. भारत में 15 साल पहले 21.6 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार थी. अब यह आंकड़ा घटकर 16.3 फीसदी आबादी तक सिमट गया है. कोरोना महामारी और प्रतिबंधों से डगमगाई अर्थव्यवस्था के बावजूद भारत में इसे सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा सकता है. भारत सरकार ने दावा किया है कि कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध के असर के बावजूद दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था सही दिशा में तेजी से बढ़ रही है.

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खाद्य उत्पादन में दुनिया में भारत अव्वल

दूसरी ओर खाद्य उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2021 के मुताबिक दूध, दाल, चावल, मछली, सब्जी और गेहूं उत्पादन में भारत दुनिया भर में अव्वल है. वहीं कोरोनाकाल में दुनियाभर में अमीर (संयुक्त राष्ट्र के मानदंडों की मानें तो 200 करोड़ रुपए से ज्यादा संपत्ति वाले) 11 फीसदी बढ़े हैं. पहले की संख्या में कुल 13,637 नए जुड़ गए हैं. इस दौरान 30 से ज्यादा अमीरों की संपत्ति दोगुनी हो गई. वहीं, दूसरी ओर आम भारतीय की औसत संपत्ति सात फीसदी तक घट गई. एक आंकड़े के मुताबिक भारत में अमीर होने की रफ्तार अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों के मुकाबले तेज हो गई है.