logo-image

एक बरगद जो भारत-पाक सैनिकों को देती है छाया, जानें क्या है सीमा चौकी 918 

बरगद का पेड़ कुछ साल पहले विभाजन रेखा नहीं था क्योंकि पिरामिड के आकार का कंक्रीट स्तंभ संख्या 918 वहां खड़ा था. हालांकि, समय बीतने के साथ कंक्रीट का खंभा पेड़ के चौड़े तने के भीतर गायब हो गया.

Updated on: 13 Aug 2022, 06:10 PM

highlights

  • जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुचेतगढ़ को सीमा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया 
  • अंग्रेजों के जमाने की सुचेतगढ़ चुंगी चौकी थी जो अब बीएसएफ की निगरानी चौकी है
  • विभाजन से पहले सुचेतगढ़ जम्मू और सियालकोट के बीच एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन था

नई दिल्ली:

भारत-पाक सीमा किसी न किसी रूप में चर्चा का विषय बना रहता है. भारत-पाक सीमा पर तनाव की स्थिति भी बनी रहती है. लेकिन जम्मू में  सीमा पर स्थित सुचेतगढ़ सीमा चौकी कुछ अलग ही है. सड़क के एक तरफ गांव और दूसरी तरफ खेतों  में धान की फसल लहलहा रही है. यह चौकी दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्य क्षेत्रों में से एक है.  दोनों देशों की सीमा को अलग करता एकमात्र संकेतक एक उच्च विस्तृत बाड़ है. लेकिन सुचेतगढ़ सीमा पर कुछ और है, जो इसे अन्य सीमा चौकियों से अलग करता है, वह है अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) का सीमांकन करने वाला अद्वितीय बरगद का पेड़.यह शायद एकमात्र बिंदु है जहां कोई पारंपरिक ठोस स्तंभ नहीं बल्कि एक पेड़ दोनों देशों की सीमा का सीमांकन करता है.

सुचेतगढ़ चौकी को कुछ वर्षों पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने पर्यटकों को आकर्षित करने वाले  केंद्र के रूप में विकसित किया. सरकार की कोशिशों ने रंग लायी, अब यह स्थान किसी पर्यटन स्थल से कम नहीं है.  यहां उपस्थित लोगों के लिए, यह पिकनिक स्थल जैसा ही लग रहा था, हर कोई तस्वीरें ले रहा था, पोज दे रहा था और रिपोज कर रहा था.

कंक्रीट स्तंभ संख्या 918 कैसे हुआ गायब?

बरगद का पेड़ कुछ साल पहले विभाजन रेखा नहीं था क्योंकि पिरामिड के आकार का कंक्रीट स्तंभ संख्या 918 वहां खड़ा था. हालांकि, समय बीतने के साथ कंक्रीट का खंभा पेड़ के चौड़े तने के भीतर गायब हो गया. हालांकि, भारतीय बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स ने अपनी-अपनी सीमाओं की रक्षा करते हुए पेड़ को नहीं काटा और अंत में पेड़ पर ही 918 का निशान लगा दिया गया. अगला स्तंभ 919 कंक्रीट का बना है लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले पर्यटकों के लिए स्तंभ वृक्ष आकर्षण का केंद्र बन गया है.

सुबह पाकिस्तान तो शाम को भारत की तरफ छाया

इसकी बढ़ती परिधि के साथ, पेड़ का एक किनारा अब भारतीय क्षेत्र में और दूसरा पाकिस्तान में है. सुबह सूर्योदय के समय पेड़ पाकिस्तान में और दोपहर में सीमा के भारतीय हिस्से में अपनी छाया देता है.

दोनों पक्ष उस पेड़ पर अपना दावा नहीं जताते जिसके दोनों तरफ भारत और पाकिस्तान के एक जैसे ठोस प्लेटफार्म हैं, जिस पर बीएसएफ और रेंजर्स के बीच फ्लैग मीटिंग होती है. पाकिस्तान रेंजर्स भारतीय मंच पर बैठते हैं जब भारतीय पक्ष में बैठक होती है और यदि पाकिस्तान द्वारा बैठक बुलाई जाती है तो बीएसएफ अधिकारी पेड़ के दूसरी तरफ मंच पर मिलने के लिए सीमा रेखा पार करते हैं.

भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच इस  सीमा पर लगातार गोलीबारी होने के कारण आईबी पंजाब के वाघा, फिरोजपुर या फाजिल्का में बीएसएफ और पाकिस्तानाी रेंजर्स की बीटिंग रिट्रीट की मेजबानी नहीं करता है.

1947 में विभाजन से पहले सुचेतगढ़ जम्मू और सियालकोट (अब पाकिस्तान में) के बीच एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन था. यह जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन शासक के क्षेत्र में अंतिम स्थान था. उसके बाद पंजाब क्षेत्र का उस समय का एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र  सियालकोट शुरू होता था. 

अंग्रेजों के जमाने में चुंगी चौकी थी सुचेतगढ़  

अंग्रेजों के जमाने की सुचेतगढ़ चुंगी चौकी थी जो अब बीएसएफ की निगरानी चौकी है. सुचेतगढ़ को संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों के लिए पाकिस्तान और इसके विपरीत के लिए क्रॉसिंग पॉइंट के रूप में भी चिह्नित किया गया है.

सुचेतगढ़ को सीमा पर्यटन के रूप में बढ़ावा 

जम्मू-कश्मीर की सरकारों ने लगातार सुचेतगढ़ को सीमा पर्यटन के रूप में बढ़ावा देने के प्रयास किए हैं. सीमा के पास एक और आकर्षण आर्द्रभूमि है जो इन दिनों बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों का घर है. विभिन्न प्रजातियों के लगभग 6000 पक्षी आर्द्रभूमि में देखे जा सकते हैं. इनमें से अधिकांश पक्षी प्रवासी अधिनियम की विभिन्न अनुसूचियों के अंतर्गत संरक्षिक श्रेणी में आते हैं.

यह भी पढ़ें: क्रीमिया के रूसी एय़रबेस पर धमाके... हादसा या हमला समझें इस तरह

आर्द्रभूमि  का मुख्य आकर्षण बार सिर वाला हंस है जो सर्दियों के दौरान बड़ी संख्या में इस क्षेत्र का दौरा करता है. वन्यजीव विभाग द्वारा क्षेत्र में पक्षियों की 67 प्रजातियों को देखा गया है. इनमें लेसर व्हिसलिंग डक, नॉर्दर्न शॉवेलर, इजिप्टियन वल्चर, लॉन्ग-टेल्ड श्रीके, रेड-वेंटेड बुलबुल और इंडियन रॉबिन शामिल हैं.