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Omicron सबसे बड़ा खतरा नहीं! कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से जंग में भी जीत रही भारत की हाईब्रिड इम्यूनिटी

अमेरिका के 6 और राज्यों में ओमीक्रॉन मरीज मिलने के बाद भी वैज्ञानिकों ने माना है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट अब भी सबसे ज्यादा खतरनाक है. सिंगापुर के विशेषज्ञों ने भी कहा है कि ओमीक्रॉन के डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक होने के सबूत सामने नहीं आए हैं.

Updated on: 21 Dec 2021, 10:12 AM

highlights

  • अमेरिका में डेल्टा ही अब तक कोरोना का सबसे ज्यादा खतरनाक वेरिएंट
  • ओमीक्रोन के बारे में और अधिक जानकारियां और अध्ययन की जरूरत
  • ओमीक्रॉन अभिशाप नहीं कोरोना के खिलाफ वरदान भी हो सकता है

New Delhi:

दुनिया के 38 से ज्यादा देशों तक फैल चुके कोरोनावायरस के नए और संक्रामक वेरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर दहशत या खौफ की नहीं सुरक्षा उपायों के पालन करने की जरूरत है. अमेरिका के 6 और राज्यों में ओमीक्रॉन संक्रमित मरीजों के सामने आने के बाद भी वैज्ञानिकों ने माना है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट अब भी सबसे ज्यादा खतरनाक है. वहीं सिंगापुर के विशेषज्ञों ने साफ और आधिकारिक तौर पर कहा है कि ओमीक्रॉन के डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक होने के सबूत सामने नहीं आए हैं. दूसरी ओर हमारे देश में सीएसआईआर का बयान है कि भारतीय लोगों में कोरोना से मुकाबले के लिए हाईब्रीड इम्यूनिटी मिले हैं और ये सकारात्मक बात है.

अमेरिका में डेल्टा ही अब तक सबसे ज्यादा खतरनाक वेरिएंट

अमेरिका में शुक्रवार को न्यू जर्सी, मेरीलैंड, मिसूरी, नेब्रास्का, पेनसेल्वेनिया और उटा में भी ओमीक्रॉन के पहले संक्रमित मरीज की पुष्टि हो गई है. सीडीसी से एक केस को लेकर मिसूरी स्टेट रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है. यह संदिग्ध केस सेंट लूईस का रहने वाला है और अमेरिका के कई राज्यों में हाल ही में सफर कर चुका है. दुनिया भर में हंगामे के बीच अमेरिका के वायरोलॉजिस्ट और हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट ही अब तक सबसे ज्यादा खतरनाक है. यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ( CDC) के निदेशक रोशेल वेलेंस्की ने भी व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ये साफ किया है. दूसरी ओर भले दुनिया भर के राजनेताओं ने संक्रमण की रोकथाम के लिए फिर से पाबंदियों की ओर लौटने की शुरुआत कर दी है.

अब तक नहीं मिले डेल्टा से ज्यादा खतरनाक होने के सबूत

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन से संबंधित लक्षणों के दूसरे वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक होने या मौजूदा वैक्सीनेशन या इलाज के इस पर बेअसर होने के संबंध में फिलहाल कोई सबूत नहीं हैं. सिंगापुर स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

‘चैनल न्यूज एशिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ओमीक्रॉन से संक्रमित दो लोगों ने सिंगापुर से मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की. मंत्रालय ने कहा कि ओमीक्रोन के बारे में और अधिक जानकारियां और अध्ययन की जरूरत है. उनके मुताबिक वैश्विक स्तर पर आने वाले सप्ताह में  ओमीक्रॉन के और अधिक मामले सामने आने की आशंका है.

भारतीय लोगों में विकसित हुई हाइब्रिड इम्यूनिटी 

भारत में काफी दिनों से दूसरे देशों के मुकाबले कोरोनावायरस संक्रमण के कम मामले सामने आ रहे हैं. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के निदेशक और मेडिकल एक्सपर्ट अनुराग अग्रवाल ने बताया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारत में हाइब्रिड इम्यूनिटी है. उन्होंने कहा कि अपने देश में कोरोना की दूसरी लहर में लगभग दो तिहाई लोगों तक कोरोना संक्रमण पहुंचा था. जिसके बाद वैक्सीनेशन ड्राइव चली और ऐसे लोगों में हाइब्रिड इम्यूनिटी डेवलप हुई है. 

 

वहीं केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन को और अधिक तेज करने की बात कही है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक अभी इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि वैक्सीन इस नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर होगी या नहीं. साथ ही इस बात के भी सबूत अब तक सामने नहीं आए हैं कि ओमीक्रॉन वेरिएंट पर वैक्सीन बेअसर हो जाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना समेत कई गंभीर बीमारी से बचाने में वैक्सीन मददगार साबित हुआ है. बूस्टर डोज को लेकर भी लगातार स्टडी और रिसर्च पर जोर दिया जा रहा है.

पेंडमिक की जगह एंडेमिक भी बन सकता है ओमीक्रॉन

दूसरी ओर एम्स के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट हेड और कोविड-19 वैक्सीनेशन इंचार्ज डॉ संजय राय ने बताया कि ओमीक्रॉन अभिशाप नहीं वरदान भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि अभी तक दुनिया में 99 फीसदी डेल्टा वेरिएंट के कोविड-19 मामले सामने आ रहे हैं. जिसमें मृत्यु दर और गंभीरता का खतरा रहता है. इसकी वजह से ही भारत में दूसरी लहर आई थी और हजारों लोगों की जान गई थी, लेकिन अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन से जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार ओमीक्रॉन म्यूटेशन बहुत तेजी से फैलता है, संक्रामक है ,लेकिन गंभीरता वाला खतरनाक नहीं. ऐसे में अगर एक खतरनाक म्यूटेशन की जगह एक माइल्ड लेकिन तेजी से फैलने वाला म्यूटेशन ले लेता है तो संभावना है कि अब इसके बाद कोविड-19 पेंडमिक की जगह एंडेमिक बन जाए.

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हाईब्रिड इम्यूनिटी या प्रतिरक्षा तंत्र का क्या मतलब है

कोरोनावायरस महामारी के दौर मे इम्यूनिटी शब्द का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया गया. इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता या तंत्र. हमारे शरीर की वो शक्ति जिसके सहारे हम लोग किसी भी वायरस से लड़ते हैं. 1908 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार इल्या इल्यीच मेचनिकोव और पॉल एर्लिच को प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून रिस्पॉन्स) की बारीकियां समझाने में उनके योगदान के लिए दिया गया था. 

कोरोना की दो लहरों के दौरान भारतीय लोगों में विभिन्न वायरसों से लड़ने, बामारी से ठीक होने और परहेज-पाबंदियों की वजह से एक खास तरह की इम्यूनिटी विकसित की है. मेडिकल भाषा में इसे हाईब्रिड इम्यूनिटी कहते हैं. कई वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि स्वाभाविक रूप से कोविड से संक्रमित हो और टीकाकरण से पहले ठीक होने वाले लोगों में हाइब्रिड इम्यूनिटी विकसित होती है. जो केवल टीकाकरण से बनने वाली इम्यूनिटी से बेहतर होती है. 

फिर चिंता क्यों कर रहे हैं दुनिया भर के वैज्ञानिक

भले ही वैज्ञानिकों ने सौ साल पहले ही इसकी कार्यप्रणाली को समझ लिया था लेकिन अब भी हमारी जानकारी इसके बारे में बहुत सीमित है. इसलिए वैज्ञानिकों के मन मे चिंताओं का कारण यह है कि प्रतिरक्षा तंत्र एक अत्यंत जटिल जैविक प्रणाली है. प्रतिरक्षा तंत्र और रोगाणुओं के बीच होने वाले इस जंग का सबसे आम लक्षण बुखार है. खतरनाक संक्रमणों को फैलाने वाले अधिकतर वायरस म्यूटेट होने की ताकत की वजह से जन्मजात प्रतिरक्षा तंत्र से बचकर निकलने या उसके असर को कम करने के लिए नए तरीके विकसित कर लिए हैं .बुजुर्गों या पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों में वैसे भी इम्यूनिटी कम होती है. 

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इम्यूनिटी बढ़ाने पर पांच गुना हुआ देश का खर्च

कोरोना के दौर में लोगों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह के कई कोशिशें सामने आई है. ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्टे्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय लोगों ने साल 2020 में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन सप्लीमेंट्स और इम्यूनिटी बूस्टर्स पर करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं. साल 2019 के मुकाबले यह करीब 5 गुना अधिक है. साल 2021 का डेटा आना अभी बाकी है.

इम्यूनिटी बढ़ाने का वैज्ञानिक तरीका

आखिर में ये बता दें कि सही और सन्तुलित भोजन  नियमित शारीरिक और मानसिक व्यायाम, उचित नींद और तनाव से मुक्ति के अलावा नशे से दूरी ही इम्यूनिटी बढ़ाने का आधिकारिक वैज्ञानिक तरीका माना जाता है. इसके अलावा बाकी उपायों को लेकर सिर्फ मनोवैज्ञानिक कारण सामने आए हैं.