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UK PM Boris Johnson Visits India : गुजरात और ब्रिटेन में क्या है सियासी चर्चा

बोरिस जॉनसन का यह पहला गुजरात दौरा केवल उनके भविष्‍य के लिए बेहद अहम बताया जा रहा है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में लगातार 27 साल से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए भी उपयोगी साबित हो सकता है.

Updated on: 22 Apr 2022, 11:11 AM

highlights

  • एक अनुमान के मुताबिक ब्रिटेन में करीब 8 लाख गुजराती रहते हैं
  • ब्रिटेन में पीएम बोरिस जॉनसन पर इस्‍तीफे का दबाव लगातार बढ़ रहा
  • ब्रिटिश पीएम की भारत यात्रा की गुजरात से किए जाने के कई निहितार्थ हैं

New Delhi:

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (UK PM Boris Johnson Visits India) अपने दो दिवसीय भारत यात्रा के पहले दिन गुजरात में बिताने के बाद गुरुवार रात नई दिल्ली पहुंचे. दिल्ली में आज वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात करेंगे. गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है. वहीं ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कुर्सी भी खतरे में दिख रही है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक ब्रिटिश पीएम की भारत यात्रा की शुरुआत गुजरात से किए जाने के पीछे दोतरफा आर्थिक और राजनीतिक फायदा होने की उम्मीद बड़ी वजह है.  

बोरिस जॉनसन का यह पहला गुजरात दौरा केवल उनके भविष्‍य के लिए बेहद अहम बताया जा रहा है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में लगातार 27 साल से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए भी सहयोगी साबित हो सकता है. भारतीय राजनीति के जानकार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की गुजरात यात्रा की तरह ही ब्रिटिश पीएम जॉनसन के गुजरात दौरे को देख रहे हैं. जॉनसन को दिल्‍ली की बजाय पहले गुजरात बुलाने को पीएम मोदी का बड़ा दांव कहा जा रहा है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं दोनों वैश्विक नेताओं के लिए उपयोगी समझे जाने वाले इस यात्रा के क्या निहितार्थ हैं.

साबरमती आश्रम जाने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री 

सबसे पहले बात करते हैं ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन की. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका यह पहला भारत दौरा है. इससे पहले 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस के दिन मुख्‍य अतिथि के रूप में वह भारत आने वाले थे. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण यात्रा रद हो गई थी. भारत में गुजरात से यात्रा शुरू करने और अहमदाबाद में साबरमती आश्रम जाने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इस भारत दौरे से काफी उम्मीदें हैं. इसकी वजह ब्रिटेन में चर्चित 'पार्टी गेट' में फंसे बोरिस जॉनसन की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा है. उन्‍हें हटाने की मांग तेज हो गई है. 

'पार्टी गेट' के बाद लगातार संघर्ष कर रहे हैं जॉनसन

ब्रिटेन में पीएम बोरिस जॉनसन पर इस्‍तीफे का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. कुर्सी बचाने के लिए जॉनसन लगातार संघर्ष कर रहे हैं. कोरोना लॉकडाउन के दौरान पार्टी करने के मामले में वह बुरी तरह से फंसे हुए हैं. भले ही उन्होंने माफी मांग ली और इस्‍तीफा देने से इंकार कर दिया हो, मगर इस मामले को लेकर उनके समर्थक भी काफी भड़के हुए हैं. माना जा रहा है कि पार्टी गेट के बाद बोरिस जॉनसन ने अपना जन समर्थन खो दिया है. इसके अलावा उनके खिलाफ संसद को भ्रमित करने के आरोप को लेकर ब्रिटिश सांसद एक अहम वोट‍िंग करने जा रहे हैं. जानकारों के मुताबिक बोरिस जॉनसन इस भारत यात्रा को ब्रिटेन में अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं.

ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को मिलेगी मदद, बढ़ेगा रोजगार

कोरोनावायरस महामारी और अंतरराष्ट्रीय लॉकडाउन जैसे वजहों से आर्थिक मंदी का असर ब्रिटेन पर भी पड़ा है. ब्रिटेन में पीएम जॉनसन इसको लेकर भी सवालों से घिरे हैं. इस लिए भारत यात्रा से ठीक पहले पीएम बोरिस जॉनसन ने भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बताकर मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता में प्रगति की उम्मीद जताई थी. उन्होंने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत इस अनिश्चित समय में ब्रिटेन के लिए एक अत्यधिक मूल्यवान रणनीतिक भागीदार है. 

2035 तक द्विपक्षीय सालाना व्यापार 28 अरब पाउंड

मुक्‍त व्‍यापार समझौते के होने से भारत और ब्रिटेन के बीच 2035 तक द्विपक्षीय सालाना व्यापार 28 अरब पाउंड तक बढ़ जाएगा. इस तरह पूरे ब्रिटेन में काम करने वाले लोगों की आय में 3 अरब पाउंड की बढ़त होगी. माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान ही साफ्टवेयर से लेकर हेल्‍थ के क्षेत्र में एक अरब पाउंड के निवेश और निर्यात समझौतों का ऐलान हो सकता है. इससे रोजगार के सवालों से जूझते ब्रिटेन में 11 हजार नई नौकरियां पैदा होने की संभावना है. 

ब्रिटेन में बोरिस को स्थिति मजबूत होने की उम्‍मीद

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय डाउनिंग स्ट्रीट के बयानों के मुताबिक साफ है कि भारत के साथ नए संबंध केवल ब्रेक्सिट के चलते ब्रिटेन को मिली स्वतंत्रता के कारण ही संभव हुए हैं. इस तरह बोरिस की भारत यात्रा से ब्रिटिश अर्थव्‍यवस्‍था को फायदा होगा और लोगों का वेतन बढ़ेगा. इंडो पैसिफिक ओसियन क्षेत्र में सामरिक और  मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में आर्थिक के साथ ही चीन के मुकाबले भारत से ब्रिटेन के बेहतर रिश्ते से चौतरफा दबावों से घिरे बोरिस को ब्रिटेन के अंदर अपनी स्थिति मजबूत होने की उम्‍मीद है. 

129 देशों के अप्रवासी गुजरातियों का बड़ा घरेलू प्रभाव

अब गुजरात में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के संभवित फायदे पर नजर डालते हैं. गुजरात एक ऐसा राज्‍य है जहां से बड़े पैमाने पर लोग दुनिया के अलग-अलग देशों में शिफ्ट कर गए हैं. दुनिया के लगभग 129 देशों में गुजराती रहते हैं. पीएम मोदी ने विदेशों में बसे इन्हीं अप्रवासी गुजरातियों पर नजरें गड़ा दी है. क्योंकि ये अप्रवासी गुजराती घरेलू स्‍तर पर भी काफी प्रभाव रखते हैं. इसकी बड़ी सबसे बड़ी वजह है कि अप्रवासी गुजराती पैसे से भी काफी समृद्ध हैं और बड़े पैमाने पर राज्य में पैसा भी भेजते हैं. 

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ज्यादा वीजा और बुलडोजर फैक्ट्री के दौरे का दांव

एक अनुमान के मुताबिक ब्रिटेन में करीब 8 लाख गुजराती रहते हैं. इसलिए बोरिस जॉनसन का भव्‍य स्‍वागत करके ब्रिटेन में बसे गुजराती परिवारों को संदेश देने की कोशिश की गई है. बोरिस जॉनसन ने भी अहमदाबाद में जेसीबी इंडिया की नई बुलडोजर फैक्ट्री के दौरे के वक्त स्पष्ट संकेत दिया कि वह भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए भारतीयों को ज्यादा वीजा जारी करने की सुविधा देने के लिए तैयार हैं.

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गुजरात चुनाव में बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियां

इस साल के अंत में गुजरात विधानसभा चुनाव होने वाला है. पीएम मोदी की रणनीति अपने राज्य में एक बार फिर कमल निशान की जीत पर है. लगातार 27 साल से गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी को सत्‍ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है. पिछले विधानसभा चुनाव यानी साल 2017 में बीजेपी को विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी थी. बीजेपी के गुजरात में बहुमत मिलने के बावजूद अपने मुख्यमंत्री को बीच कार्यकाल में अचानक बदलना पड़ा था. गुजरात में इस बार बीजेपी को कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी का भी सामना करना पड़ेगा. पंजाब में बड़ी जीत के बाद अब अरविंद केजरीवाल की नजर गुजरात पर है. आम आदमी पार्टी गुजरात में भी कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश में लगी है.