उड़ता ताबूत Mig-21 इस साल पांचवीं बार क्रैश हुआ, छह दशकों में 400 हादसे
वायु सेना ने पहली बार 1963 में अपनी युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए सोवियत मूल के 874 सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों मिग-21 को अपने बेड़े में शामिल किया था.
highlights
- हॉक्स-राफेल आने से पहले पूरा भार मिग-21 पर रहा
- अब पुराने बेड़े का स्थान लेगा तेजस लड़ाकू विमान
- 114 सिंगल इंजन वाले फाइटर विमान भी बनेंगे
नई दिल्ली:
बीते कुछ सालों से यदि भारतीय वायु सेना के मिग-21 लड़ाकू विमानों को उड़ता ताबूत कहा जा रहा है, तो उसमें कुछ गलत भी नहीं है. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध समेत कारगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले इस लड़ाकू विमान ने बीते कुछ सालों में दुर्घटना का एक रिकॉर्ड सा बनाया है. शुक्रवार को मिग-21 बाइसन राजस्थान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. अगर आंकड़ों की भाषा में बात करें तो इस साल मिग-21 विमान का यह पांचवां हादसा था. अगर बीते दौर की बात करें तो पिछले छह दशकों में मिग-21 के साथ 400 से ज्यादा हादसे पेश आए हैं. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर इसे उड़ता ताबूत भी कहा जाने लगा है. इसके साथ ही इसे तेजस से बदलने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. हालांकि यह भी उतना ही सच है कि मिग-21 ने भारतीय वायुसेना को अभेद भी बनाया है. पाकिस्तान के कहीं उन्नत लड़ाकू विमान एफ-16 को मार गिराने वाले मिग-21 बाइसन को अभिनंदन ही चला रहे थे.
इस साल बाइसन से जुड़ा पांचवां हादसा
इस साल बाइसन से जुड़ी यह पांचवीं दुर्घटना है. इस हादसे में विंग कमांडर हर्षित सिन्हा की मौत हो गई है. भारतीय वायुसेना ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. भारत ने 1961 में मिग विमानों को रूस से खरीदने का फैसला किया. बाद में इन्हें और बेहतर बनाने की प्रक्रिया चलती रही और इसी क्रम में मिग-21 को अपग्रेड कर मिग-बाइसन सेना में शामिल किया गया. वायु सेना ने पहली बार 1963 में अपनी युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए सोवियत मूल के 874 सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों मिग-21 को अपने बेड़े में शामिल किया था, लेकिन उनमें से 400 से ज्यादा मिग-21 विमान 1971-2012 के बीच दुर्घटनाग्रस्त हो गए.
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भारतीय वायु सेना के पास हैं मिग-21 के 4 स्क्वाड्रन
भारतीय वायुसेना में मिग विमानों के क्रैश रिकॉर्ड को देखते हुए इन्हें उड़ता ताबूत नाम दिया गया. जानकारों की मानें तो मिग-21 लड़ाकू विमानों के बड़ी संख्या में दुर्घटनाग्रस्त होने की एक वजह वायुसेना में लंबे समय तक किसी और फाइटर जेट का न शामिल होना भी है. लंबे समय तक वायुसेना में कोई नया फाइटर जेट शामिल नहीं किया गया, जिससे पूरा भार मिग-21 पर ही रहा. हालांकि बाइसन विमान भारतीय वायुसेना मिग-21 का लेटेस्ट वेरिएंट है. भारतीय वायु सेना में फिलहाल मिग -21 बाइसन विमान के चार स्क्वाड्रन संचालित हो रहे हैं. इसमें एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 फाइटर जेट रहते हैं. इन्हें 2024 तक रिप्लेस की कार्ययोजना पर काम चल रहा है.
हॉक्स-राफेल आने से पहले पूरा भार मिग-21 पर रहा
फिलहाल 36 राफेल विमान वायुसेना में शामिल किए गए हैं. यह अलग बात है कि जरूरत के हिसाब से राफेल विमानों की संख्या भी अभी कम ही है. लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को बेड़े में शामिल करने के कार्यक्रम में भी अभी देर है. वायुसेना में उन्नत जेट फाइटर्स के शामिल होने में विलंब से 1980, 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में पायलटों की ट्रेनिंग के लिए सुपरसोनिक मिग-21 फाइटर जेट का ही इस्तेमाल किया गया. इसी अवधि में इन विमानों के साथ काफी हादसों को भी दर्ज किया गया. ब्रिटेन से खरीदे गए एडवांस फाइटर जेट हॉक्स के वायुसेना में शामिल होने से पहले मिग-21 ने वायुसेना की कुल उड़ान घंटों का आधा हिस्सा लिया. भारतीय वायुसेना की लंबे समय की जरूरत को पूरा करने के लिए साल 2008 में हॉक्स को शामिल किया गया था.
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पुराने विमान बेड़े का स्थान लेगा तेजस
भारतीय वायुसेना आने वाले कुछ सालों में अपने पुराने फाइटर जेट्स को बदल तेजस के अलग-अलग वेरिएंट को बड़े में शामिल करेगी. रक्षा मंत्रालय ने इसी साल की शुरुआत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 48 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाले 83 नए स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बनाने का ऑर्डर दिया है. पहला एमके-1ए लड़ाकू विमान कांट्रैक्ट साइन होने के तीन सालों के अंदर ही भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा और बाकी को 2030 तक बड़े में शामिल किया जाएगा. इनमें 73 तेजस एमके-Iए लड़ाकू विमान और 10 एलसीए तेजस एमके-I ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं. भारतीय वायु सेना के लिए तैयार हो रहा एमके-1ए जेट अतिरिक्त सुधारों और फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस के साथ आएगा, जो कि अब तक का सबसे एडवांस लड़ाकू विमान होगा.
पांचवीं पीढ़ी के उन्नत लड़ाकू विमान पर भी कार्यक्रम
सामरिक जानकारों की मानें तो मोदी सरकार भारतीय वायुसेना को और मजबूत बनाने के लिए 114 सिंगल इंजन वाले फाइटर विमान आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बनाने की योजना तैयार कर रही है. इसके आलावा भारत पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान पर भी काम कर रहा है. बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट पर करीब 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी. भारत का प्रयास दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल होने का है, जिनके पास 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं.
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