Women's Day: 27 हजार से अधिक बच्चों की 'माता' सुमेधा कैलाश, पूरी कहानी
कैलाश सत्यार्थी और उनके संगठन की ओर से छुड़ाए गए बच्चों को संभालने-सहेजने की जिम्मेदारी श्रीमती सुमेधा कैलाश ने बखूबी उठा ली. इसके साथ ही वे उन बच्चों की ‘माता’ बन गईं.
highlights
- सुमेधा के पास देखरेख के लिए आए बच्चे आम बच्चे नहीं होते
- बच्चों को संभालना चुनौती से कहीं अधिक एक जिम्मेदारी है
- बाल श्रम से छुड़ाए गए किंशु कुमार बने जनसंपर्क अधिकारी
New Delhi:
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International Women's Day 2022) पर दुनिया भर में महिलाओं के काम को सराहने की रवायत जारी है. इस मौके पर सबसे प्रचलित रूप मां के तौर पर महिलाओं के लिए आभार जताया जाने लगा है. जानकर हैरत होगी कि अपने देश में एक महिला ने 27 हजार से अधिक बच्चों को मां की तरह संभाला है. ये सारे सामान्य बच्चे नहीं बल्कि समाज के सबसे अधिक प्रताड़ित बच्चे थे. उनमें से ज्यादातर ने बचपन में अमानवीय यातनाएं झेलीं. अपराधियों के बीच ही बचपन गुजारा है. हम नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की पत्नी सुमेधा कैलाश की चर्चा कर रहे हैं.
सत्यार्थी दंपती के खुद के दो ही बच्चे हैं, लेकिन वे दोनों दुनियाभर के बच्चों में अपने बच्चों को देखने की बात कहते हैं. दोनों ने अपना पूरा जीवन बच्चों को उनका बचपन लौटाने की मुहिम के लिए समर्पित कर दिया है. कैलाश सत्यार्थी ने अपने आंदोलन के जरिए जितने बाल और बंधुआ मजदूरों को छुड़ाया उनमें से अधिकांश के मां-बाप का पता न था. जिनका पता था वे मां-बाप उन बच्चों की जिम्मेदारी लेने को या तो तैयार नहीं थे या फिर बेहद असमर्थ थे. ऐसे में कैलाश सत्यार्थी और सुमेधा कैलाश उन सभी बच्चों के मां-बाप बन गए.
कैलाश सत्यार्थी और उनके संगठन की ओर से छुड़ाए गए बच्चों को संभालने-सहेजने की जिम्मेदारी श्रीमती सुमेधा कैलाश ने बखूबी उठा ली. इसके साथ ही वे उन बच्चों की ‘माता’ बन गईं. मजदूरी और गुलामी से छुड़ाए गए बच्चों के पुनर्वास केंद्रों जयपुर जिले के विराटनगर स्थित बाल आश्रम और दिल्ली स्थित मुक्ति आश्रम में रहने वाले बच्चे उन्हें प्यार से ‘माता’ ही कहते हैं. सुमेधा बाल आश्रम की संस्थापिका भी हैं.
50 हजार से ज्यादा बच्चों के जीवन में बिखेरीं मुस्कान
संगठन का दावा है कि बाल पुनर्वास केंद्रों, बाल मित्र गांवों और बंजारा शिक्षा केंद्रों के जरिए सुमेधा ने पिछले चार दशक में पचास हजार से अधिक बच्चों के जीवन में मुस्कान बिखेरी है. उनमें से लगभग 27 हजार के जीवन में तो उनका नजदीकी दखल रहा है. इनमें से कई बच्चे इंजीनियर, साइंटिस्ट, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, व्यापारी बने हैं. वे सभी बच्चे साथ मिलकर समाज को बालश्रम मुक्त बनाने में योगदान दे रहे हैं. कई बच्चों को उनके सामाजिक योगदान के लिए डायना अवॉर्ड, गोलकीपर्स ग्लोबल चेंजमेकर अवॉर्ड जैसे दुनियाभर के प्रतिष्ठित बाल पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
बच्चों को संभालना- चुनौती से अधिक जिम्मेदारी
दिनभर फोन, व्हॉट्सऐप चैट, वीडियो कॉल, ऑनलाइन सेशन वगैरह से लगातार हजारों बच्चों की देखभाल करतीं सुमेधा कहती हैं, 'बच्चों को संभालना चुनौती से कहीं अधिक एक जिम्मेदारी है. बच्चे जब अच्छा करते हैं तो सबसे ज्यादा गर्व मां को होता है. वहीं जब वे जिम्मेदार नागरिक न बन पाएं तो दुख भी सबसे ज्यादा मां को ही होता है. परिवार भी मां से ही सबसे अधिक अपेक्षा रखता है. बच्चों की देखरेख, दुनिया के किसी भी मैनेजमेंट डिग्री से ज्यादा कौशल सिखा देती है.'
निराश, डरे हुए और हिंसक बच्चों की देखभाल
सुमेधा के पास देखरेख के लिए आए बच्चे आम बच्चे नहीं होते. वे चोट खाए बच्चे होते हैं जिन्हें दुनिया में जो भी मिला उसने जरा भी करूणा नहीं दिखाई, सिर्फ शोषण किया. ऐसे बच्चे डरे-सहमे, चिड़चिड़े हर किसी पर शक करने वाले या कई बार तो हिंसक भी हो जाते हैं. ऐसी ही एक घटना याद करती हुईं सुमेधा ने बताया, 'बाल आश्रम में बच्चों के पहले बैच का एक लड़का मुझे हमेशा याद रहेगा. जब वह आश्रम पहुंचा तो गेट के अंदर घुसते ही उसने एकदम फिल्मी अंदाज बैग को एक तरफ फेंका और बाकी बच्चों पर धौंस जमाने लगा. उसके तेवर देखकर दूसरे बच्चों के साथ-साथ आश्रम के कर्मचारी भी घबरा गए. क्योंकि उनके पास ऐसे बच्चों को संभालने का अनुभव नहीं था. एक मां के रूप में वह मेरी परीक्षा ही थी. खुशी है कि अब वह मेरे सबसे लाडले बच्चों में से है.'
कई बच्चों के लिए 'दादी-मां' भी बन गईं सुमेधा
दरअसल 13-14 साल के उस बच्चे को जेबकतरों की गैंग से छुड़ाया गया था. लूट-पाट और छीना-झपट की तो उसे आदत थी ही. नशे का शिकार भी हो गया था. आश्रम में रहते हुए उसने थोड़ी पढ़ाई-लिखाई भी की. फिलहाल किसी ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी करता है. उसने शादी भी की और एक बेटा भी हुआ, लेकिन शादी चली नहीं. उसने अपने बेटे की देखभाल का जिम्मा भी सुमेधा कैलाश को ही सौंप दिया. वह भी उसी बाल आश्रम में ‘माता’ की देखरेख में बड़ा हो रहा है जहां कभी उसका पिता रहा था. ऐसी घटनाओं के बाद कई बच्चों के लिए सुमेधा 'दादी-मां' भी हो गई हैं.
प्यार, शादी और बच्चों का भी रखती हैं ख्याल
बाल मजदूरी में फंसे बच्चों आजाद कराने से लेकर, पालने-पोसने, पढ़ाने-लिखाने और यहां तक कि शादी-ब्याह कराने और नौकरियां दिलाने तक सत्यार्थी दंपती ने बेसहारा बच्चों के मां-बाप की हर भूमिका निभाई है. सुमेधा बताती हैं, 'आश्रम में रहे एक बच्चे का कॉलेज में दाखिला कराया गया. वहां उसे प्यार हो गया, लेकिन लड़की के घर वाले उसके मां-बाप से मिलकर शादी की बात करना चाहते थे. वह संकोचवश कुछ बता नहीं पा रहा था, लेकिन कुछ बुझा-बुझा सा रहता था. मैंने उससे पुचकार कर पूछा तो उसने शर्माते हुए सारी बात बताई. मैंने इसके लिए प्यार से उसके कान भी खींचे कि क्या मैं तेरी मां नहीं हूं? बाल आश्रम से ही दोनों की विधिवत शादी कराई गई. मैंने और कैलाश जी ने माता-पिता की सारी रस्में निभाईं.' उस जोड़े के आज दो बच्चे हैं जो जब चाहें दादी को फोन घुमा लेते हैं. कई बार तो मां-बाप की शिकायत करके उन्हें दादी से डांट भी लगवा देते हैं.
ये भी पढ़ें - अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है बेहद खास, जानें इस दिन से जुड़ा अनसुना इतिहास
लोकतंत्र की मजबूती के लिए नेतृत्व करें महिलाएं
बाल आश्रम के जनसंपर्क अधिकारी किंशु कुमार को भी सत्यार्थी ने बाल श्रम से छुड़ाया था. किंशु ने कहा, 'एक बार अलवर जिले के एक बाल मित्र ग्राम के कार्यक्रम में नवनिर्वाचित बाल सरपंचों का ग्राम पंचायत के सदस्यों के साथ परिचय कराया जा रहा था. मंच पर सिर्फ पुरुष ही बैठे थे. माता (सुमेधा) को पता चला कि वहां की दो वार्ड सदस्य महिलाएं हैं, लेकिन वे नीचे घूंघट काढ़े बैठी हैं. उनका सारा कामकाज उनके पति देखते हैं. इसलिए वे मंच पर बैठे हैं. वे बिफर गईं. वहां मौजूद पुरुषों को शपथ दिलाई गई कि वे महिलाओं का हक कभी नहीं छीनेंगे. महिलाओं से भी कहा कि सुशीलता स्वभाव से झलकनी चाहिए, उसके लिए घूंघट की कोई जरूरत नहीं. लोकतंत्र और समाज दोनों को मजबूत करने के लिए उन्हें नेतृत्व अपने हाथ में लेना चाहिए.'
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Pushpa 2 Pre Box Office: रिलीज से पहले ही 'पुष्पा 2' बना रही है हिस्ट्री, किया 1000 करोड़ का बिजनेस
-
Babita Kapoor Birthday: करीना के बेटों ने अपनी नानी को दिया बर्थडे सरप्राइज, देखकर आप भी कहेंगे 'क्यूट'
-
Arti Singh Bridal Shower: शादी से पहले बोल्ड हुईं Bigg Boss फेम आरती सिंह, ब्राइडल शॉवर में ढाया कहर, देखें तस्वीरें
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह