Odisha Panchayat Election में उतरे पूर्व कैबिनेट मंत्री, विधायक और प्रोफेशनल्स
पंचायत चुनाव में राज्य के एक पूर्व कैबिनेट मंत्री, दो पूर्व विधायक, कनाडा से लौटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, एमबीए छात्र, सेना के पूर्व जवान समेत कई दिग्गज और प्रोफेशनल्स अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतर रहे हैं.
highlights
- भारतीय लोकतंत्र में विश्वास, जनप्रतिनिधि बनने का आकर्षण या अपनी मिट्टी से लगाव
- कनाडा से लौटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, MBA स्टूडेंट, IT प्रोफेशनल्स, पूर्व सैनिक भी उतरे
- ग्राम पंचायत एक ऐसी संस्था है जो अपने आप में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका है
नई दिल्ली:
ओडिशा में अगले महीने होने वाले पंचायत चुनाव में राज्य के एक पूर्व कैबिनेट मंत्री, दो पूर्व विधायक, कनाडा से लौटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, एमबीए छात्र, सेना के पूर्व जवान समेत कई दिग्गज और प्रोफेशनल्स अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतर रहे हैं. भारतीय लोकतंत्र में विश्वास, जनप्रतिनिधि बनने का आकर्षण या अपनी मिट्टी से लगाव ऐसे कई मिसालों के नजरिए से इस चर्चित कदमों को देखा जा रहा है. ओडिशा में पांच चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जारी है. अगले महीने मतदान होंगे और परिणाम आएगा.
ओडिशा की पूर्व कैबिनेट मंत्री और तीन बार विधायक रह चुकीं अंजलि बेहेरा ने ढेंकानाल जिले के हिंडोल प्रखंड के गिरिधरप्रसाद ग्राम पंचायत से पंचायत समिति सदस्य पद के लिए नामांकन का पर्चा भरा है. वहीं भंडारीपोखरी के एक पूर्व विधायक प्रफुल्ल जेना ने भद्रक जिले में जिला परिषद सदस्य के लिए नामांकन दाखिल किया है. इसी तरह कनाडा से नौकरी छोड़कर लौटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, मैनेजमेंट स्टूडेंट, आईटी प्रोफेशनल्स वगैरह ने भी विभिन्न चुनाव क्षेत्रों से अपना नामांकन दाखिल किया है.
कौन हैं पूर्व कैबिनेट मंत्री अंजलि बेहेरा
अंजलि बेहेरा बीजू जनता दल से वर्ष 2000, 2004, और 2009 में विधायक रह चुकी हैं. सत्तारूढ़ पार्टी से निकाले जाने से पहले 2009 से 2012 तक वह महिला और बाल कल्याण विकास मंत्री थीं. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में साल 2014 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद बेहेरा भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं. उनके पिता त्रिनाथ नाइक भी एक मंत्री थे. बेहेरा ने कहा कि मैं एक राजनीतिक परिवार से आती हूं. इसलिए मेरे जीवन का लक्ष्य किसी पद के लिए नहीं, बल्कि लोगों के लिए काम करना है. उन्होंने कहा कि पंचायत समिति के लिए चुनाव लड़ना बुरा नहीं है. मुझे हिंडोल ब्लॉक का अध्यक्ष भी चुना जा सकता है. उन्होंने पंचायत चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू कर दिया है.
पूर्व विधायक प्रफुल्ल जेना ने भी भरा पर्चा
ओडिशा के भंडारीपोखरी निर्वाचन क्षेत्र से एक पूर्व विधायक प्रफुल्ल जेना ने भद्रक जिले में जिला परिषद सदस्य के लिए नामांकन का पर्चा दाखिल किया है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी बीजू जनता दल ने मुझे चुनाव में प्रत्याशी बनाया है. क्योंकि मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं. इसलिए मैं जिला परिषद सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ रहा हूं. मेरा मकसद भद्रक जिले में बीजेडी को और मजबूत करना है. उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां की जनता उन पर भरोसा करेगी.
सागर पार से आए उम्मीदवार
कनाडा में काम कर चुके सॉफ्टवेयर इंजीनियर रतिकांत पांडा ने भी बीजेडी के टिकट पर नवरंगपुर जिले से जिला परिषद चुनाव के लिए नामांकन का पर्चा भरा है. नौकरी छोड़कर ओडिशा लौटे पांडा ने कहा कि मैंने अपने और परिवार के लिए पैसा कमा लिया है. अब मैं अपने जिले के लोगों की सेवा करना चाहता हूं. लोगों को कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विकास चाहिए. मुझे लगता है कि मैं तकनीक के प्रयोग से उनकी बेहतर सेवा कर सकता हूं.
चुनाव मैदान में उतरे युवा प्रोफेशनल्स
इसी तरह एक आईटी पेशेवर संतोष प्रधान पुरी जिले के ब्रह्मगिरि इलाके से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. पुरी ने बताया कि नौकरी करना मेरे लिए कठिन नहीं है, लेकिन लोगों को आत्मनिर्भर बनाना एक चुनौती है. मैं यह चैलेंज लेना चाहता हूं. वहीं भुवनेश्वर के प्राइवेट अस्पताल में काम करने वाली एक युवा डेंटिस्ट लिपिका माझी ने नवरंगपुर जिले के पापड़ाहांडी ब्लॉक से जिला परिषद सदस्य के लिए नामांकन दाखिल किया है.
उत्कल विश्वविद्यालय में एमबीए सेकंड इयर की स्टूडेंट प्रज्ञा पारमिता जेना ने बालासोर जिले में जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए पर्चा दाखिल किया है. दूसरी ओर साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग ले चुके 72 वर्षीय पूर्व सैनिक दुर्योधन मोहंती और सीआरपीएफ के पूर्व जवान जॉर्ज विलियम लुगून भी पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
क्या होता है त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव
त्रि-स्तरीय पंचायत-व्यवस्था में ग्राम पंचायत को ग्राम विकास की पहली इकाई मानी गई है. पंचायतों को विकेंद्रीकरण कर इसे तीन स्तरों पर विभाजित किया गया जिससे ग्रामीणों क्षेत्रों का बेहतर विकास हो सके. इस व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर ग्राम पंचायत होती है. जिसका चुनाव ग्राम सभा द्वारा किया जाता है. ग्राम पंचायत एक ऐसी संस्था है जो अपने आप में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका है. ग्राम पंचायत हमारे गणतंत्र की सबसे अनोखी संस्था है. क्योंकि इनके सदस्य प्रत्यक्ष रुप से जनता द्वारा चुने जाते हैं. इसके निर्वाचित सदस्यों का उत्तरदायित्व सीधे जनता के प्रति है न कि प्रशासन या शासन के प्रति. पंचायती राज संस्थाएं तीन हैं- 1. ग्राम के स्तर पर ग्राम पंचायत, 2 ब्लॉक (तालुका या प्रखंड) स्तर पर पंचायत समिति और 3. जिला स्तर पर जिला परिषद.
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ओडिशा पंचायत चुनाव का पूरा कार्यक्रम
ओडिशा राज्य निर्वाचन आयोग ने 11 जनवरी को पांच चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की घोषणा की थी. नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 17 जनवरी से शुरू हुई और 21 जनवरी को पूरी हो चुकी है. 22 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच भी की जा चुकी है और उम्मीदवारों के लिए अपना नामांकन वापस लेने की समय सीमा 25 जनवरी को खत्म हो गई और उसी दिन उम्मीदवारों की अंतिम सूची को प्रकाशित कर दिया गया. निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पंचायत चुनाव पांच चरणों में 16, 18, 20, 22 और 24 फरवरी को कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करते हुए होंगे. 26, 27 और 28 फरवरी को प्रखंड स्तर पर मतगणना होगी. साथ ही चुनाव परिणामों की घोषणा कर दी जाएगी. चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी के मद्देनजर रैलियों और विजय जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है. आयोग ने एक साथ केवल पांच लोगों के घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी है.
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