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न पीएम ट्रूडो लौटे-न ट्रक चालक टले, कनाडा में 'फ्रीडम' पर हंगामा क्यों

कोरोना प्रतिबंधों के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने वाले हजारों प्रदर्शनकारियों ने भी ट्रक चालकों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया. फ्रीडम कॉन्वाइ में शामिल ट्रकों की संख्या को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में किसी ने 20 हजार तो किसी ने 50 हजार का दावा किया है.

Updated on: 31 Jan 2022, 10:44 AM

highlights

  • तीन दिन से कनाडा में आम जनजीवन की स्थिति गंभीर हो गई है
  • प्रदर्शनकारी अपने साथ बच्चे, बुजुर्ग और विकलांगों को लेकर पहुंच रहे
  • प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को लेकर अश्लीलता से भरी नारेबाजी भी जारी

नई दिल्ली:

कनाडा में 48 घंटे से ज्यादा समय से प्रधानमंत्री आवास के पास से ट्रक चालकों के घेराव को पूरी तरह हटाया नहीं जा सका है. साथ ही अभी तक पीएम जस्टिन ट्रूडो और उनके परिवार के सरकारी आवास पर लौटने की खबर सामने नहीं आई है. दरअसल कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनके परिवार को भारी विरोध प्रदर्शन की वजह से देश की राजधानी स्थित अपने आवास को छोड़ एक गुप्त स्थान पर स्थानांतरित होना पड़ गया था. कड़ाके की ठंड के बीच ट्रक चालकों के प्रदर्शन के चलते कनाडा में हाई अलर्ट कर दिया गया है.

कोरोना वैक्सीन जनादेश और स्वास्थ्य को लेकर दूसरे सार्वजनिक प्रतिबंधों को समाप्त करने की मांग के साथ शनिवार को हजारों ट्रक चालक समेत बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी राजधानी ओटावा शहर में जमा होकर पीएम ट्रूडो के आवास को घेर लिया था. अपने करीब 70 किलोमीटर लंबे काफिले को इन ट्रक चालकों ने 'फ्रीडम कान्वॉइ' नाम दिया था. इस काफिले में शामिल ट्रक वाले कनाडा के झंडे के साथ 'आजादी' की मांग वाले झंडे लहरा रहे हैं. साथ ही पीएम ट्रूडो के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी कर रहे थे. कुछ ट्रक चालक ओटावा में वॉर मेमोरियल कैंपस में भी घुस गए.

पीएम आवास के बाद संसद घेरने पहुंचे प्रदर्शनकारी

कोरोना प्रतिबंधों के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने वाले हजारों प्रदर्शनकारियों ने भी ट्रक चालकों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया. फ्रीडम कॉन्वाइ में शामिल ट्रकों की संख्या को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में किसी ने 20 हजार तो किसी ने 50 हजार का दावा किया है. हजारों की संख्या में बड़े-बड़े ट्रकों की हॉर्न तीन दिन से लगातार ओटावा की सड़कों पर सुनाई दे रही हैं. ट्रक ड्राइवर लगातार हॉर्न बजाकर कनाडाई सरकार और खासकर पीएम ट्रूडो का विरोध करते हुए संसद के पास पहुंच गए. प्रदर्शनकारी अपने साथ बच्चे, बुजुर्ग और विकलांग लोगों को साथ लेकर पहुंच रहे हैं. साथ ही प्रधानमंत्री ट्रूडो को लेकर अश्लीलता से भरी नारेबाजी भी जारी है.

ट्रूडो ने ट्रक चालकों को बताया था फिजूल अल्पसंख्यक

अमेरिका की सीमा को पार करने के लिए कोरोना वैक्सीन को अनिवार्य बनाए जाने का विरोध करते हुए शनिवार को 20 हजार से अधिक ट्रक चालकों के साथ तमाम प्रदर्शनकारी ओटावा में जमा हो गए. कुछ दिन पहले कनाडाई पीएम ने एक विवादित बयान देते हुए ट्रक वालों को 'महत्व नहीं रखने वाले अल्पसंख्यक' करार दिया था. इसको लेकर भी ट्रक चालकों में भारी गुस्सा है. इसके बाद तीन दिन से कनाडा में आम जनजीवन की स्थिति गंभीर हो गई है. ओटावा जाने वाले रास्ते पर ट्रकों की 70 किमी तक लंबी कतार लग गई है. इस वजह से दूसरे तमाम नागिरकों और यात्रियों को भी कई तरह की दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है.

 

जस्टिन ट्रूडो ने ट्रक चालकों को विज्ञान विरोधी भी कहा

ट्रक चालकों समेत प्रदर्शनकारी कनाडा के बाकी शहरों में भी घुसने की कोशिश में कामयाब होने लगे हैं. उनके उग्र प्रदर्शन को देखकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और परिवार समेत गुप्त स्थान पर छिपने के लिए भागना पड़ा. अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं है कि पीएम ट्रूडो और उनका परिवार कहां जाकर छिप गए हैं. हालांकि, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम ट्रूडो ने इस बारे में बयान दिया है. अपने बयान में उन्होंने ट्रक वालों को विज्ञान का विरोधी करार दिया है. उन्होंने कहा कि ट्रक चालक न सिर्फ खुद के लिए बल्कि कनाडा के सभी लोगों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं.

एलन मस्क समेत दुनिया भर से मिलने लगा समर्थन

टेस्ला कंपनी के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत में एक एलन मस्क ने प्रदर्शन कर रहे ट्रक चालकों का समर्थन किया है. मस्क ने ट्वीट किया, 'कनाडाई ट्रक चालकों का शासन' और अब इस आंदोलन की गूंज अमेरिका तक देखी जा रही है. इसके बाद ट्रक चालकों के फ्रीडम कॉन्वाइ नाम के अभियान को हर तरफ से समर्थन मिलने की शुरुआत हो गई. लोगों ने कनाडाई पीएम पर शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन को देखकर भागने वाला पीएम कहा है. ट्रक चालकों की मुहिम को दुनिया भर से उन लोगों का भी सहयोग मिलने लगा है जो अलग-अलग कारणों से कोरोना लॉकडाउन समेत बाकी प्रतिबंधों से अलग राय रखते हैं. 

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भारत में किसान आंदोलन पर ट्रूडो ने दिया था बयान

भारत में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने न सिर्फ  समर्थन दिया था, बल्कि शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन को मानवाधिकार का मसला बताकर देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप भी किया था. बात जब उन पर आई तो वह परिवार समेत भाग खड़े हुए. इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर पीएम ट्रूडो को लेकर मीम्स बनाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स के मुताबिक ट्रूडो को अपने देश के मामले में मानवाधिकार की चिंता करने की बारी आ गई है.