नाटो प्रमुख ने काबुल के पतन के लिए अफगान नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया
स्टोल्टेनबर्ग ने कहा हमारा इरादा कभी भी अफगानिस्तान में हमेशा के लिए रहने का नहीं था.
नई दिल्ली:
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार को नाटो दूतों की एक बैठक में अफगानिस्तान की पूर्व सरकार के त्वरित पतन के लिए अफगानिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को दोषी ठहराया. स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि पूर्व सरकार के पतन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो जिम्मेदार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि, “अफगान सुरक्षा बलों के कुछ हिस्सों ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी. लेकिन वे देश को सुरक्षित नहीं कर पाए. क्योंकि अंततः, अफगान राजनीतिक नेतृत्व तालिबान के सामने खड़े होने और उस शांतिपूर्ण समाधान को प्राप्त करने में विफल रहा जो अफगान सख्त चाहते थे. अफगान नेतृत्व की इस विफलता के कारण आज हम जिस त्रासदी का सामना कर रहे हैं, वह हुई है."
स्टोल्टेनबर्ग के अनुसार, यूएस-नाटो सैनिकों की वापसी पूर्व नियोजित थी, और यह अफगान राज्य के पतन का कारण नहीं था. उन्होंने कहा "हमारा इरादा कभी भी अफगानिस्तान में हमेशा के लिए रहने का नहीं था. पिछले कुछ वर्षों में, 1000,000 से अधिक सैनिकों से हम 10,000 से भी कम हो गए हैं - और अब शून्य हो गए हैं. लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में हमने जो देखा वह एक सैन्य और राजनीतिक पतन था, जिसकी उम्मीद नहीं की गई थी, ”
हालांकि, तालिबान ने पूर्व सरकार के पतन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो को दोषी ठहराया और कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो ने अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल किया.
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तालिबान के एक अधिकारी अब्दुलहक इमाद ने कहा "जब अमेरिकी चले गए, तो प्रशासन स्वचालित रूप से ध्वस्त हो गया. इसलिए, वे इस संकट के लिए जिम्मेदार हैं. ”
एक सैन्य विश्लेषक, अजीज मारेज ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी पूर्व अफगान सरकार के नेताओं के सहयोग से सरकार के पतन में शामिल थे.
"संयुक्त राज्य अमेरिका के नियंत्रण में सरकार थी. यह संयुक्त राज्य अमेरिका की एक योजना थी, और इसका प्रतिनिधि काबुल और कतर के बीच यात्रा कर रहा था. उनकी सेना यहां मौजूद थी. उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों को नियुक्त किया और उन्हें लोगों पर थोपा.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी रविवार को अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को गैर जिम्मेदाराना बताया.
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