logo-image

मुल्ला बरादर के पासपोर्ट से बड़ा खुलासा, तालिबानी शासन में सामने आया पाकिस्तान का हाथ 

अफगानिस्तान में गठित नई सरकार में उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का पाकिस्तानी पासपोर्ट और पहचान-पत्र सामने आया है. दोनों दस्तावेजों में उसका नाम मोहम्मद आरिफ आघा के रूप में अंकित किया गया है.  

Updated on: 12 Sep 2021, 01:39 PM

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी (Taliban) शासन कायम करने में पाकिस्तान का हाथ होने का बड़ा सबूत सामने आया है. अफगानिस्तान में नवगठित तालिबान सरकार में उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का पाकिस्तानी पासपोर्ट और पहचान-पत्र सामने आया है. दोनों दस्तावेजों में उसका नाम मोहम्मद आरिफ आघा के रूप में दर्ज किया गया है. इस पासपोर्ट के सामने आने के बाद से अब यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अफगानिस्तान में तालिबान के संपूर्ण कब्जा करने के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई (ISI) का हाथ है. आईएसआई ने एम नज़ीर आगा के बेटे मुहम्मद आरिफ आगा के नाम पर बरादर का राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी किया था. 

यह भी पढ़ेंः दो मुंहा है पाकिस्तान... तालिबान की तरफदारी कर दुनिया से कर रहा ये अपील

जानकारी के मुताबिक सीरियल नंबर 42201-5292460-5 के साथ बरादर का आजीवन पहचान पत्र, 10 जुलाई 2014 को जारी किया गया था. बरादर की जन्म तिथि का उल्लेख वर्ष 1963 के रूप में किया गया है. राष्ट्रीय पहचान पत्र पर पाकिस्तान के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा विधिवत हस्ताक्षर किए गए थे. बरादर का पाकिस्तानी पासपोर्ट नंबर GF680121 है. पासपोर्ट और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की तारीख एक ही थी. पिता के नाम के कॉलम में सय्यद एम नजीर आघा लिखा है. 

पाकिस्तान के क्वेटा में रहता था बरादर
अब तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक मुल्ला उमर के साथ तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला बरादर पाकिस्तान के क्वेटा में रहता था और इस्लामी ताकत के नेतृत्व परिषद या शूरा का हिस्सा था. मुल्ला बरादर, जिन्हें मुहम्मद आरिफ आगा के नाम से भी जाना जाता है जो कि कतर के दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में वार्ता दल का नेतृत्व कर रहे थे.  

यह भी पढ़ेंः 2 महीने से लिखी जा रही थी रूपाणी के इस्तीफे की पटकथा, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

कौन है मुल्ला बरादर 
 
- मुल्ला बरादर तालिबान के संस्थापकों में से एक है.
- 1994 में तालिबान के गठन में वह भी शामिल था.
- 1996 से 2001 के शासन के दौरान अहम भूमिका निभाई थी.
- 2001 में अमेरिकी हमले के बाद से देश छोड़कर भाग गया था.
- 2010 में पाकिस्तान के कराची से गिरफ्तार हुआ था.
- कतर के दोहा में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर की कमान संभाली.