सत्यपाल मलिक को क्यों देनी पड़ी सफाई, बेबाकी या सुर्खियों के लिए बयान
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के सवाल उठाने के बाद चर्चा ने जोर पकड़ ली. कृषि कानूनों को लेकर सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार पर कई बार हमलावर हो चुके हैं. इसलिए भी चर्चा ने सबका ध्यान खींचा.
highlights
- कृषि कानूनों को लेकर सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार पर कई बार हमलावर हुए
- सत्यपाल मलिक ने कहा कि अमित शाह और पीएम मोदी के बीच अच्छा तालमेल है
- मेघालय से पहले जम्मू कश्मीर, बिहार, गोवा और ओड़िशा में संभाली जिम्मेदारी
New Delhi:
मेघालय (Meghalaya) के गवर्नर सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर की गई अपनी टिप्पणियों पर सफाई दी. मलिक ने कहा कि उनके बयान को 'गलत तरीके' से पेश किया गया और 'अमित शाह ने प्रधानमंत्री को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की थी.' अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि अमित शाह ने उन्हें 'लोगों (किसानों) से लगातार मिलते रहने और उन्हें सहमत करने के लिए कहा था.' मलिक ने कहा, "दरअसल, अमित शाह ने मुझसे पूछा था कि मैं बयान क्यों देता रहता हूं? लेकिन जब मैंने उन्हें कहा कि सरकार को किसानों के लिए कोई बीच का रास्ता खोजना होगा और उन्हें मरने नहीं दे सकते हैं तो उन्होंने इस बात को समझा. उन्होंने मुद्दे को भी समझा."
रविवार को हरियाणा के चरखी दादरी में एक सामाजिक कार्यक्रम में सत्यपाल मलिक के बातचीत का वीडियो सामने लाकर कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी से सवाल पूछा था. वीडियो में मलिक पीएम मोदी से अपनी मुलाकात के बारे में बता रहे थे. उनके शब्दों को लेकर राजनीतिक तौर पर हंगामा मच गया था. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के सवाल उठाने के बाद चर्चा ने जोर पकड़ ली. कृषि कानूनों को लेकर सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार पर कई बार हमलावर हो चुके हैं. इसलिए भी चर्चा ने सबका ध्यान खींचा.
पीएम मोदी और अमित शाह में अच्छा तालमेल
सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में आने के बाद मलिक ने सोमवार को अपनी सफाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए जो कदम उठाए मैं उनकी सार्वजनिक रूप से प्रशंसा करता रहा हूं. जब वो मुख्यमंत्री थे तो वो किसान समर्थक थे और एमएसपी को कानूनी मान्यता देना चाहते थे, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें गुमराह किया गया. जब उन्हें एहसास हुआ कि किसान इन कानूनों का किसी भी कीमत पर समर्थन नहीं करेंगे तो उन्होंने इसे वापस ले लिया और माफी भी मांगी. यह उनकी दरियादिली को दिखाता है. वो सही रास्ते पर हैं.' मलिक ने कहा कि उन्हें इस बात का भी एहसास है कि अमित शाह और प्रधानमंत्री के बीच अच्छा तालमेल है. दोनों मिलकर अच्छा काम कर रहे हैं.
एक मिनट में दे दूंगा इस्तीफा...
सत्यपाल मलिक इसके पहले भी अपने बयानों को लेकर राजनीतिक तौर पर चर्चा में शामिल रहते हैं. बीते दिनों गोवा में बीजेपी सरकार पर कोरोना महामारी को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भ्रष्टाचार हुआ. जिसके बाद सत्यपाल मलिक की काफी आलोचना हुई थी. मलिक ने इसके बाद अपने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यपाल को हटाया नहीं जा सकता लेकिन मेरे कुछ शुभचिंतक चाहते हैं कि मैं कुछ कहूं और हटूं. मुझे दिल्ली में दो-तीन बड़े लोगों ने राज्यपाल बनाया था और मैं उनकी ही इच्छा के विरुद्ध बोल रहा हूं. जब वो मुझसे कह देंगे कि हमें दिक्कत है छोड़ दो, तब मैं (इस्तीफा देने में) एक मिनट भी नहीं लगाऊंगा.
आपराधिक घटनाओं का उदाहरण
इससे पहले भी उन्होंने गोवा में एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि गोवा में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख के कारण ही मेरा तबादला मेघालय किया गया था. उस वक्त मलिक ने इस मामले में प्रधानमंत्री से दखल देने की मांग की थी. वहीं इससे पहले भी उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था कि मैंने प्रधानमंत्री को कहा था कि किसानों के साथ दो काम मत करना, एक तो बल प्रयोग और दूसरा इन्हें खाली हाथ मत भेजना. यह 300 साल तक नहीं भूलते. इस बयान में भी उन्होंने आपराधिक घटनाओं को भी याद किया था.
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जम्मू कश्मीर और बिहार की तुलना
इससे पहले अपनमे जम्मू कश्मीर में राज्यपाल रहने के दौरान की बात करते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के बड़े नेताओं को उद्योगपतियों की मदद करने के लिए पैसे और पावर का दबाव बनाने का आरोप लगा दिया था. वहीं कश्मीर घाटी में बीते दिनों हुई टारगेट कीलिंग को लेकर कहा था कि उनके रहते आतंकियों को श्रीनगर में घुसने की हिम्मत नहीं होती थी. उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर सुरक्षा इंतजामों को लेकर तंज कसा था. वहीं एक बार न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक बयान में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लॉ एंड ऑर्डर की तुलना बिहार की राजधानी पटना से कर दी. उन्होंने कहा था कि पटना में एक दिन में जितनी हत्याएं हो जाती हैं, उतनी हत्याएं कश्मीर में एक सप्ताह में होती है.
तीन साल में चार राज्य की जिम्मेदारी
बिहार में राज्यपाल रहने के दौरान राजस्थान के बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को एससीएसटी केस में गिरफ्तार कर पटना ले आया गया था. इसके बाद कहा जाने लगा कि दुर्ग सिंह को सत्यपाल मलिक के रिश्तेदार से झगड़े की वजह से गलत तरीके से पकड़ा गया है. मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश भी दिए थे. केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद 30 सितंबर, 2017 को सत्यपाल मलिक को बिहार का राज्यपाल बनाया गया और एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 23 अगस्त 2018 को जम्मू-कश्मीर तबादला कर दिया गया. हालांकि, इस दौरान सत्यपाल मलिक को 2018 में कुछ महीनों के लिए ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर कर उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया था. मलिक 3 नवंबर 2019 को गोवा के बने थे. वहां एक साल पूरा होने से पहले ही उनका तबादला मेघालय कर दिया गया था.
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