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सिद्धू पर कार्रवाई से बच रही कांग्रेस लीडरशिप! पंजाब प्रभारी-अध्यक्ष की मांग को किया अनसुना?

हरीश चौधरी (AICC in-charge of Punjab Harish Chaudhary) ने कांग्रेस लीडरशिप यानी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पिछले महीने ही चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने अमरिंदर सिंह बरार की...

Updated on: 02 May 2022, 11:37 PM

highlights

  • पंजाब कांग्रेस के लिए नवजोत सिंह सिद्धू क्यों जरूरी?
  • पंजाब प्रदेश अध्यक्ष-प्रभारी भी कुछ नहीं बिगाड़ सकतें
  • खुद को पंजाब कांग्रेस से ऊपर समझते हैं नवजोत सिंह सिद्धू?

नई दिल्ली:

पंजाब कांग्रेस में फिर से घमासान है. घमासान के केंद्र में फिर से नवजोत सिंह सिद्धू हैं. नए मामले की शुरुआत पिछले महीने हुई. जब कांग्रेस की हार के बाद सिद्धू के इस्तीफे का मामला हुआ. सिद्धू ने इस्तीफा हार के साथ ही दे दिया था. वो 'चुपचाप' अवस्था में भी चले गए थे. फिर वापस आ गए. अब पंजाब में कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए हैं अमरिंदर सिंह बरार. उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू पसंद नहीं आ रहे हैं, क्योंकि सिद्धू शांत बैठने वाले व्यक्ति नहीं हैं. ऐसे में उन्होंने पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी को पत्र लिखा कि नवजोत सिंह सिद्धू के कामों से, बयानों से पार्टी को नुकसान हो रहा है. पार्टी को उनपर कार्रवाई करनी चाहिए. हालांकि वो सीधे खुद कोई कार्रवाई नहीं कर पाए, क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू इससे पहले खुद ही पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष थे. ये मामला आगे बढ़ ही नहीं पाया, क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू की शिकायत ऊपर कोई करे भी तो कैसे, इसी कांग्रेस लीडरशिप की शह पर तो उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे धुरंधर को पटखनी दे दी थी. लेकिन अब उनकी शिकायत पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने भी की है. उन्होंने पार्टी की लीडरशिप को सलाह भी दी है, कि नवजोत सिंह सिद्धू से जवाब मांगा जाए. 

सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी मीडिया में आई

हरीश चौधरी (AICC in-charge of Punjab Harish Chaudhary) ने कांग्रेस लीडरशिप यानी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पिछले महीने ही चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने अमरिंदर सिंह बरार की चिट्ठी का जिक्र अपनी चिट्ठी में किया है. खुद उनकी चिट्ठी भी 23 अप्रैल की है. तब से करीब 10 दिन हो चुके हैं. गंगा जी में भी बहुत सारा पानी बह चुका है. लेकिन कांग्रेस लीडरशिप पर ऐसी किसी भी चिट्ठी का कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. उन्होंने पत्र में साफ-साफ लिखा है कि नवजोत सिंह सिद्धू के क्रिया-कलापों से पार्टी को नुकसान हो रहा है. उन्होंने लिखा, 'जिस दिन बरार साहब को कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार दिया गया, उस दिन सिद्धू साहब आए तो, लेकिन कोई जोश नहीं दिखाया. उन्होंने सिर्फ पंजाब कांग्रेस के नए अध्यक्ष को बधाई दी और तुरंत ही वहां से निकल गए, जबकि पंजाब कांग्रेस की पूरी यूनिट वहां मौजूद रही.' 

सिद्धू साहब को रोको, वर्ना बाकी भी...

हरीश चौधरी (AICC in-charge of Punjab Harish Chaudhary) ने आगे लिखा, 'मैडम प्रेसीडेंट जी, श्री सिद्धू जी खुद को पार्टी से ऊपर समझते हैं. उड़ रहे हैं. उनका उड़ना बंद कराइए, वर्ना बाकी लोग भी उड़ने लगेंगे. क्योंकि देखा-देखी तो खरबूजा भी रंग बदलता है. ऐसे में कम से कम मेरी सलाह तो यही कि सिद्धू जी से सफाई मांगी जाए. वो भी ऐसी सफाई, कि क्यों आपके (सिद्धू जी के) खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई न की जाए?' लेकिन लगता है कि ये चिट्ठी सोनिया गांधी तक पहुंची ही नहीं, ऐसे में हरीश चौधरी साहब को मजबूरी में चिट्ठी अपने मीडिया के मित्रों तक लीक करना (पहुंचाना) पड़ा. 

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कांग्रेस के लिए सिद्धू जरूरी या मजबूरी?

ये तो सभी जानते हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस लीडरशिप की मदद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे धुरंधर को उसी के मैदान में चित कर कर दिया था. ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू और पार्टी के बीच तमाम बातें भी हुई होंगी. कुछ उसमें बेहद 'खुफिया' भी होंगी. ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू और कांग्रेस की टॉप लीडरशिप के बीच क्या 'पक' रहा है, इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है. लेकिन एक बात पानी की तरह साफ है कि नवजोत सिंह सिद्धू भरे ही अब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं हैं, लेकिन वो कमजोर भी नहीं हैं. वजह 'चाहे जो हो'.

खुद को अप्रासंगिक नहीं होने देना चाहेंगे नवजोत सिंह सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) बीजेपी की तरफ से लोकसभा सांसद रहे. राज्यसभा सांसद रहे. खुद की राजनीतिक पार्टी बनाई. कांग्रेस में आए. विधानसभा चुनाव जीता. मंत्री बने. साल 2021 में मुख्यमंत्री का ही तख्तापलट कर दिया. अपनी पसंद का मुख्यमंत्री लाए. पंजाब कांग्रेस में टश्न चलती रही.  कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई. सिद्धू फिर से नाराज हुए. फिर शांत बैठ गए. उठे, तो फिर आम आदमी पार्टी और सरकार को ललकारने लगे. सिद्धू यानी ऐसा नाम, जो राजनीतिक में खुद को कभी अप्रसांगिक नहीं रहा. उन्होंने बार-बार खुद को खबरों में बनाए रखा. चाहे वो गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के समय इमरान खान को गले लगाना हो, या फिर मार पीट के बाद किसी की जान चले जाना. वो मीडिया की 'डार्लिंग' बने ही रहते हैं. अब कुछ दिनों के ब्रेक के बाद वो फिर से जगे लगते हैं, लेकिन उनके खिलाफ लामबंदी भी हो रही है.