US, EU और चीन के मुकाबले भारत में आर्थिक विकास बरकरार, जानें- बड़ी वजह

कोरोनावायरस महामारी ( Coronavirus) और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War ) की मार से यूरोप, अमेरिका और चीन में विकास की रफ्तार धीमी हो रही है. इस चुनौती से भरे समय में भी भारत में आर्थिक विकास ( Economic Development) की गति स्थिर है.

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Keshav Kumar
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भारत का ग्रोथ आउटलुक ‘स्टेबल ग्रोथ’बताया गया( Photo Credit : News Nation)

कोरोनावायरस महामारी ( Coronavirus) और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War ) की मार से यूरोप, अमेरिका और चीन में विकास की रफ्तार धीमी हो रही है. इस चुनौती से भरे समय में भी भारत में आर्थिक विकास ( Economic Development) की गति स्थिर है. ऑर्गनाइजेशन फोर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) के कंपोजिट लीडिंग इंडिकेटर (CLI) में तथ्य उभरकर सामने आया है. सीएलआई के मुताबिक यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस और इटली समेत पूरे यूरोपीय क्षेत्र की आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ रही है. 

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अमेरिका का ग्रोथ आउटलुक 'लूजिंग मोमेंटम'

कंपोजिट लीडिंग इंडिकेटर में मुद्रास्फीति, उपभोक्ताओं के आत्मविश्वास में कमी और शेयरों में गिरावट को दुनिया के इन विकसित देशों में धीमी गति से आर्थिक विकास की प्रमुख वजह बताया गया है. इसके अनुसार अमेरिका के लिए ग्रोथ आउटलुक को ‘स्टेबल ग्रोथ’ से घटाकर ‘ग्रोथ लूजिंग मोमेंटम’ कर दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरती हुई इकोनॉमी में भारत के आर्थिक विकास की गति स्थिर नजर आ रही है. भारत के लिए के लिए ग्रोथ आउटलुक को ‘स्टेबल ग्रोथ’बताया गया है.

चीन और ब्राजील की आर्थिक वृद्धि डगमगाई

चीन और ब्राजील की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार भी कुछ धीमी पड़ गई है. OECD के अनुसार, कोविड-19 के कारण चीन में औद्योगिक इकाइयों में लगाए पूर्ण लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को पंगु कर दिया है. रिपोर्ट का दावा है कि वित्तीय वर्ष 2022 में चीन के 5.5 फीसदी की दर से आर्थिक वृद्धि करने का अनुमान शक के घेरे है. दूसरी ओर ब्राजील में बढ़ती महंगाई और सख्त होती वित्तीय परिस्थितियों ने आर्थिक भावनाओं और क्रय शक्ति ( Purchsasing Power) पर चोट की है. 2023 तक ब्राजील में निवेश के कम रहने का अनुमान है. क्योंकि वहां आगामी राष्ट्रपति चुनाव और अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं.

भारत के आर्थिक विकास की हालत स्थिर

दूसरी ओर  CLI में भारत के आर्थिक विकास की हालत स्थिर है. हालांकि इसमें पहले के मुकाबले मामूली गिरावट दर्ज की गई है. मार्च महीने में भारत का CLI 100.3 था. जून में घटकर यह 100.1 रह गया है. किसी बिजनेस साइकल के टर्निंग पॉइंट्स की जल्द जानकारी देने के लिए CLI को डिजाइन किया गया है. यह ऑर्डर बुक, कॉन्फिडेंस इंडिकेटर, बिल्डिंग परमिट्स और लॉन्ग टर्म इंटरेस्ट रेट्स समेत कई इंडिकेटर्स पर आधारित है.

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मुद्रास्फीति मुसीबत बनी भारत की मुसीबत

इससे पहले  OECD ने अपने आर्थिक पूर्वानुमान में बताया था कि भारत ने साल 2021 में जी-20 में सबसे ज्यादा तेजी से जीडीपी रिबाउंड (रिकवरी) दर्ज किया था. उसके बाद से भारत के आर्थिक विकास की गति लगातार धीमी हो रही है. OECD की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लिए मुद्रास्फीति मुसीबत बनी हुई है. वैश्विक परिस्थितियों के कारण खाद्य पदार्थ और कच्चे तेल ( Crude Oil) की कीमतों में बढ़ोतरी सबसे इसकी बड़ी वजह है.

HIGHLIGHTS

  • भारत ने साल 2021 में जी-20 में सबसे ज्यादा तेजी से GDP रिबाउंड किया
  • सीएलआई में भारत के आर्थिक विकास की हालत स्थिर यानी 'स्टेबल ग्रोथ'
  • OECD के कंपोजिट लीडिंग इंडिकेटर में ये तथ्य उभरकर सामने आया है
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