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Exclusive: Indo-Nepal बॉर्डर पर तेजी से बढ़ी मुस्लिम आबादी, ये घुसपैठ का नया तरीका?

भारत-नेपाल सीमा पर पिछले कुछ सालों में मुस्लिम आबादी काफी तेजी से बढ़ी है. उत्तर प्रदेश सरकार को भेजे गए सुरक्षा एजेंसियों के खुफिया रिपोर्ट की मानें तो खास तौर पर भारत नेपाल सीमा के महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती...

Updated on: 15 Sep 2022, 08:13 PM

highlights

  • भारत-नेपाल बॉर्डर पर चौंकाने वाला हाल
  • तेजी से बढ़ रही मुसलमानों की आबादी
  • स्थानीय लोगों के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी हैरान

नौतनवा/गोरखपुर/दिल्ली:

भारत-नेपाल सीमा पर पिछले कुछ सालों में मुस्लिम आबादी काफी तेजी से बढ़ी है. उत्तर प्रदेश सरकार को भेजे गए सुरक्षा एजेंसियों के खुफिया रिपोर्ट की मानें तो खास तौर पर भारत नेपाल सीमा के महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच में नेपाल सीमा से सटे भारतीय इलाकों में गांव और कस्बों में हजारों की संख्या में मुस्लिमों ने जमीन खरीदी है और यहां की नागरिकता बनवा कर व्यवसाय शुरू कर दिए हैं. न्यूज़ नेशन ने जब भारत नेपाल सीमा पर बसे सोनौली और नौतनवा कस्बे में मुस्लिमों की बढ़ती आबादी को लेकर पड़ताल की, तो नतीजे काफी चौंकाने वाले मिले. भारत-नेपाल सीमा पर बसे महराजगंज जिले का नौतनवां कस्बा सबसे संवेदनशील माना जाता है. नौतनवा कस्बे के कई वार्डों में पिछले 5 सालों में मुस्लिम आबादी में भारी इजाफा हुआ है. नौतनवा कस्बे के बहादुरशाह जफर नगर, बिस्मिल नगर, मौलाना आजाद नगर, हमीद नगर, परसोहिया जैसे मोहल्लों में पिछले कुछ सालों में नेपाल और दूसरे जगहों से आकर काफी संख्या में मुस्लिमों ने जमीन खरीदी है और यहां का पहचानपत्र और आधार कार्ड भी बनवा लिया है.

स्थानीय लोग मुसलमानों की बढ़ती संख्या से परेशान

नौतनवां तहसील के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यहां पर पिछले कुछ सालों में जितनी जमीन की रजिस्ट्री हुई है, उसमें 90 फीसदी मुसलमानों ने यहां की जमीनें खरीदी है. सीमा पर पिछले 2 दशकों से मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर स्थानीय लोग भी काफी परेशान हैं. नौतनवा कस्बे के समाजसेवी नरसिंह पांडेय का कहना है कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह से भारत-नेपाल सीमा पर बसे कस्बे और गांवों में मुसलमानों की संख्या तेजी से बढ़ी है, वह चौंकाती भी है और डराती भी है. यहां पर बेहद आसानी से लोगों को दूसरे जगहों से लाकर बसाया जा रहा है और बाहर से आने वाले लोगों का निवास प्रमाण पत्र, वोटर आईडी और आधार कार्ड भी अधिकारियों की मिलीभगत से बनवा दिया जा रहा है. अब तक इस बात की कोई भी जांच यहां पर नहीं हुई है कि यहां पर बसने वाले लोग कहां से आ रहे हैं और सीमाई क्षेत्र में मकान बनाने के पीछे उनका मकसद क्या है.

सीमा की सुरक्षा में लग रही है सेंध?

नौतनवा कस्बे के साथ-साथ सीमा पर बसे हरदी डाली, बरगदवा, खनुवा, सुंडी, फरेंदी, जुगौली, केवटलिया, चन्नी, भगवानपुर, पिपरा जैसे गावों में मुसलमानों की आबादी पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ी है. इसके साथ ही नेपाली इलाके के मर्चवार इलाके में दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां पर सघन मुस्लिमों की आबादी देखने को मिल रही है. हमारी पड़ताल के दौरान ही हमारी मुलाकात भारत-नेपाल मैत्री समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल गुप्ता से हुई. दोनो देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाये रखने की कोशिश करने वाले अनिल गुप्ता ने जो हमें बताया वह हमारे लिए भी बेहद चौंकाने वाला था. अनिल गुप्ता का कहना है कि नेपाल के मुसलमानों की मदद जहां आईएसआई और चाइना के द्वारा की जाती है वहीं उन्हीं नेपाली मुसलमानों के सगे संबंधी भारतीय क्षेत्रों में मकान बनाकर सीमा की सुरक्षा में सेंध लगा रहे हैं.

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तेजी से नागरिकता संबंधी कागजात हासिल कर रहे मुसलमान

कुछ ऐसी ही बात हमें भारत-नेपाल सीमा पर सालों से पत्रकारिता कर रहे पत्रकार जगदीश गुप्ता से पता चली. जगदीश गुप्ता ने बताया कि इस समय सीमा से सटे भारतीय इलाकों में जमीनों की खरीद बिक्री का धंधा काफी तेजी से चल रहा है और अधिकतर जमीन खरीदने वाले लोग मुस्लिम समाज से हैं. इन्हें जमीन दिलाने वाले लोग इनको अपना रिश्तेदार बताते हैं और इन्हें बसाने से लेकर उनकी नागरिकता दिलाने तक में उनकी मदद करते हैं.

डेढ़ गुना बढ़ी मुसलमानों की आबादी

पड़ताल के दौरान हमारी मुलाकात नौतनवा नगर पालिका के एक सभासद बृजेश मणि से हुई. बृजेश मणि ने सीमा पर बढ़ते मुसलमानों की संख्या को आने वाले समय के लिए बेहद खतरनाक बताया. बृजेश मणि ने कहा कि उनके आस-पास के मुस्लिम बहुल मुहल्लों में पिछले 5 सालों में ही डेढ़ गुने का इजाफा हुआ है. इसके साथ ही इन मोहल्लों में मस्जिदों और मदरसों की भी संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. बृजेश मणि का कहना है कि कस्बे में चल रहे इन मदरसों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे बिहार से लाए जा रहे हैं, जिस पर उन्होंने जिला प्रशासन के पास अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है.

कहीं दूसरे देशों से तो आकर नहीं बस रहे मुसलमान?

इस इलाके में जमीनों की खरीद और बिक्री का सारा काम नौतनवा तहसील से होता है. इस इलाके में मुसलमानों की बढ़ती आबादी और उनके बारे में जमीनी हकीकत जानने के लिए जब न्यूज़ नेशन की टीम ने नौतनवा तहसील के एसडीएम दिनेश मिश्रा से बात की तो पता चला कि यहां पर पिछले कुछ सालों में डेमोग्राफिक चेंज करने की एक पूरी साजिश रची जा रही है. एसडीएम दिनेश मिश्रा ने न्यूज़ नेशन से बात करते हुए माना कि पिछले कुछ सालों में नौतनवा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बढ़ी है और जमीनों के बैनामों में भी मुस्लिमों ने ज्यादा करवाया है. वह इस बात की भी जांच करा रहे हैं कि कहीं दूसरे देशों से रोहिंग्या मुसलमान या दूसरे लोग तो आकर उनके क्षेत्र में नहीं बसे हुए हैं.

वार्डों का बुरा हाल, हिंदू रह जाएंगे पीछे?

चौंकाने वाली बात यह है कि नौतनवा कस्बे के सिर्फ एक वार्ड बिस्मिल नगर में पिछले 5 सालों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 623 से बढ़कर 958 हो गई है. न्यूजनेशन को इस तहसील से जो दस्तावेज हासिल हुए, उसके हिसाब से साल 2017 से लेकर 2022 तक सिर्फ इस एक मुस्लिम बहुल वार्ड में यह आबादी तेजी से बढ़ी है. हालांकि यह सिर्फ एक वार्ड का आंकड़ा है और जब इस तहसील से हमने दूसरे सभी वार्डों के साथ आसपास के गांवों के आंकड़ों को जानने की कोशिश की, तो इसे गोपनीय बताकर विभाग ने देने से मना कर दिया. इस आंकड़े को देखकर आप खुद ही समझ सकते हैं कि पूरे कस्बे और ग्रामीण इलाकों में क्या स्थिति होगी. नौतनवा कस्बे में कुल वार्डों की संख्या 25 है, जिसमें एक दर्जन वार्डो में मुस्लिम आबादी पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ी है. एसडीएम का दावा है कि वह इस बात की भी जांच करा रहे हैं कि दूसरे जिलों और दूसरे देशों से लोग आखिर क्यों इसी इलाके में आकर जमीन खरीद रहे हैं.

तेजी से बढ़ी मदरसों-मस्जिदों की संख्या

यूपी के नेपाल सीमा से सटे 5 जिलों में करीब 1,000 गांव हैं. इनमें से 116 में 50% से अधिक मुस्लिम आबादी है. लगभग 303 गांवों में मुस्लिम आबादी 30% से 50% के बीच है. सुरक्षा एजेंसियों ने जो रिपोर्ट सरकार को दी है, उसकी मानें तो इन जिलों में न केवल मुसलमानों की संख्या बल्कि मस्जिदों और मदरसों की संख्या में भी अप्रैल 2018 से मार्च 2022 तक  25% की वृद्धि हुई है. खुफिया रिपोर्टों की मानें तो 2018 में सीमावर्ती जिलों में 1349 मस्जिद थे जो अब बढ़कर 1688 पहुंच गयी है.

घुसपैठ का नया डिजाइन?

भारत-नेपाल सीमा पर डेमोग्राफिक चेंज केवल जनसंख्या में वृद्धि के बारे में नहीं है, यह भारत में घुसपैठ का नया डिजाइन माना जा रहा है. यही कारण है कि असम और यूपी की सुरक्षा एजेंसियों ने बीएसएफ और एसएसबी का दायरा बढ़ाने का सुझाव दिया है. भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी अभी बॉर्डर से 10 किलोमीटर की रेंज में ही जांच कर सकती है जिसे और बढ़ाने की मांग की जा रही है. नियम तो यह है कि भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाकों में नो-मेन्स लैंड से 10 किलोमीटर के क्षेत्र में कोई भी मस्जिद, मदरसा या मंदिर का नया निर्माण बिना प्रशासन की अनुमति से नहीं हो सकता, लेकिन आज जिस तरह से धड़ल्ले से मस्जिदों और मदरसों की संख्या बढ़ रही है वो बताती है कि भारत नेपाल सीमा पर संकट गहराता जा रहा है.