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'वेदांत-फॉक्सकॉन' हटने पर BJP MLA ने MVA सरकार को ठहराया जिम्मेदार

महाराष्ट्र में 'वेदांत-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट' को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर निशाना साधते हुए इस प्रकल्प के महाराष्ट्र से बाहर जाने का जिम्मेदार बता रहे हैं. महाराष्ट्र की पिछली सरकार...

Updated on: 15 Sep 2022, 06:21 PM

highlights

  • महाराष्ट्र से वेदांत-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट जाने को लेकर घमासान
  • बीजेपी विधायक ने एमवीए सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
  • पिछली सरकार ने बहुत सारा समय कर दिया बर्बाद

मुंबई:

महाराष्ट्र में 'वेदांत-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट' को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर निशाना साधते हुए इस प्रकल्प के महाराष्ट्र से बाहर जाने का जिम्मेदार बता रहे हैं. महाराष्ट्र की पिछली सरकार में मंत्री जयंत पाटिल ने मौजूदा सरकार पर आरोप लगाते हुए ये दावा किया है कि वेदांत फॉक्सकॉन परियोजना को जानबूझकर महाराष्ट्र से वापस लिया गया था. वहीं उनके इस दावे पर बीजेपी विधायक अमीत साटम ने जवाब देते हुए कहा है कि महाराष्ट्र की पिछली सरकार (MVA) की उदासीनता के कारण 'वेदांत - फॉक्सकॉन' के हाथ से निकल गया. साटम ने इस पूरे मामले में समयरेखा के साथ विस्तार से जानकारी देते हुए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले महाविकास आघाडी सरकार पर निशाना साधा है.

महाविकास आघाडी के दावे गलत

एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री जयंत पाटिल ने दावा किया था कि महाराष्ट्र की पिछली सरकार ने 'वेदांत - फॉक्सकॉन' परियोजना को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की थी, जिसे अब बीजेपी विधायक अमित साटम ने बिल्कुल गलत बताया है. साटम ने जयंत पाटिल को चुनौती दी है और कहा है कि उनके पास परियोजना के बारे में तथ्य पत्रक हैं. जयंत पाटिल का यह दावा कि महा विकास अघाड़ी सरकार ने महाराष्ट्र में परियोजना को पूरा करने के लिए बहुत प्रयास किए हैं, पूरी तरह से गलत है. साटम ने कहा की हमें दावों को बेनकाब करने के लिए परियोजना की समय-सीमा को समझना होगा.

MVA की नीति के कारण रद्द हुआ 'वेदांत-फॉक्सकॉन' का महाराष्ट्र में निवेश

बीजेपी नेता ने बताया कि अगस्त 2015 में, देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था. फॉक्सकॉन ने सेमी-कंडक्टर उद्योग में $15 बिलियन का निवेश करने का निर्णय लिया. लेकिन जून 2020 में, महा विकास अघाड़ी सरकार के मंत्री शुभाश देसाई ने समझौता ज्ञापन को रद्द करने की घोषणा की. साटम ने इस बड़े निवेश के रद्द होने के लिए सत्ता में बैठी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार की 'असहनीय' नीति को कारण बताया. कंपनी ने हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और तेलंगाना पर महाराष्ट्र को प्राथमिकता दी थी, क्योंकि यह एकमात्र राज्य था जिसे ऐसे उद्योग के लिए 'महाराष्ट्र इलेक्ट्रॉनिक नीति 2016' की आवश्यकता थी. साटम ने यह भी कहा कि यह नीति देवेंद्र फडणवीस की सरकार द्वारा लाई गई थी.

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तेलंगाना और तमिलनाडु भी हुए दौड़ से बाहर

इसी साल फरवरी महीने में, वेदांत और फॉक्सकॉन ने एक जॉइंट वेंचर के लिए 'एक संयुक्त उद्यम' (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किया था. बताया जाता है की इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र में अनुकूल वातावरण था. लेकिन पिछली सरकार ने निवेशकों को वैसा वातावरण नही दिया, जिसकी उनको उम्मीद थी जिसके कारण ये प्रकल्प महाराष्ट्र से छिन गया. महाराष्ट्र के अलावा  तेलंगाना और तमिलनाडु भी 28 जून 2022 तक इस परियोजना को पाने के दौड़ में थे, लेकिन उन्होंने ने भी दौड़ छोड़ दी और महाराष्ट्र की MVA सरकार के मंत्रियों के कारण महाराष्ट्र भी इस रेस में हार गया. हालांकि साटम ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में नई सरकार बनते ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस प्रकल्प को दोबारा से हासिल करने के लिए पूरी कोशिश की थी.

पिछली सरकार ने बहुत वक्त बर्बाद किया

साटम ने कहा कि इस संबंध में तुरंत कई बैठकें की गईं. अन्य राज्यों के पहले से ही दौड़ से बाहर होने के कारण, कंपनी के पास दो विकल्प थे. साटम ने कहा कि परियोजना को महाराष्ट्र में वापस लाने के लिए लगभग 90 प्रतिशत समझौता ज्ञापनों पर कंपनी और सरकार दोनों द्वारा हस्ताक्षर और घोषणा की गई है. लेकिन क्योंकि पिछली सरकार ने बहुत वक़्त बर्बाद कर दिया और जिस तरह से पिछले 2 साल में कंपनी का MVA के साथ का अनुभव रहा और जिन कठिनाइयों का उन्हें सामना करना पड़ा, उसके कारण ही ये प्रकल्प महाराष्ट्र के हाथ से निकल गया.