भारत बायोटेक स्टार्टअप के साथ दुनिया की प्रमुख बायोइकोनॉमी के रूप में उभर रहा है: केंद्र
भारत बायोटेक स्टार्टअप के साथ दुनिया की प्रमुख बायोइकोनॉमी के रूप में उभर रहा है: केंद्र
नई दिल्ली:
भारत तेजी से बढ़ते बायोटेक स्टार्टअप के साथ दुनिया की प्रमुख जैव-अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। एसोसिएशन ऑफ बायोटेक्नोलॉजी लेड एंटरप्राइजेज (एबीएलई) की 20वीं वर्षगांठ के समारोह के अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत केवल दो वर्षों में चार स्वदेशी टीके विकसित किए हैं। कोवैक्सीन को विकसित करने के क्षेत्र में वृद्धि करते हुए भविष्य के टीकों के सुचारू विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का भी निर्माण किया है, ताकि हमारा देश किसी भी महामारी से लड़ने के लिए तत्पर रहे।केंद्र के मुताबिक वैश्विक नवाचार सूचकांक 2022 में भारत 81वें स्थान से 40वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि हमें अब निकट भविष्य में शीर्ष 25 में और टॉप 100 के शीर्ष पांच में आने की आकांक्षा रखनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के सर्वव्यापीस्लोगन में जय अनुसंधान को जोड़कर नवाचार को एक बड़ी प्रेरणा प्रदान की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाले यूनिकॉर्न का भी देश है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे नए विचारों और प्रौद्योगिकियों के स्रोत हैं। भारत के स्टार्टअप और अनुसंधान एवं विकास के परिणाम दुनिया के समान ही वैश्विक मानदंड स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत की युवा प्रतिभाएं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, स्टार्टअप्स या अन्य माध्यमों से, एक संपन्न नवोन्मेष आधारित अर्थव्यवस्था के लिए सफलता की गाथा लिख रही हैं।
मंत्री ने कहा कि पहले की नीतिगत पहलों और राजनीतिक व्यवस्था में नवोन्मेष के लिए एक सक्षम माहौल न के बराबर था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली राजनीतिक व्यवस्था द्वारा अब वह माहौल प्रदान किया जा रहा है और भारत निरंतर रूप से उन्नति कर रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय उद्योग दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था का आधार है और इनमें क्रांति और प्रौद्योगिकी आंदोलन लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि देश में युवा नवप्रवर्तकों को आकर्षित करने के लिए अनुसंधान, स्टार्टअप, शिक्षा और उद्योग का एकीकरण अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक अनिवार्य आवश्यकता है।
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