बंगाल में टास्क फोर्स ने तीव्र श्वसन संक्रमण से निपटने के लिए दिशानिर्देश की रूपरेखा तैयार की
बंगाल में टास्क फोर्स ने तीव्र श्वसन संक्रमण से निपटने के लिए दिशानिर्देश की रूपरेखा तैयार की
कोलकाता:
एच3एन2 उपप्रकार और एडेनोवायरस सहित तीव्र श्वसन संक्रमण (एआरआई) के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित विशेष टास्क फोर्स ने इससे निपटने के लिए सात सूत्री दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार की है।गाइडलाइंस में कहा गया है कि निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को एआरआई के इलाज की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को घर-घर सर्वे के दौरान एआरआई प्रभावित बच्चों की पहचान करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि शीघ्र पहचान हो सके और समय पर इलाज शुरू हो सके।
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 1 जनवरी से अब तक एआरआई से प्रभावित 10,999 बच्चों को राज्य के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हालांकि, उनमें से एच3एन2 और एडेनोवायरस के पुष्ट मामलों की संख्या का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। अनौपचारिक स्रोत, विभिन्न प्रयोगशाला परीक्षण रिपोटरें का हवाला देते हुए दावा करते हैं कि कोलकाता में एच3एन2 उपप्रकार के कारण होने वाले इन्फ्लुएंजा ए वायरस के मामलों का प्रतिशत एआरआई से जुड़े कुल मामलों का 40 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक है।
शहर के फिजिशियन डॉ. उदित्पा रॉय के मुताबिक, दो साल से कम उम्र के बच्चे और कॉमरेडिटी वाले सीनियर सिटीजन लंबे समय तक खांसी और जुकाम जैसी लंबी बीमारी से पीड़ित होते हैं। हालांकि, एच3एन2 उपप्रकार एच1एन1 जितना घातक नहीं है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार के ताजा बयान के मुताबिक, अब तक कुल 19 बच्चों की मौत हुई है, जिनमें से 13 को दूसरी बीमारियां थीं। हालांकि, अनाधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी से सोमवार तक संबंधित सिंड्रोम से मरने वालों की संख्या 147 है।
हाल ही में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैजा एंड एंटरिक डिजीज (एनआईसीईडी) के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 1 जनवरी से 9 मार्च तक पूरे देश में एडेनोवायरस-पॉजिटिव परीक्षण किए गए स्वैब नमूनों में से 38 प्रतिशत पश्चिम बंगाल से रिपोर्ट किए गए हैं, जो इस गिनती पर सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
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