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मंगल पर कभी था जीवन, सतह के नीचे बर्फ के ग्लेशियर होने का दावा

यह संभव है कि पहले कभी मंगल का वातावरण पानी या तरल पदार्थ को ग्रह की जमीन पर मौजूद रखने में सक्षम था. लेकिन मंगल पर पानी की झील मिलने से अब यह संभावना बढ़ गई है कि वहां जीवन के अनुकूल परिस्थितियां रही होंगी.

Updated on: 11 May 2021, 12:38 PM

highlights

  • कनाडा के वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा
  • मंगल पर बर्फ के ग्लेशियर होने का दावा
  • मंगल पर जीवन होने की बात को आधार मिला

नई दिल्ली:

दुनियाभर के वैज्ञानिक आज मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन की तलाश में जुटे हुए हैं. NASA का परसिवरेंस रोवर जेजेरो क्रेटर के पास प्राचीन जीवन की तलाश शुरू करने वाला है. मंगल हमारे सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है. पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, जिस वजह से इसे लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है. पृथ्वी की तरह मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है. इसका वातावरण विरल है. जिसके कारण वैज्ञानिकों को लगता है कि पृथ्वी की तरह मंगल पर भी जीवन हो सकता है.

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इस बीच कनाडा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के एक लैडिंग साइट के नजदीक लावा के मलबे से ढके ग्लेशियर की खोज करने का दावा किया है. प्रसिद्ध साइंस जर्नल इकारस में प्रकाशित उनकी रिसर्च के अनुसार मंगल पर मिला यह ग्लेशियर अंटार्कटिका में बर्फ की सतह के भीतर पाई जाने वाली हिमनद धाराओं के समान है.

सदी की सबसे बड़ी खोज होगी

लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस सतह के नीचे ग्लेशियर पाया जाता है तो इसे आज तक की सबसे बड़ी कामयाबी माना जाएगा. इससे धरती से मंगल पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की कोशिशों को भी रफ्तार मिलेगी. हालांकि, यह ग्लेशियर ऐसा नहीं होगा जिससे इंसानों की प्यास खत्म हो सके. अभी यह पता करना बाकी है कि मंगल के सतह के अंदर यह ग्लेशियर कितनी मात्रा में उपलब्ध है.

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कनाडा में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओन्टेरियो में डॉक्टरेट के छात्र शैनन हिब्बार्ड ने कहा कि नए फ्लो जैसी दिखने वाली विशेषताएं अजीब हैं क्योंकि वे समतल भूभाग पर होती हैं. हिबर्ड ने लाइव साइंस के साथ बातचीत में कहा कि इस बात के बहुत सारे सबूत हैं कि यह एक बर्फ से समृद्ध क्षेत्र है, लेकिन हमारे पास कोई स्थलीय सबूत नहीं हैं. 

मंगल पर मशरूम उगने का दावा

हाल ही में 'स्पेस टाइगर किंग' कहे जाने वाले वैज्ञानिक ने दावा किया है कि लाल ग्रह पर 'पफबॉल' जैसी चट्टानें दरअसल मशरूम हैं. चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज के माइक्रोबायॉलजिस्ट डॉ. शिनली वेई, हार्वर्ड-स्मिथसोनियन के ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉ. रुडॉल्फ शिल्ड और 'स्पेस टाइगर किंग' डॉ. रॉन गैब्रियाल जोसेफ का दावा है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Curiosity रोवर और HiRISE क्राफ्ट से मिले डेटा में यह पता चला है. इस स्टडी पर वैज्ञानिक समुदाय ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.