Earthquake: क्यों आते हैं भूकंप? जानिए किस रिक्टर स्कैल पर बजती है खतरे की घंटी

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Shivani Kotnala
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Earthquake( Photo Credit : Social Media)

Earthquake: बीती रात पड़ोसी देश नेपाल ही नहीं भारत के भी कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस हुए. यह करीब आधी रात का समय था जब सब अपने- अपने घरों में सो रहे थे.  कुल 3 भूकंप के झटके अलग- अलग समय पर महसूस हुए. तीसरा भूकंप का झटका सबसे तीव्र था.रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता क्यों कि 6.6 थी इसलिए यह सभी की नींद उड़ाने के लिए काफी था. नेपाल में जान और माल का नुकसान हुआ है.

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खबर लिखे जाने तक नेपाल में 6 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इंटरनेट पर नेपाल में आई इस त्रासदी की कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं. नेपाल के दोती जिले में अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. वहीं भूकंप के मंजर की ये तस्वीरें साल 2015 के नेपाल भूकंप की याद दिला रही हैं. आखिर क्या है भूकंप और क्यूं आते है भूकंप?

क्या है भूकंप

प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप के बारे में वैसे तो स्कूली किताबों में ही बहुत सी बातें जानने को मिलती हैं. भूकंप यानि जमीन के भीतर की हलचल का प्रभाव जमीन तक पहुंचना. वैज्ञानिकों के मुताबिक जमीन के भीतर प्लेट्स की तेज हलचल और आपसी टकराव भूकंप है. क्यूं के जवाब में कहा जा सकता है इसका कारण कई बार ज्वालामुखी का विस्फोट होना तो कभी मानवीय कारक माइन और न्यूक्लियर टेस्टिंग होते हैं.

भूकंप से बचाव के उपायों में सभी को सलाह दी जाती है कि उन्हें भूकंप की जरा भी आहट से तुरंत चौंकन्ना हो जाना चाहिए और किसी खुली जगह भाग कर पहुंच जाना चाहिए. लेकिन भूकंप इतना अक्समात होता है कि कई बार इंसानी जान तक इसकी चपेट में आ जाती है. ऐसे में यह कैसे जानें कि भूकंप किस स्टेज पर खतरे की घंटी बजाता है.

जितनी ज्यादा तीव्रता उतना भयावह होता मंजर

भूकंप की तीव्रता जितनी ज्यादा होगी नुकसान भी उतना ही ज्यादा होता है. भूकंप की तीव्रता 0 से 10 के बीच नापी जाती है. सबसे निचला स्तर 0 से 1.9 का माना जाता है. इस तीव्रता पर भूकंप के झटके बहुत हद तक महसूस नहीं होते हैं. वहीं अगर यह तीव्रता 2 से 2.9 बढ़ जाती है आप हल्के झटके महसूस करने लगते हैं. 3 से 3.9 तीव्रता का भूकंप आपको तेज महसूस होता है. 

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इस लेवल पर बजने लग जाती है खतरे की घंटी

रिक्टर स्केल पर 4 से 5.9 तीव्रता वाला भूकंप आपके आस- पास की वस्तुओं को नुकसान पहुंचाता है. इस स्टेज पर खिड़कियां टूट सकती हैं और ईमारतों में दरारें भी आ सकती है. वहीं अगर यह 5.9 तीव्रता से लेकर 7.9 तीव्रता का है तो कच्चे घर टूट कर तहस- नहस हो जाते हैं. पक्की ईमारतें पर धराशायी हो जाती हैं. वहीं यह मंजर 8 तीव्रता के बाद भयावह होता है. सूनामी का खतरा बढ़ जाता है और हिलती धरती का खौफनाक मंजर सामने होता है.

Source : Shivani Kotnala

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