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ISRO ने निजी कंपनियों के लिए खोले अपने द्वार कहा अब, पूरे देश की क्षमता का होगा उपयोग

इससे ने केवल इस क्षेत्र में विकास होगा बल्कि भारतीय उधोग को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने में सक्षम होगा.

Updated on: 25 Jun 2020, 11:58 AM

नई दिल्ली:

इसरो प्रमुख के सिवन ने आज अपने ताजा बयान में कहा कि, यदि अंतरिक्ष क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खोला जाता है तो इससे सम्पूर्ण देश को इसका लाभ मिलेगा. सिवन ने कहा इससे न केवल इस क्षेत्र में विकास होगा बल्कि भारतीय उधोग को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने में सक्षम होगा. इसरो प्रमुख ने कहा कि सरकार ने निजी उद्यमों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र खोलकर इसरो के लिए सुधार उपायों को लागू करने का निर्णय लिया है.’

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उन्होंने कहा, ‘लंबे समय तक सामाजिक-आर्थिक सुधार के हिस्से के रूप में, अंतरिक्ष सुधार भारत के विकास के लिए अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं तक पहुंच में सुधार करेंगे. दूरगामी सुधार भारत को कुछ देशों की अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए कुशल प्रचार और प्राधिकरण तंत्र में शामिल कर देंगे.’

के सिवन ने कहा, अंतरिक्ष विभाग, ‘क्षेत्र की अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देगा ताकि वे अंतरिक्ष सेवाओं को समाप्त करने में सक्षम हो सकें. इसमें रॉकेट और उपग्रहों का निर्माण और प्रक्षेपण के साथ-साथ वाणिज्यिक आधार पर अंतरिक्ष-आधारित सेवाएं प्रदान करना शामिल होगा.’

इसरो अध्यक्ष ने कहा, 'यदि अंतरिक्ष क्षेत्र (निजी उद्यमों के लिए) खोला जाता है, तो पूरे देश की क्षमता का उपयोग अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से लाभ प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है. यह न केवल क्षेत्र के त्वरित विकास में परिणाम देगा बल्कि भारतीय उद्योग को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने में सक्षम करेगा. इसके साथ प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार और भारत के एक वैश्विक तकनीकी पावरहाउस बनने का अवसर है.'

उन्होंने आगे कहा, 'सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की गतिविधियों को अनुमति देने और विनियमित करने के संबंध में स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए एक स्वायत्त नोडल एजेंसी की स्थापना को मंजूरी दी है. जिसका नाम है भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष, संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र. यह अंतरिक्ष प्रयासों में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा और इसके लिए इसरो अपनी तकनीकी विशेषज्ञता के साथ-साथ सुविधाओं को भी साझा करेगा.'