आईआईटी गुवाहाटी ने विकसित किया खास भारतीय जरूरतों को पूरा करने वाला कृत्रिम पैर
आईआईटी गुवाहाटी ने विकसित किया खास भारतीय जरूरतों को पूरा करने वाला कृत्रिम पैर
नई दिल्ली:
आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक खास तरह का कृत्रिम पैर विकसित किया है। यह असमान या उबड़ खाबड़ इलाकों में भी कारगर है। साथ ही क्रॉस लेग्ड सिटिंग और डीप स्क्वाटिंग जैसी भारतीय जरूरतों को भी पूरा करता है। आईआईटी गुवाहाटी के इस शोध को शिक्षा मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित किया गया है।आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ता 151 आर्मी बेस अस्पताल, गुवाहाटी, तोलाराम बाफना कामरूप जिला सिविल अस्पताल, गुवाहाटी, गुवाहाटी न्यूरोलॉजिकल रिसर्च सेंटर, उत्तरी गुवाहाटी और उत्तर पूर्वी इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान संस्थान शिलांग के साथ इसके लिए सहयोग कर रहे हैं।
दरअसल भारत में कृत्रिम अंग का विकास कई चुनौतियों का सामना करता है। विकलांगों के लिए अत्यधिक कार्यात्मक गतिशीलता के लिए उन्नत सुविधाओं वाले उपकरणों की आवश्यकता होती है। कई बार यह काफी खचीर्ला भी होता है और कई लोग वहन नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा, बाजार में उपलब्ध किफायती प्रोस्थेटिक्स की कई कार्यात्मक सीमाएं हैं। भारतीय जीवन शैली और असमान इलाके में भारत के लिए विशिष्ट विशिष्टताओं के साथ प्रोस्थेटिक्स की आवश्यकता होती है, जो बाजार में व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
प्रो. एस. कनगराज, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी गुवाहाटी के नेतृत्व में एक टीम इन मुद्दों से निपट रही है। इस शोध दल द्वारा विकसित उनके मॉडल के प्रोटोटाइप का वर्तमान में परीक्षण चल रहा है। अपने शोध के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए आईआईटी गुवाहाटी के प्रो. एस. कनगराज ने कहा, हमारी टीम द्वारा विकसित घुटने के जोड़ में एक स्प्रिंग असिस्टेड डीप स्क्वाट तंत्र है, जो भारतीय शौचालय प्रणाली का अधिक आराम से उपयोग करने में मदद करता है। घुटने को घुमाने की क्रियाविधि क्रॉस लेग्ड बैठने में मदद करती है। लॉकिंग तंत्र अज्ञात इलाके में चलते समय रोगियों के गिरने के डर को कम करने में मदद करता है। घुटने में समायोज्य लिंक लंबाई रोगियों की उम्र और आवश्यकता के आधार पर या तो अधिक स्थिरता या आसान फ्लेक्सिंग में मदद करती है। कुल मिलाकर, घुटने के जोड़ को भारतीय जीवन शैली को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है जिसे अन्य उत्पाद पूरा करने में विफल रहते हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक बाजार में उपलब्ध इस प्रकार के उपकरण पश्चिमी तकनीक के साथ विकसित किए गए हैं। इन उत्पादों में भारतीय जरूरतों को अनदेखा किया गया हैं। जैसे कि क्रॉस-लेग्ड सिटिंग, टॉयलेट के उपयोग के लिए डीप स्क्वाटिंग और योग में व्यायाम की मुद्राएं जिनका उपयोग पुनर्वास के लिए किया जा सकता है। यह नया समाधान देते हुए क्रॉस-लेग्ड सिटिंग की सुविधा के लिए उन्नत मैकेनिज्म विकसित किया गया है - जिससे पारंपरिक प्रोस्थेटिक घुटनों की सीमा में भारी सुधार हो सके। डीप स्क्वाट तंत्र खड़े होने के दौरान गति की गिरफ्तारी को रोकने और यह ऊर्जा लागत को कम करने में मदद करता है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: क्यों खास है इस वर्ष अक्षय तृतीया? ये है बड़ा कारण
-
Amavasya Ke Totke: दुश्मनों से हैं परेशान या कोई फैला रहा है नेगेटिव एनर्जी, तो आज रात करें ये उपाय
-
Chanakya Niti: चाणक्य के अनुसार क्या है मनुष्य का असली धर्म, यहां जानिए
-
Rajarajeshwar Temple: राजराजेश्वर मंदिर की क्या है खासियत जहां पीएम मोदी ने टेका माथा