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लद्दाख में पीछे खिसक रहा ग्लेशियर, आने वाली तबाही का अंदाज़ा भी है

वर्ष 2015 से देहरादून के वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (Wadia Institute of Himalayan Geology-WIHG) हिमनदों पर अध्ययन कर रहा है. यह संस्थान भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन है.

Updated on: 09 Aug 2021, 10:07 AM

highlights

  • तापमान बढ़ने, कम ठंड और बर्फबारी के कारण लद्दाख के ज़ंस्कार में पीछे खिसक रहे हैं ग्लेशियर 
  • ज़ंस्कार घाटी का यह ग्लेशियर 6.7 ± 3 m a−1 की औसत दर से पीछे खिसक रहा है

नई दिल्ली :

लद्दाख (Ladakh) के जंस्कार (Zanskar Valley) में स्थित पेनसिलुंगपा ग्लेशियर (Pensilungpa Glacier-PG) पीछे खिसक रहा है. हाल में हुये एक अध्ययन से पता चला है कि तापमान में बढ़ोतरी और सर्दियों में कम बर्फबारी होने के कारण यह ग्लेशियर पीछे खिसक रहा है. वर्ष 2015 से देहरादून के वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (Wadia Institute of Himalayan Geology-WIHG) हिमनदों पर अध्ययन कर रहा है. यह संस्थान भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन है. इसके तहत ग्लेशियरों में बर्फ के जमाव की स्थिति की निगरानी, बर्फ पिघलने की स्थिति, पहले की जलवायु परिस्थितियों, भावी जलवायु परिवर्तन की स्थिति और इस क्षेत्र के ग्लेशियरों पर पड़ने वाले प्रभावों पर अध्ययन किया जाता है. संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने लद्दाख के जंस्कार जैसे हिमालयी (Himalayas) क्षेत्रों का अध्ययन किया, जिनके बारे में बहुत कम जानकारी है.

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तापमान में बढ़ोतरी और सर्दियों में कम बर्फबारी है जिम्मेदार
ग्लेशियरों में बर्फ के जमाव की क्या स्थिति है और उस पर कितनी बर्फ है, इसका मौके पर जाकर मुआयना किया गया. इसके लिये बांस से बनी एक स्केल ग्लेशियर की सतह पर गाड़ी जाती है. उसे ड्रिल करके भीतर गाड़ा जाता है. इससे बर्फ की स्थिति की पैमाइश की जाती है. ऐसा ही एक पैमाना 2016-19 से ग्लेशियर की सतह पर मौजूद था. पेनसिलुंगपा ग्लेशियर पर जमी बर्फ पर पहले और मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ा है, इसका आकलन किया गया. चार वर्षों के दौरान होने वाले मैदानी अध्ययनों से पता लगा है कि ज़ंस्कार घाटी का यह ग्लेशियर 6.7 ± 3 m a−1 की औसत दर से पीछे खिसक रहा है. यह अध्ययन ‘रीजनल एनवॉयरेन्मेंट चेंज’ पत्रिका में छपा है. वैज्ञानिकों के दल ने ग्लेशियर के पीछे खिसकने का मूल कारण तापमान में बढ़ोतरी और सर्दियों में कम बर्फबारी को ठहराया है.

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अध्ययन में यह भी बताया गया है कि बर्फ के जमाव के ऊपर मलबा भी जमा है, जिसका दुष्प्रभाव भी पड़ रहा है. इसके कारण गर्मियों में ग्लेशियर का एक सिरा पीछे खिसक जाता है. इसके अलावा पिछले तीन वर्षों (2016-2019) के दौरान बर्फ के जमाव में नकारात्मक रुझान नजर आया है और बहुत छोटे से हिस्से में ही बर्फ जमी है. अध्ययन से यह भी पता चला है कि हवा के तापमान में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण बर्फ पिघलने में तेजी आयेगी. उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में हवा के तापमान में तेजी देखी जा रही है. संभावना है कि गर्मियों की अवधि बढ़ने के कारण ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी की जगह बारिश होने लगेगी, जिसके कारण सर्दी-गर्मी के मौसम का मिजाज भी बदल जाएगा. -इनपुट पीआईबी