logo-image

गज़ब! चीन में 20 मिनट के लिए दिखा नकली सूरज, असली सूरज से है ज्यादा शक्तिशाली

ये असली सूरज से कई गुना ज्यादा ऊर्जा देगा. चीन का "कृत्रिम सूरज" अपनी नयी तकनीकी के इस्तेमाल से 20 मिनट तक के लिए चला. इस दौरान उसका तापमान 70 मिलियन डिग्री तक चला गया.

Updated on: 02 Jan 2022, 01:12 PM

New Delhi:

चीन तकनीकी मामलों का क्या कहना. इनके तकनीकी मामलों ने एक नया मुकाम हासिल किया है. चीन की बात करें तो इसने अमेरिका, जापान से मजबूत तकनीकी वाे शहर को भी पीछे पछाड़ दिया है. चीन ने एक दावा सच कर दिखाया. चीन के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सूरज परमाणु संलयन रिएक्टर को सफलतापूर्वक दुनिया में दिखाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये असली सूरज से कई गुना ज्यादा ऊर्जा देगा. चीन का "कृत्रिम सूरज" अपनी नयी तकनीकी के इस्तेमाल से 20 मिनट तक के लिए चला. इस दौरान उसका तापमान 70 मिलियन डिग्री तक चला गया. यानी कहा जाए तो असली सूरज से पांच गुना ज्यादा गर्म हो गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस मशीन से परमाणु संलयन की शक्ति का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी. 

यह भी पढ़ें- लेटेस्ट अपडेट में मैसेज रिएक्शन, इन-ऐप अनुवाद जोड़ेगा टेलीग्राम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2006 में की थी. चीन ने कृत्रिम सूरज को एचएल-2एम (HL-2M) नाम दिया है, इसे चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के साथ साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है. इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य ये भी था कि प्रतिकूल मौसम में भी सोलर एनर्जी को बनाया जा सके.

क्या हैं कृत्रिम सूर्य

इस तकनीक को "कृत्रिम सूर्य" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह परमाणु संलयन प्रतिक्रिया की नकल करता है जो असली सूर्य की शक्ति देता है. जो ईंधन के रूप में हाइड्रोजन और ड्यूटेरियम गैसों का उपयोग करता है. यह चीनी द्वारा डिजाइन किया गया. ईएएसटी का उपयोग 2006 से दुनिया भर के वैज्ञानिकों को फ्यूजन से संबंधित प्रयोग करने में किया गया है.

जानकारों के मुताबिक शोधकर्ताओं ने "कृत्रिम सूर्य" को 70 मिलियन डिग्री पर 1,056 सेकंड, या 17 मिनट, 36 सेकंड तक चलाने में कामयाब रहे. वास्तविक सूर्य अपने मूल में लगभग 15 मिलियन डिग्री का तापमान पैदा करता है. 

10 हजार वैज्ञानिक कर रहे काम

10,000 से अधिक चीनी और विदेशी वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने "कृत्रिम सूर्य" को बनाने के लिए बहुत म्हणत की है.  हाइड्रोजन आइसोटोप को प्लाज्मा में उबालने, उन्हें एक साथ फ्यूज करने और पावर छोड़ने के लिए EAST अत्यधिक उच्च तापमान का इस्तेमाल किया है. बता दें कि चीन पहले ही इस प्रोजेक्ट  पर करीब 701 मिलियन पाउंड खर्च कर चुका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक हेफ़ेई इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंस के डिप्टी डायरेक्टर सोंग यूंताओ ने कहा कि उन्हें 2040 तक इससे बिजली पैदा करने की उम्मीद है. उन्होंने कहा: "अब से पांच साल बाद, हम अपना फ्यूजन रिएक्टर बनाना शुरू कर देंगे, जिसको बनाने में  और 10 साल लगेंगे. बनने के बाद हम बिजली जनरेटर का निर्माण करेंगे और लगभग 2040 तक बिजली पैदा करना शुरू कर देंगे. 

यह भी पढ़ें- 2021 की 5 तकनीकी खोज, जिनके बिना आपकी जिंदगी है अधूरी