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पृथ्वी की घूमने की रफ्तार हुई धीमी, वैज्ञानिक हुए हैरान

साल 2020 में वैज्ञानिकों को पता चला कि पृथ्‍वी की अपने अक्ष पर घूमने की रफ्तार सामान्‍य से ज्‍यादा तेज हो गई है. आपको बता दें कि पृथ्‍वी के तेज गति से घूमने की रफ्तार साल के पहले 6 महीने तक जारी रही. अब धरती अपने अक्ष पर सामान्‍य से धीमा घूम रही है.

Updated on: 27 Oct 2021, 11:06 PM

नई दिल्ली:

कोरोना महामारी का कहर एक तरफ दुनिया ने झेला, तो वहीं दूसरी तरफ साल 2020 में वैज्ञानिकों को पता चला कि  पृथ्‍वी की अपने अक्ष पर घूमने की रफ्तार सामान्‍य से ज्‍यादा तेज हो गई है. आपको बता दें कि पृथ्‍वी के तेज गति से घूमने की रफ्तार साल के पहले 6 महीने तक जारी रही. लेकिन मौजूदा वक्त में धरती की रफ्तार में एक बार फिर से बदलाव आ गया है. अब धरती अपने अक्ष पर सामान्‍य से धीमा घूम रही है. धरती के गति परिवर्तन से दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरानी में आ गये हैं.

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मिली जानकारी के मुताबिक पृथ्‍वी अपनी धुरी पर अपना एक चक्‍कर पूरा करने में औसतन 24 घंटे या फिर 86,400 सेकंड लेती है. व्‍यवहार में हर चक्‍कर में लगने वाले समय में कुछ अंतर रहता है. समय के साथ यह अंतर कुछ सेकंड में बदल जाता है. इस वक्त वैज्ञानिक परमाणु घड़ी की मदद से समय पर पूरी नजर रखते हैं जो वैश्विक स्‍तर पर समय को निर्धारित करने में मदद करती है.

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आपको बता दें कि परमाणु घड़ी सटीक समय बताती है. इससे धरती की रफ्तार में आने वाले बदलाव का भी पता चल जाता है. फिर वैज्ञानिक इस अंतर को बराबर करने के लिए लीप सेकंड जोड़ा या घटाया जाता है. इससे पहले कभी निगेटिव लीप सेकंड को समय में जोड़ा नहीं गया है, लेकिन साल 1970 से अब तक 27 बार एक सेकंड को बढ़ाया जरूर गया है जब धरती ने 24 घंटे से ज्यादा का वक्त एक चक्कर पूरा करने में लगाया हो.

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साल 1960 के बाद से एटॉमिक घड़ियां दिन की लंबाई का सटीक रिकॉर्ड रखती आई हैं. इस तरह से प्रत्‍येक 18 महीने में एक लीप सेकंड को जोड़ा गया. इनके मुताबिक 50 साल में धरती ने अपने ऐक्सिस पर घूमने में 24 घंटे से कम 86,400 सेकंड का वक्त लगाया है. लेकिन साल 2020 के बीच में यह पलट गया और एक दिन पूरा होने में 86,400 सेकंड से कम का वक्त लगा. जुलाई 2020 में दिन 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकंड छोटा था जो अब तक का सबसे छोटा दिन था. साल 2020 में औसतन हर दिन 0.5 सेकंड पहले खत्म हो गया. आपको बता दें कि समय में हो रहे इस बदलाव का बड़े स्तर पर कई असर हो सकते हैं. सैटलाइट और संपर्क उपकरण सोलर टाइम के हिसाब से काम करते हैं जो तारों, चांद और सूरज की स्थिति पर निर्भर होता है. वहीं नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के घूमने की रफ्तार कम होने से बड़े भूकंप आने की संभावना बढ़ गई है.