logo-image

चीन ने लांच किया वेंतियान, जो है 'स्वर्ग का महल' तियांगोंग का दूसरा हिस्सा

बीजिंग ने तियांगोंग स्पेस स्टेशन के सेंट्रल मॉड्यूल को अप्रैल 2021 में प्रक्षेपित किया था. लगभग 60 फीट लंबे और 22 टन भारी इस वेंतियान मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्रियों के सोने और वैज्ञानिक शोघ के लिए जगह होगी.

Updated on: 24 Jul 2022, 03:20 PM

highlights

  • चीन अंतरिक्ष में बना रहा है तियांगोंग (स्वर्ग का महल) स्पेस स्टेशन
  • वेंतियान में अंतरिक्ष यात्री नींद ले सकेंगे और कर सकेंगे वैज्ञानिक शोध
  • तियांगोंग स्पेस स्टेशन का तीसरा मॉड्यूल मेंगतियान अक्टूबर में जाएगा

बीजिंग:

अपने महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोग्राम (Space Programme) के तहत ड्रैगन ने रविवार को अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए जरूरी तीन मॉड्यूल्स में से दूसरे वेंतियान को भी लांच कर दिया. चीन (China) के हैनान प्रांत के वेनचैंग द्वीप से स्थानीय समयानुसार 2 बजकर 22 मिनट पर लांग मार्च 5-बी रॉकेट इसे लेकर लेकर अंतरिक्ष की ओर  रवाना हआ. लांग मार्च 5-बी (Long March 5 B) रॉकेट का शुमार इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा रॉकेट है, जो ड्रैगन के अंतरिक्ष में आकार ले रहे स्पेस स्टेशन तियांगोंग के निर्माण को पूरा करेगा. इस अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के साथ ही चीन दुनिया का तीसरा ऐसा देश होगा जिसका अपना स्पेस स्टेशन (Space Station) होगा. गौरतलब है कि तियांगोंग का मंदारिन भाषा में अर्थ होता है 'स्वर्ग का महल'. अभी तक अमेरिका और सोवियत संघ के स्पेस स्टेशन ही अंतरिक्ष में मौजूद हैं. चीन को उम्मीद है कि तियांगोंग स्पेस स्टेशन 2031 में सेवा से बाहर होने जा रहे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की जगह  लेगा. गौरतलब है कि चीन के अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस पर रुकने की अनुमति नहीं है, क्योंकि अमेरिकी क़ानून उसकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चीन के साथ जानकारियां साझा करने से प्रतिबंधित करते हैं. 

अंतरिक्ष यात्री सो सकेंगे और कर सकेंगे वैज्ञानिक शोध
वेंतियान को हैनान प्रांत के वेनचैंग द्वीप से लांग मार्च 5-बी रॉकेट लेकर रवाना हुआ. बीजिंग ने तियांगोंग स्पेस स्टेशन के सेंट्रल मॉड्यूल को अप्रैल 2021 में प्रक्षेपित किया था. लगभग 60 फीट लंबे और 22 टन भारी इस वेंतियान मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्रियों के सोने और वैज्ञानिक शोघ के लिए जगह होगी. यह तियांगोंग के पहले से भेजे जा चुके मॉड्यूल के साथ जुड़ कर स्पेस स्टेशन को आकार देगा. हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि अंतरिक्ष में इस तरह स्पेस स्टेशन के अलग-अलग मॉड्यूल को जोड़ना बेहद चुनौती भरा होता है. इसमें रत्ती भर भी गलती की गुंजाइश नहीं होती. इसीलिए इसमें रोबोटिक आर्म्स की मदद ली जाती है. वेंतियान तियांगोंग स्पेस स्टेशन को कंट्रोल करने के लिए बैकअप प्लेटफॉर्म की तरह भी काम करेगा. इस तियांगोंग के लिए जरूरी तीसरे मॉ़ड्यूल मेंगतियान को अक्टूबर में भेजा जाएगा. इसके बाद तियांयोंग टी-शेप में अपने पूर्ण स्वरूप को अख्तियार कर लेगा. आकार के मामले में यह सोवियत संघ के स्पेस स्टेशन मिर के बराबर होगा. 

यह भी पढ़ेंः  पाकिस्तान के लिए LoC के पास बंकर बना रहा चीन, खुफिया एजेंसियों ने किया आगाह

चांद और मंगल पर पहुंचने की भी योजना
अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने की होड़ में चीन की महत्वाकांक्षाएं यहीं नहीं रुकेंगी. ड्रैगन कुछ सालों में धरती के क़रीब मौजूद एस्टोरॉयड्स से नमूने इकट्ठा करना चाहता है. इसके साथ ही चीन की योजना 2030 तक अपना पहला अंतरिक्ष यात्री चांद पर उतारने की है. वह मंगल और बृहस्पति ग्रह पर खोजी यान भेजकर वहां से भी मिट्टी और चट्टानों के नमूने भी एकत्र करने की तैयारी कर रहा है. चीन की एकेडमी ऑफ साइंस ने अपने देश की 15वीं पंचवर्षीय योजना के लिए कुछ अंतरिक्ष अभियानों का चयन किया है. इसमें कम से कम पांच अभियान अंतरिक्ष खगोलविज्ञान, खगोलभौतिकी, बाह्यग्रह, हेलियोफिजिक्स और ग्रहीय एवं पृथ्वी विज्ञान के विषयों से जुड़े हैं. 

यह भी पढ़ेंः द्रौपदी मुर्मू कल ही नहीं, राष्ट्रपति कार्यकाल के आखिरी दिन भी रचेंगी इतिहास

अंतरिक्ष में चीन का इतिहास 
गौरतलब है कि पिछले एक दशक में ड्रैगन दो सौ से अधिक रॉकेट लांच कर चुका है. 1970 में चीन में सांस्कृतिक क्रांति की उथल-पुथल के बीच चीन ने अपने पहले उपग्रह को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया था. उस समय चीन से पहले सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान ही अंतरिक्ष में अपनी आमद दर्ज करा सके थे.  ड्रैगन चांग-ई 5 नाम से चांद पर पहले ही अपना मानवरहित अभियान भेज चुका है. इसके तहत चांद से नमूने एकत्र कर धरती पर लाए जाएंगे. चांद की सतह पर उतरने के बाद इस मिशन ने चांद की रंगीन तस्वीरें भी भेजी थीं. इस अभियान के तहत चांद की सतह पर चीन का झंडा भी फहराया गया, जो पहले फहराए गए अमेरिकी झंडे से काफी बड़ा है.