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चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ( Photo Credit : newsnation)
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इसरो (ISRO) ने बताया कि दो सितंबर, 2019 को चांद की कक्षा में स्थापित किया गया कृत्रिम उपग्रह चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) चांद से जुड़े सवालों के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए काम कर रहा है.
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ( Photo Credit : newsnation)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) ने कहा है कि उसने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) मिशन के शुरुआती आंकड़े आम लोगों के लिए जारी किए हैं. चंद्रयान-2 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई, 2019 को रवाना किया गया था. इसरो ने बताया कि दो सितंबर, 2019 को चांद की कक्षा में स्थापित किया गया कृत्रिम उपग्रह चांद से जुड़े सवालों के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए काम कर रहा है.
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इसरो का कहना है कि मिशन से जुड़ी अन्य सभी चीजें अच्छी स्थिति में हैं. इसरो ने आगे बताया कि बृहस्पतिवार को सभी उपयोगकर्ताओं के लिए आंकड़े जारी किये जा रहे हैं. चंद्रयान-2 मिशन चांद की सतह पर उतरने का भारत का पहला प्रयास था.
एल एंड टी ने भारत में बनायी थ्री डी निर्माण प्रौद्योगिकी पर आधारित इमारत
लार्सन एंड टूब्रो कंस्ट्रक्शन ने कहा कि उसने थ्री डी निर्माण प्रौद्योगिकी का उपयोग कर इमारत का सफलता पूर्वक निर्माण किया है. कंपनी का दावा है कि भारत में इस प्रौद्योगिकी के जरिये बनायी गयी यह पहली इमारत है. कंपनी ने तमिलनाडु स्थित अपने कांचीपुरम संयंत्र में थ्री डी निर्माण प्रौद्योगिकी का उपयोग कर 700 वर्ग फुट ‘बिल्ट अप एरिया’ में इमारत तैयार की है. इसे सामान्य रूप से उपलब्ध निर्माण सामग्री का उपयोग कर बनाये गये कंक्रीट से तैयार किया गया है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि 21 अरब डॉलर की प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और निर्माण समूह एल एंड टी की निर्माण इकाई एल एंड टी कंस्ट्रक्शन ने थ्री डी निर्माण प्रौद्योगिकी से इमारत (ग्राउंड प्लस वन) तैयार की है.
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यह पहली बार है जब भारत में इस तरीके से कोई इमारत बनायी गयी है. बयान के अनुसार देश 2022 तक सभी के लिये आवास काय्रक्रम के तहत 6 करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, ऐसे में इस उपलब्धि से मकान बनाने में तेजी आएगी. एल एंड टी के पूर्णकालिक निदेशक और वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष (बिल्डिंग) एम वी सतीश ने कहा कि थ्री डी कंक्रीट प्रिंटिंग एक आधुनिक प्रौद्योगिकी है जो निर्माण की मौजूदा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाएगी. इससे निर्माण के तौर-तरीकों में व्यापक बदलाव आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इससे न केवल निर्माण कार्यों में तेजी आएगी बल्कि निर्माण गुणवत्ता भी बेहतर होगी.