ब्रह्मांड की उत्पत्ति समेत इन रहस्यों का खुलेगा राज? वैज्ञानिकों ने दिया यह संकेत
स्विटजरलैंड स्थित यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन सर्न में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर एलएचसी के साइंटिस्ट ब्रह्मांड के रहस्य को उजागर करने की कोशिशों में जुटे हैं
highlights
- ब्रह्मांड की अनसुलझी गुत्थ्यिों को सुलझाने में जुटे वैज्ञानिक
- उत्पत्ति से लेकर ब्रह्मांड की इन रहस्यों का भी खुलेगा राज
- बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का निर्माण 13.8 अरब साल पहले हुआ था
नई दिल्ली:
ब्रह्मांड की उत्पत्ति इंसानों के लिए हमेशा से एक पहली रहा है. हालांकि वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के सृजन को लेकर तरह-तरह के खुलासे जरूर किए हैं. लेकिन वैज्ञानिक खोज इंसानों की जिज्ञासा को पूरी तरह से तृप्त नहीं कर पाई हैं. इस बीच स्विटजरलैंड स्थित यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन (Cern) में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर एलएचसी के साइंटिस्ट इस रहस्य को उजागर करने की कोशिशों में जुटे हैं. हमारे एलएचसीबी के इस्तेमाल ने दो कणों के बीच द्रव्यमान में सबसे छोटे अंतर में एक को मापा है. जिसकी सहायता से हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अन्य रहस्यों के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी.
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दरअसल, कण भौतिकी का मानक मॉडल ब्रह्मांड का निर्माण करने वाले मूलभूत कणों और उनके बीच काम करने वाले बलों के बारे में जानकारी देता है. इन प्राथमिक कणों में क्वार्क शामिल है. आपको बता दें कि क्वार्क भी 6 प्रकार का होता है. इनमें बॉटम, टॉप, चार्म, स्ट्रेंज, डाउन और अप शामलि है. इसी तरह 8 लेप्टॉन भी होते हैं, जिनमें टाऊ, इलेक्ट्रॉन और म्यूऑन होते हैं. बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांडका निर्माण 13.8 अरब साल पहले हुआ था, इस सिद्धांत के अनुसार इस घटनाक्रम से द्रव्य और प्रतिद्रव्य समान मात्रा में उत्पन्न होने चाहिए. बावजूद इसके आज ब्रह्मांड पूरी तरह से द्रव्य से निर्मित है. हालांकि यह ब्रह्मांड के लिए अच्छी बात भी है कि क्योंकि द्रव्य और प्रतिद्रव्य जब आपस में मिलते हैं तो पल भर में विनाश कर देते हैं.
भौतिक विज्ञान से जुड़े अहम सवालों में सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि ब्रह्मांड में प्रतिद्रव्य के मुकाबले द्रव्य इतना अधिक क्यों है? क्या ब्रह्मांड के निर्माण के समय कुछ ऐसी प्रक्रियाएं जारी थीं जो द्रव्य के लिए अधिक अनूकूल थीं. इस सवाल का जवाब जानने के लिए एक प्रक्रिया की स्टडी की गई है. इस प्रक्रिया में द्रव्य प्रतिद्रव्य में और प्रतिद्रव्य द्रव्य में बदल जाता है. इसके साथ ही क्वार्क आपस में मिलकर बेरियोग नाम के कणों का निर्माण करते हैं, जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन शामिल रहते हैं. जो परमाणु नाभिक बनाते हैं.
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इसके अतिरिक्त क्वार्क और एंटीक्वार्क आपस में जुड़कर मेसॉन बनते हैं. शून्य विद्युत आवेश वाले मेसॉन मिश्रण नाम की एक घटना से गुजरते हैं. इस प्रक्रिया के तहत वे अपने आप ही अपने प्रतिद्रव्य कण में तब्दील हो जाते हैं. जिसके तहत क्वार्क एंटीक्वार्क और एंटीक्वार्क क्वार्क में बदल जाता है. यह सब क्वांटम यांत्रिकी के कारण होता है. यही यांत्रिकी ब्रह्मांड को सबसे छोटे पैमाने पर कंट्रोल करती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि हम ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने के प्रयास में जुटे हैं, नया उन्नत एलएचसीबी डिटेक्टर सटीक मापन का रास्ता खोलेगा.
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