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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence-AI) ( Photo Credit : IANS )
शोधकर्ताओं की एक टीम ने सार्स, एमईआरएस और स्वाइन फ्लू सहित पिछले महामारी वायरल संक्रमण (Viral Infection Patients) वाले रोगियों में साझा पैटर्न को देखने के लिए जीन अभिव्यक्ति डेटा के टेराबाइट्स के माध्यम से एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence-AI) एल्गोरिदम का उपयोग किया है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो की तरफ से किए गए इस शोध में रिसर्चरों की टीम में प्रदीप्त घोष भी शामिल रहे, जिसमें दो तरह के संकेतों की बात की गई. पहले में 166 जीन्स का एक सेट रहा, जिसमें इस बात का खुलासा किया गया कि इंसानों की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरल संक्रमणों के प्रति किस से प्रतिक्रिया देती है, जबकि 20 सिग्नेचर जीन्स के एक दूसरे सेट में रोगी में बीमारी की गंभीरता को लेकर भविष्यवाणी की गई। उदाहरण के तौर पर क्या रोगी को अस्पताल में भर्ती करवाने या वेंटिलेटर पर रखने की आवश्यकता है या नहीं.
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फेफड़ों से प्राप्त ऊतकों या संक्रमित एनिमल मॉडल का सहारा लिया गया
इस एल्गोरिदम की उपयोगिता का सत्यापन करने के लिए कोविड-19 से मरे हुए मरीज के शव परीक्षण के दौरान फेफड़ों से प्राप्त ऊतकों या संक्रमित एनिमल मॉडल का सहारा लिया गया. घोष ने कहा, "वायरल महामारी से जुड़े ये सिग्नेचर हमें बताते हैं कि किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली एक वायरल संक्रमण के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है और यह कितनी गंभीर हो सकती है और इसी के साथ यह हमें भविष्य की महामारियों के लिए एक नक्शा भी देता है. एक वायरल संक्रमण के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा खून में साइटोकिन्स नामक छोटे प्रोटीन का संचार किया जाता है. ये प्रोटीन संक्रमण से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संक्रमण स्थल तक ले जाते हैं.
जर्नल बायोमेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में लिखा गया है कि कभी-कभार बॉडी में अधिक मात्रा में साइकोटिन्स का संचार होता है, जिससे एक ऐसी प्रतिरिक्षा प्रणाली का निर्माण होता है, जो शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं. साइटोकाइन स्टॉर्म के रूप में जानी जाने वाली इस दुर्घटना को उन कारणों में से एक माना जाता है, जिनमें सामान्य फ्लू से पीड़ित मरीज भी संक्रमण के चलते अपना दम तोड़ देते हैं. इस एल्गोरिथम का परीक्षण और प्रशिक्षण के लिए उपयोग किया जाने वाला डेटा रोगी जीन अभिव्यक्ति डेटा के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों से प्राप्त किया गया है - इन्हें सभी आरएनए रोगियों के जीन और ऊतक या रक्त के नमूनों से एकत्र किया गया है.
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हर बार जब कोविड-19 के रोगियों के डेटा का एक नया सेट उपलब्ध हुआ, तो टीम ने अपने मॉडल में इसका परीक्षण किया. उन्होंने हर बार एक ही सिग्नेचर जीन एक्सप्रेशन पैटर्न देखा. पहले सिग्नेचर जीन सेट में उन जीनों के स्रोत और कार्य की जांच करके अध्ययन ने साइटोकाइन स्टॉर्म के स्रोत का भी खुलासा किया, जो फेफड़ों के वायुमार्ग को अस्तर करने वाली कोशिकाओं और मैक्रोफेज और टी कोशिकाओं के रूप में जानी जाने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करती है. इसके अलावा, अध्ययन के निष्कर्ष में स्ट्रॉम के नतीजों का भी जिक्र किया गया जैसे कि फेफड़ों के वायुमार्ग को नुकसान पहुंचाना, कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना, खासकर इम्युन सेल को क्षति पहुंचाना, जो वायरस प्रभावित कोशिकाओं को खत्म करते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे आने वाले समय में साइकोटिन्स स्ट्रॉम का अनुभव करने वाले मरीजों के इलाज में सहायता मिल सकती है, इन्हें रोकने के उपायों के बारे में पता लगाया जा सकता है इत्यादि.
HIGHLIGHTS
- वायरल संक्रमण के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा खून में साइटोकिन्स नामक छोटे प्रोटीन का संचार किया जाता है
- ये प्रोटीन संक्रमण से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संक्रमण स्थल तक ले जाते हैं