पूजा-पाठ करने के लिए सभी लोग मंदिर जाते हैं. वहीं अक्सर आपने देखा होगा कि मंदिर के दरवाजों पर घंटियां होती है. जिन्हें लोग मंदिर में जाने से पहले बजाते हैं. इसके बाद ही भगवान की पूजा और अर्चना करते हैं. हिंदू धर्म में मंदिरों के बाहर घंटी बांधने का और बजाने की एक खास और पुरानी परंपरा है. आइए आपको बताते है इसके पीछे की वजह.
घंटी बजाने का धार्मिक महत्व
ऐसा कहा जाता है कि देवी-देवताओं को घंटी और शंख की आवाज बेहद प्रिय है. मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाने से देवी-देवताओं की प्रतिमा में चेतना जागने लगती है. साथ ही घंटी बजाने से शरीर के अंदर चेतना का संचार होने लगता है. मंदिर में प्रवेश से पहले और पूजा के दौरान घंटी बजाने से वातावरण चैतन्य हो उठता है. इसलिए मंदिरों में घंटी का प्रयोग किया जाता है.
'ॐ' की ध्वनि
स्कंद पुराण के मुताबिक, घंटी बजने से जो आवाज निकलती है, वह 'ॐ' की ध्वनि के समान होती है. माना जाता है कि मंदिर में घंटी बजाने से साधक को 'ॐ' उच्चारण के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है और यह वायुमंडल की वजह से काफी दूर तक जाता है. इस कंपन से यह फायदा होता है कि इसकी सीमा के अंदर आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि खत्म हो जाते हैं. इससे मंदिर और उसके आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है. कहा जाता है कि घंटी बजने की आवाज जिन जगहों पर नियमित आती है, उस जगह का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र रहता है. यह भी मान्यता है कि घंटी बजाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. इससे लोगों के समृद्धि के द्वार खुलते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)