हिंदू धर्म में पूजा को लेकर कुछ नियम और मान्यताएं है. वहीं मंदिर में सबसे पहले जाते ही जो काम होता है वो मंदिर में लगी घंटी को बजाना होता है. उसके बाद भक्त पूजा शुरू करते हैं. मंदिर में प्रवेश करते टाइम भक्त भगवान को अपना नमस्कार अर्पित करते हैं. यह सदियों पुराना रिवाज है, जिसका आज भी पालन किया जाता है. लेकिन कुछ लोग मंदिर से जाते टाइम भी घंटी बजाते है. यह कितना सही है और कितना गलत आइए आपको बताते हैं.
क्यों बजाई जाती है घंटी
ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति मंदिर में घंटी बजाता है तो घंटी बजाने वाले व्यक्ति और आसपास के लोगों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. स्कंद पुराण के मुताबिक, मंदिर की घंटी 'ऊं' की ध्वनि समान होती है. हिंदू धर्म में 'ऊं' की ध्वनि को शुद्ध और काफी पवित्र माना जाता है. जिसके लिए हर मंदिर में प्रवेश करते टाइम घंटी बजाने की खास परंपरा है.
बाहर निकलते टाइम क्यों नहीं बजानी चाहिए घंटी?
वास्तु शास्त्र के मुताबिक लौटते टाइम कभी भी घंटी नहीं बजानी चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से आप मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा को मंदिर में ही छोड़ देते हैं और हम मंदिर से खाली हाथ निकल जाते हैं. इसलिए मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए.
मंदिर में घंटी बजाने के नियम
मंदिर में घंटी बजाते समय कुछ खास नियमों का अवश्य पालन करना चाहिए. घंटी एक या दो बार ही बजानी चाहिए, लगातार नहीं बजानी चाहिए.इसके अलावा, घंटी बजाते समय किसी देवी- देवता के मंत्र या आरती का उच्चारण जरूर करना चाहिए. इससे आसपास का वातावरण पवित्र और शुद्ध रहता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)