क्या सच में होते हैं भूत-प्रेत? जानिए क्या कहता है सनातन धर्म

भूत, प्रेत, बुरी आत्माएं इन सभी से जुड़े कई किस्से-कहानियां आपके द्वारा पढ़ी या सुनी गई होंगी. लेकिन क्या आपने कभी इसे महसूस किया है. आइए आपको बताते हैं कि सनातन धर्म में इनके बारे में क्या कहा गया है.

भूत, प्रेत, बुरी आत्माएं इन सभी से जुड़े कई किस्से-कहानियां आपके द्वारा पढ़ी या सुनी गई होंगी. लेकिन क्या आपने कभी इसे महसूस किया है. आइए आपको बताते हैं कि सनातन धर्म में इनके बारे में क्या कहा गया है.

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Nidhi Sharma
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भूत-प्रेत

भूत-प्रेत Photograph: (Freepik)

वास्तव में भूत-प्रेत होते हैं या नहीं इस विषय पर जानने से पहले यह जान लीजिए कि आत्माएं कितने प्रकार की होती हैं. वहीं सनातन धर्म में भूत-प्रेत और अदृश्य शक्तियों का उल्लेख कई ग्रंथों और पुराणों में किया गया है. भूत-प्रेत को पितरों, यक्षों, राक्षसों और अन्य अदृश्य शक्तियों से संबंधित माना जाता है, जो किसी कारणवश अपनी यात्रा पूरी नहीं कर पाते और पृथ्वी पर भटकते रहते हैं. आइए आपको बताते हैं कि सनातन धर्म में भूत-प्रेत के बारे में क्या बताया गया है. 

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आत्मा कितने प्रकार की होती हैं ?

वास्तव में भूत-प्रेत होते हैं या नहीं इस विषय पर जानने से पहले यह जान लीजिए कि आत्माएं कितने प्रकार की होती हैं. शास्त्रों में यह विदित है कि तीन प्रकार की आत्माएं होती है. एक जीवात्मा, दूसरा प्रेत आत्मा और अंतिम सूक्ष्मात्मा. जो हमारे शरीर में वास करती है वह जीवात्मा कहलाता है. लेकिन जब जीवात्मा में वासना या कामनाएं निवास करती है तो उसे प्रेतात्मा कहते हैं और जब यह आत्माएं सूक्ष्मतम शरीर में वास करती है तो उसे सूक्ष्मात्मा कहा जाता है. 

कौन बनते हैं भूत?

शास्त्रों में इसका भी वर्णन मिलता है कि जो मनुष्य अपने जीवन में भूख, प्यास, रोग, क्रोध, वासना, इत्यादि की इच्छाओं के साथ मृत्यु को पाता है, उसे मृत्युलोक में भूत बनकर भटकना पड़ता है. इसके साथ ऐसा भी कहा गया है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु समय से पूर्व हुई हो अर्थात दुर्घटना में, हत्या के कारण या आत्महत्या के द्वारा तो उसकी आत्मा भी इस लोक भटकती रहती है. इसके साथ जिन आत्माओं का श्राद्ध कर्म, तर्पण इत्यादि नहीं किया जाता है. उनकी आत्मा भी मृत्युलोक में अपनी इच्छा पूर्ति के लिए भटकती रहती है.

किन्हें कहते हैं बुरी आत्मा?

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, जिन पितरों का श्राद्ध या तर्पण स्वजन द्वार नहीं किया जाता है. वह आत्मा अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए बुरी आत्मा का आवेश धारण कर परिवार के लोगों को या अन्य लोगों को परेशान करते हैं. इसीलिये हिंदू धर्म में श्राद्ध एवं तर्पण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. पितृ पक्ष में या अमावस्या तिथि के दिन श्राद्ध अथवा तर्पण आदि कर्म का विशेष महत्व है. इसके साथ धर्माचार्य यह भी बताते हैं कि जिन लोगों को जानबूझकर तड़पाया या सताया जाता है, वह भी मृत्यु के बाद बुरी आत्मा के रूप में व्यक्ति को या उसके परिवारजनों को परेशान करते हैं.

किन लोगोंं पर पड़ता है साया

धर्माचार्यों के अनुसार, जो व्यक्ति पवित्रता का पालन नहीं करता है या ईश्वर की उपासना नहीं करता है. हमेशा पाप कर्म करता है, उस पर भूत या बुरी आत्मा का साया आसानी से पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह आत्माएं कमजोर शरीर को तलाशती हैं और ऐसे लोग मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं और हमेशा डरे-डरे रहते हैं. इसके साथ यह भी बताया गया है कि जो लोग निशाचर प्रवृत्ति के होते हैं, उन पर भूतों का साया आसानी से पड़ सकता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

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