Chhath 2025 Kharna: छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पर क्यों बनाई जाती है गुड़ की खीर और रोटी? जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व

Chhath 2025 Kharna: नहाए खाए से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. 26 अक्टूबर रविवार को नहाय खाए मनाया जाएगा. खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद भगवान को चढ़ाया जाता है. जानिए इसका कारण.

Chhath 2025 Kharna: नहाए खाए से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. 26 अक्टूबर रविवार को नहाय खाए मनाया जाएगा. खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद भगवान को चढ़ाया जाता है. जानिए इसका कारण.

author-image
Akansha Thakur
New Update
Chhath 2025 Kharna

Chhath 2025 Kharna

Chhath 2025 Kharna: लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा 2025 नहाय-खाय के साथ 25 अक्टूबर से शुरू हो चुका है. यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व सूर्य उपासना, अनुशासन और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. आज यानी 26 अक्टूबर 2025 को खरना की शुरुआत हो चुकी है. छठ के महापर्व का दूसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. खरना का अर्थ होता है शुद्धता. इस दिन पर शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं मिट्टी के नए चूल्हे लगाने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी का काफी महत्व माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि खरना पर गुड़ की खीर और रोटी क्यों बनाई जाती है चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे के धार्मिक महत्व के बारे में. 

Advertisment

खरना का महत्व

खरना के दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन निराहार रहकर शाम को भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करती हैं. पूजा के बाद गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर अर्पित किया जाता है. इस दिन का प्रसाद बेहद पवित्र माना जाता है और इसे ग्रहण करने से पहले पूरे वातावरण की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है.

गुड़ की खीर और रोटी का धार्मिक कारण

खरना के अवसर पर गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाए जाने के पीछे गहरा धार्मिक महत्व जुड़ा है. पारंपरिक रूप से यह प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है. इस खीर को रसियाव भी कहा जाता है, जो चावल, दूध और गुड़ से बनाई जाती है. चावल और दूध चंद्रमा के प्रतीक माने जाते हैं. गुड़ सूर्य का प्रतीक माना गया है. छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है, इसलिए यह प्रसाद उनके प्रतीक रूप में अर्पित किया जाता है. यही कारण है कि खरना के दिन सिर्फ गुड़ की खीर और रोटी ही बनाई जाती है.

स्वच्छता और पवित्रता का ध्यान

खरना के प्रसाद की तैयारी के दौरान घर को पूरी तरह साफ किया जाता है और वातावरण को पवित्र रखा जाता है. व्रती महिलाएं श्रद्धा, भक्ति और मनोयोग से प्रसाद तैयार करती हैं. यह माना जाता है कि जिस घर में पवित्रता और स्वच्छता का पालन किया जाता है, वहां छठी मैया की विशेष कृपा बनी रहती है.

36 घंटे का निर्जला उपवास

खरना के बाद व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. खरना की शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही यह कठिन व्रत शुरू होता है. गुड़ में मौजूद प्राकृतिक पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे महिलाएं बिना जल ग्रहण किए लंबे समय तक उपवास रख पाती हैं. छठ का यह चरण भक्ति, शुद्धता और आत्मसंयम का प्रतीक है. खरना के दिन बनाया गया प्रसाद न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रकृति के तत्वों सूर्य और चंद्र के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक भी है.

यह भी पढ़ें: Health News: प्रदूषण से बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, कार्डियोलॉजिस्ट ने बताए बचाव के आसान उपाय

chhath-puja-kharna-prasad Kharna Bhog Prasad Chhath Puja 2025 Kharna Chhath Puja Kharna Vidhi Chhath Puja 2025 date Chhath Puja 2025 4-day Chhath Puja Chhath Puja
Advertisment