आखिर क्यों चिता की राख में लिखा जाता है 94? जानें अंतिम संस्कार की इस परंपरा के पीछे छिपा रहस्य

हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद दाह संस्कार के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं जिसमें एक है चिता की राख पर 94 लिखना. यह परंपरा लोगों की आस्था से जुड़ा है या अंधविश्वास से आइए जानते हैं.

हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद दाह संस्कार के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं जिसमें एक है चिता की राख पर 94 लिखना. यह परंपरा लोगों की आस्था से जुड़ा है या अंधविश्वास से आइए जानते हैं.

author-image
Akansha Thakur
New Update
Antim Sanskar Manikarnika Ghat Varanasi

Antim Sanskar Manikarnika Ghat Varanasi (X Images)

Antim Sanskar: वाराणसी को मोक्षदायिनी नगरी कहा जाता है. यहां स्थित मणिकर्णिका घाट सदियों से जीवन और मृत्यु का संगम रहा है. यह वह स्थान है जहां अंतिम संस्कार की अग्नि कभी बुझती नहीं. इसी घाट से जुड़ी एक खास परंपरा इन दिनों खूब चर्चा में है चिता की राख पर ‘94’ लिखने की परंपरा. यह मान्यता स्थानीय लोगों के लिए सामान्य है, लेकिन दूर-दराज से आने वाले लोगों के लिए यह एक रहस्य है. वे जानना चाहते हैं कि आखिर दाह संस्कार के बाद राख पर 94 क्यों लिखा जाता है. 

Advertisment

क्या है ‘94’ अंक का रहस्य?

माना जाता है कि मनुष्य के कुल 100 कर्म होते हैं. इनमें से 94 कर्म ऐसे होते हैं जिन्हें मनुष्य खुद नियंत्रित करता है. यह कर्म उसके विचारों, भावनाओं और कार्यों से जुड़े होते हैं. बाकी 6 कर्म जीवन और नियति से जुड़े माने जाते हैं. जैसे जीवन-मृत्यु, यश-अपयश, लाभ-हानि. इन पर मनुष्य का नियंत्रण नहीं होता.

दाह संस्कार पूरा होने के बाद जब चिता ठंडी हो जाती है, तो मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति या श्मशान कर्मी राख पर ‘94’ लिखता है. इसका अर्थ यह माना जाता है कि मृतक के वे 94 नियंत्रित कर्म अब भस्म हो चुके हैं. यानी वे कर्म जिन्हें व्यक्ति अपने जीवनकाल में संचालित करता था, अब समाप्त हो गए. यह संकेत माना जाता है कि मृतक अब सांसारिक बंधनों से मुक्त हो चुका है और बाकी 6 कर्म ईश्वर की इच्छा पर छोड़ दिए गए हैं.

क्या है इसका शास्त्रीय आधार?

हिंदू शास्त्रों में कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष का विस्तृत वर्णन है. लेकिन चिता की राख में ‘94’ अंक लिखने का उल्लेख किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता. इसलिए इसे शास्त्रीय परंपरा नहीं, बल्कि एक स्थानीय आस्था और लोकविश्वास माना जाता है. यह परंपरा कर्म सिद्धांत पर आधारित एक प्रतीकात्मक मान्यता है जिसे पीढ़ियों से निभाया जा रहा है. 

यह भी पढ़ें: Year Ender 2025: इस साल चर्चा में रहे भारत के ये 5 बड़े और प्रसिद्ध मंदिर, आप भी कर लें जाने का प्लान

Disclaimer: यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता पर भरोसा करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Manikarnika Ghat Varanasi Manikarnika Ghat Antim Sanskar Rules Varanasi rituals
Advertisment