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Som Pradosh Vrat 2025
SomPradoshVrat 2025:आज यानी 2 नवंबर 2025, सोमवार को सोम प्रदोष का व्रत है. ये दिन भगवान शिव का है और सोम प्रदोष व्रत भी उन्हें ही समर्पित है. ऐसे में आज का यह व्रत शिव जी कृपा पाने का शुभ अवसर होता है. आज सूर्यास्त के बाद महादेव की उपासना का विधान है. इस दौरान शिवलिंग पर जलाभिषेक करने भाग्य अच्छा होता है साथ तमाम तरह की बीमारियां भी दूर होती है. यह दिन आध्यात्मिक शुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इस बार का सोम प्रदोष व्रत कई शुभ योगों और नक्षत्रों के संयोग में पड़ रहा है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्र के बारे में.
सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत आज यानी 3 नवंबर 2025 को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगी और इसका समापन 04 नवंबर 2025 को सुबह 02 बजकर 05 मिनट पर होगा. ज्योतिषी के अनुसार, इस बार प्रदोष व्रत आज रखा जाएगा. यह कार्तिक मास का अंतिम प्रदोष व्रत भी है.
सोम प्रदोष व्रत पर बन रहे 3 शुभ योग
हर्षण योग
इस कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर हर्षण योग का शुभ संयोग बन रहा है. यह हर्षण योग पूरे दिन रहेगा. इसका समापन प्रदोष काल यानी शाम 07 बजकर 40 मिनट पर होगा. ज्योतिष के अनुसार, हर्षण योग में भगवान शिव और माता पार्वती का साथ चंद्र देव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है. इस विशेष योग में की गई आराधना से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
शिववास योग
ज्योतिष के अनुसार, आज यानी सोम प्रदोष व्रत के दिन शिववास योग का संयोग रहेगा. यह योग देर रात 02 बजकर 05 मिनट तक प्रभावी रहेगा. इस अवधि के दौरान भगवान शिव नंदी पर विराजमान रहेंगे जिस अत्यंत शुभ माना गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि शिववास योग भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत फलदायी होती है.
रवि योग
वैदिक पंचांग के अनुसार, रवि योग का शुभ संयोग 03 नवंबर 2025 को दोपहर 03 बजकर 05 मिनट से प्रारंभ होगा. इसका समापन 4 नवंबर 2025 की सुबह में होगा. यह शुभ योग आराधना और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. ज्योतिष के अनुसार, रवि योग वह शुभ संयोग है जब सूर्य की ऊर्जा और आशीर्वाद के साथ व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता का अंत होता है.
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. फिर उस पर भगवान शिव और शिव परिवार की मूर्ति स्थापित करें. शिवलिंग पर जल, शहद और दूध से अभिषेक करें. इसके बाद महादेव को चंदन लगाएं और पूरे शिव परिवार को फूलों की माला पहनाएं. माता पार्वती को सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें. भगवान शिव को प्रिय बेलपत्र और शमी के फूल अर्पित करें. शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं और मिठाई का भोग लगाए.
मंत्र
ऊँहौंजूं स: ऊँभुर्भव: स्व: ऊँत्र्यम्बकंयजामहेसुगन्धिंपुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्ऊँभुव: भू: स्व: ऊँ स: जूंहौंऊँ।।
सुखऔरशांतिप्राप्तकरनेकामंत्र
ॐ तत्पुरुषायविद्महेमहादेवायधीमहि
तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्
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