Paush Month 2025: 4 या 5 कब है पौष माह? जानें धार्मिक महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Paush Month 2025: हिंदू धर्म में पौष माह का विशेष महत्व होता है. यह दिन देवी देवताओं की उपासना का संगम माना जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं इसका धार्मिक महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में.

Paush Month 2025: हिंदू धर्म में पौष माह का विशेष महत्व होता है. यह दिन देवी देवताओं की उपासना का संगम माना जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं इसका धार्मिक महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में.

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Akansha Thakur
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Paush Month 2025

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Paush Month 2025: हिंदू धर्म में पौष माह का विशेष महत्व होता है. पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह समाप्त होते ही पौष माह की शुरुआत होती है. धार्मिक दृष्टि से यह महीना विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसे भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ माना जाता है. साथ ही इस माह में स्नान, दान, व्रत और सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पौष  माह कब से शुरू हो रहा है इसका धार्मिक महत्व क्या है और पूजा विधि के बारे में. 

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कब शुरू होगा पौष माह 2025? 

हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष  माह की शुरुआत 05 दिसंबर 2025 शुक्रवार को हो रही है और इसका समापन 03 जनवरी 2026 शनिवार को होगा. धार्मिक दृष्टि से यह महीना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने से धन-धान्य, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है. 

पौष माह 2025 का धार्मिक महत्व 

हिंदू धर्म में पौष माह का विशेष महत्व होता है. इस माह में भगवान सूर्य देव के साथ विष्णु जी की पूजा की जाती है. साथ ही यह महीना पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है. वहीं इस दौरान दान-पुण्य और व्रत का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता है कि पौष मास में अराधाना, दान-पुण्य और व्रत करने से साधक को धन-धान्य, ऐश्वर्य और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा प्रतिदिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से भी जीवन में और करियर में उन्नति होती है. 

पौष माह 2025 पूजा विधि (Paush Month 2025 Puja Vidhi) 

इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें. अगर ऐसा करना मुश्किल है तो घर  में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद साफ या नए कपड़े धारण करें. तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों का जल  में तिल मिलाकर तर्पण करें. इस दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं और शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पितरों का आत्मा की शांति के लिए किसी गरीब को अन्न, वस्त्र,  काले तिल या कंबल दान करें. 

पौष माह पर करें इन मंत्रों का जाप 

ऊं सूर्याय नम: 
ऊं आदित्याय नमः
ऊं भास्कराय नमः
ऊं गायत्री मंत्र

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