Paush Amavasya 2025: 18 या 19 दिसंबर, कब है पौष अमावस्या? जानें सही तिथि, स्नान-दान का मुहूर्त और महत्व

Paush Amavasya 2025: पौष महीने में पड़ने वाली अमावस्या बहुत खास मानी जाती है, कहते हैं पौष अमावस्या के दिन अगर मन से पितरों को प्रसन्न किया जाए तो पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है.

Paush Amavasya 2025: पौष महीने में पड़ने वाली अमावस्या बहुत खास मानी जाती है, कहते हैं पौष अमावस्या के दिन अगर मन से पितरों को प्रसन्न किया जाए तो पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है.

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Akansha Thakur
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Paush Amavasya 2025

Paush Amavasya 2025

Paush Amavasya 2025: हिंदू धर्म में पौष अमावस्या का विशेष धार्मिक महत्व है. इस दिन स्नान, दान और पितरों का तर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि पौष अमावस्या पर किए गए पुण्य कर्मों से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. वर्ष 2025 में यह अमावस्या साल के अंतिम दिनों में पड़ रही है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि अमावस्या के दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें शांति प्रदान करता है. पितरों की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का योग बनता है.

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पौष अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

पौष अमावस्या की तिथि की शुरुआत 19 दिसंबर 2025 को सुबह 4 बजकर 59 मिनट से होगी. इसका समापन 20 दिसंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, पौष अमावस्या का व्रत और पूजन 19 दिसंबर को किया जाएगा. इस अमावस्या को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है. इस दिन पितरों को याद कर दान-पुण्य करना विशेष फल देता है.

पौष अमावस्या 2025 स्नान-दान मुहूर्त 

पौष अमावस्या के दिन स्नान और दान का शुभ समय सुबह 5 बजकर 19 मिनट से सुबह 6 बजकर 14 मिनट तक रहेगा.पितृ पूजा और तर्पण का उत्तम समय दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक माना गया है. इस दौरान श्रद्धा के साथ किए गए कार्य जीवन की बाधाओं को दूर करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं.

पौष अमावस्या पर सूर्य पूजा का महत्व

स्कंद पुराण के अनुसार, अमावस्या के दिन सूर्य देव की आराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. सूर्य को अर्घ्य देने से रोग, दोष और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं. सूर्य पूजा से शरीर में ऊर्जा, आत्मबल और स्वास्थ्य में सुधार होता है.

पौष अमावस्या पर क्या करें? 

नदी, तालाब या घर पर ही साफ जल से स्नान करें.
तांबे के पात्र में जल लेकर “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें.
पितरों के नाम से जल, तिल और कुश से तर्पण करें.
जरूरतमंदों को भोजन, कंबल और गर्म कपड़े दें.
गायों को चारा खिलाएं और गोशाला में दान करें.
खुले स्थान पर दाना और पानी रखें.

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